दूर-दूर से मांग पत्र लेकर चंडीगढ़ पहुंची नर्सिंग कॉलेज की छात्राएं, अधिकारी हो गए गायब

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 26 Aug, 2022 08:00 PM

nursing college students reached chandigarh with demand letters

पंचकूला सेक्टर 22 के डायरेक्टरेट आफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च हरियाणा विभाग में जहां पर सफीदों गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेज की 45 छात्राएं 200 किलोमीटर दूर से बस लेकर अपनी मांग पत्र लेकर पहुंची। विडंबना रही सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक कोई भी अधिकारी उनसे...

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को लेकर भले ही संजीदा हो, लेकिन कुछ विभाग के कुछ अधिकारी बेटियों को लेकर कितना संजीदा है। इसकी बानगी आज देखने को मिली। पंचकूला सेक्टर 22 के डायरेक्टरेट आफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च हरियाणा विभाग में जहां पर सफीदों गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेज की 45 छात्राएं 200 किलोमीटर दूर से बस लेकर अपनी मांग पत्र लेकर पहुंची। विडंबना रही सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक कोई भी अधिकारी उनसे नहीं मिला। इस मौके पर छात्राओं ने बताया कि पिछले 4 साल से वह सफीदों कॉलेज में पढ़ रहे हैं और फाइनल ईयर में 6 महीने की ट्रेनिंग होती है। उनके कोर्स के सिर्फ 2 महीने ही बचे हैं, लेकिन उन्हें ट्रेनिंग नहीं कराई गई है, जबकि कोर्स पूरा होने को है। इसके अलावा 4 साल का स्टायफंड अभी तक छात्राओं को नहीं मिला है। फार्म भरा लिए जाते हैं, डिटेल ले ली जाती है, लेकिन कोई पैसा खाते नहीं आ रहा। छात्राओं को अपने हॉस्टल से कॉलेज में जाने के लिए 6 से 7 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है। सरकार ने पास तो बना दिए, लेकिन न तो प्राइवेट बसें वहां रुकती और अलग से बस लगाना तो दूर की बात है, जबकि एडमिशन के वक्त कहा गया था कि आप लोगों को ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा छात्राओं ने बताया कि उनका हॉस्टल भी प्राइवेट है। उसके लिए भी कहा गया था, अभी जेब से पैसा भरो आपको बाद में पैसा दिलवा दिया जाएगा, लेकिन अब विभाग इससे भी मुंह मोड़ रहा है। इसकी वजह से छात्राएं अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है। 

 

छात्रों की समस्याएं यहीं खत्म नहीं हुई, उन्होंने डायरेक्टर से मिलने का समय मांगने के लिए फोन किया। फोन नहीं उठाया गया तो बाद में जब वे 16000 में बस भाड़े पर लेकर पंचकूला 11 बजे ऑफिस में पहुंचे, तो उन्हें मीटिंग हॉल में बैठा दिया गया और शाम के 5 बजे तक चाय पानी कुछ नहीं दिया गया, न ही किसी भी अधिकारी ने उनसे मिलने की जहमत उठाई न ही मौके पर मौजूद किसी भी स्तर के अधिकारी ने उनको कोई संतुष्ट सा आश्वासन दिया। 5 बजे दफ्तर बंद करते वक्त उनको दफ्तर से बाहर निकाल दिया गया, जबकि छात्राएं लिखित में आश्वासन चाहती थी। उनका कहना था कि वे सब गरीब घरों की बच्चियां है। ₹16000 खर्च करके यहां पर पहुंची हैं, दोबारा से आना उनके लिए असंभव है। लेकिन किसी ने उनकी सुनवाई नहीं कहीं वह कहा जाए, किसको अपना दुखड़ा सुनाए। लोग चंडीगढ़ बड़ी आशाएं लेकर आते हैं, इस उम्मीद से आते हैं कि यहां तो उनकी सुनवाई होगी उनकी समस्या का समाधान होगा। लेकिन आज जो तस्वीर सामने आई उसमें मानवता को झकझोर कर रख दिया है। इन बेटियों के साथ जो हुआ उसकी गुहार उन्होंने स्वास्थ्य और गृहमंत्री अनिल विज से लगाई हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इंसाफ दिलाया जाए और उनकी पढ़ाई को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार मदद करें।

 

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