शिक्षा के नाम पर हो रही लूट की खुली पोल, 2 साल से जाल में फंसी युवती को मिला न्याय

Edited By Isha, Updated: 16 Mar, 2020 11:28 AM

open robbery in the name of education the woman

लगातार 2 साल से मानसिक प्रताडऩा व पुलिस थानों के चक्कर काटने वाली जिले की एक बेटी को आखिरकार न केवल न्याय मिला बल्कि साथ ही हजारों लाखों बेरोजगार युवाओं को धोखा.....

भिवानी (ब्यूरो) : लगातार 2 साल से मानसिक प्रताडऩा व पुलिस थानों के चक्कर काटने वाली जिले की एक बेटी को आखिरकार न केवल न्याय मिला बल्कि साथ ही हजारों लाखों बेरोजगार युवाओं को धोखा देकर उन्हेंं डिग्रियों के नाम पर धोखा देने वाली यूनिवर्सिटी की भी पोल खुल गई है। पुलिस ने न केवल फर्जी डिग्रियों का गोरखधंधा करने वाले विश्वविद्यालय को सील कर दिया है बल्कि इसके संचालकों के खिलाफ भी धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए हैं।

मानसिक व शारीरिक प्रताडऩा झेल रही ममता के लिए 4 दशक से प्रदेश की छात्र राजनीति में अग्रणी रहे हरियाणा के चर्चित छात्र नेता सम्पूर्ण सिंह देवदूत साबित हुए हैं। युवती के हौसले व सम्पूर्ण सिंह के साथ ने न केवल शिक्षा के नाम पर बड़ी दुकान चलाने वालों को बेनकाब किया बल्कि लाखों युवाओं को धोखे से भी बचाया है। इस बारे में शहरवासी ममता ने बताया कि उसने 2009 मेें बी.ए. के बाद एम.ए. में दाखिले के लिए हरियाणा के कई कालेजों में प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी। इसी दौरान ममता ने प्रचार माध्यम पर मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के दाखिला संबंधी विज्ञापन देखे और विज्ञापन में दिए गए चेयरमैन व एक अन्य महिला के नम्बर पर सम्पर्क किया।

उन्होंने युवती को विश्वविद्यालय के करनाल स्थित एक स्टडी सैंटर में बुलाया और 50 हजार रुपए फीस लेकर एम.ए. मनोविज्ञान में दाखिला दे दिया। उसे बताया गया कि 12 हजार रुपए की तो रसीद दे दी जाएगी लेकिन 38 हजार रुपए नॉन अटैंर्डिंग के कटेंगे। उसे यह भी बताया गया कि अभी विश्वविद्यालय का भवन सोलन जिले में निर्माणाधीन है। 

2 साल बाद दे दी डिग्री 
इसके बाद उसे 2011 में को एम.ए. मनोविज्ञान उत्तीर्ण करने की डिग्री दे दी गई। युवती ने बताया कि 2012 में उसने विश्वविद्यालय के बताए गए पते पर 250 रुपए का ड्राफ्ट भेजा और अपनी डिग्री वैरीफिकेशन मांगी। विश्वविद्यालय द्वारा अपने नम्बर आरटीआई/033 दिनांक 4-6-2012 के तहत इसे वैरीफाई भी कर दिया गया। ममता ने बताया कि इसी दौरान हरियाणा में लोक सेवा आयोग ने रोजगार अधिकारी के पदों का विज्ञापन निकाला। इस पद के लिए एम.ए. मनोविज्ञान को प्राथमिकता दी गई थी। 2014 में युवती का सहायक रोजगार अधिकारी पर चयन भी हो गया।

ममता ने बताया कि 4 साल तक तो सब कुछ ठीक ठाक चला और विभाग द्वारा उसकी डिग्री की भी जांच करवाई गई जिसे मानव भारती विश्वविद्यालय ने सही बताया और विभाग को एमबीयू/जीईएन-2016/वीईआर-2584 दिनांक 6 सितम्बर 2016 के तहत पत्र लिखकर डिग्री को सत्यापित किया गया। यही नहीं, हिमाचल प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने भी गोपनीय पत्र लिखकर इस डिग्री की जांच करवाई जिसे एक बार फिर से विश्वविद्यालय ने सत्यापित किया। बावजूद इसके युवती के खिलाफ उसके अपनों का षड्यंत्र बंद नहीं हुआ। 

ननदोई की सांठगांठ से डिग्री को बोगस जारी कराया 
ममता ने बताया कि 2018 में उसके ननदोई के भाई ने एक घरेलू झगड़े में उसे डराना धमकाना शुरू कर दिया और मानव भारती विश्वविद्यालय से सांठ गांठ करके 22 छात्रों की डिग्रियां बोगस होने का एक पत्र जारी करवा दिया। यह पत्र हिमाचल के धर्मपुर थाने में और हरियाणा में रोजगार विभाग को भेज दिया गया। विश्वविद्यालय यहीं चूक कर गया कि उस द्वारा 2 बार पहले ममता की डिग्री को सत्यापित किया जा चुका है। यहां हिमाचल पुलिस की भूमिका भी संदेह में आ गई क्योंकि पुलिस द्वारा 22 में से केवल एक ही छात्रा के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की गई। 
 

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