Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 05 May, 2025 07:58 PM

हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने गुड़गांव के एक सरकारी स्कूल में छात्र के साथ नस्लीय भेदभाव व हिंसा के गंभीर आरोपों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अपनाया है।
गुड़गांव, (ब्यूरो): हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने गुड़गांव के एक सरकारी स्कूल में छात्र के साथ नस्लीय भेदभाव व हिंसा के गंभीर आरोपों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने मामले को "शैक्षणिक संस्थान में मानवीय संवेदनाओं की विफलता बताया है और जिला शिक्षा अधिकारी व पुलिस को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
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शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि स्कूल प्राधिकरणों ने शिकायतकर्ता के नाबालिग बेटा, गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल, सुशांत लोक सी-2 ब्लॉक सेक्टर-43 का छात्र है, के मौलिक और मानव अधिकारों का उल्लंघन किया गया। शिकायत के अनुसार, बच्चे को बार-बार नस्लीय उत्पीड़न का शिकार बनाया गया, जिससे उसे शारीरिक और मानसिक आघात पहुंचा। यह उत्पीड़न सहपाठियों द्वारा किया गया और इस बारे में संबंधित क्लास टीचर सीमा सरोहा को 20 दिनों की अवधि में कई बार सूचित किया गया, लेकिन इसके बावजूद स्कूल प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि शिक्षिका द्वारा हस्तक्षेप न करने और अन्य छात्रों के भेदभावपूर्ण व्यवहार को प्रोत्साहन मिलने के कारण, 19 दिसंबर 2024 को एक हिंसक घटना हुई, जिसमें बच्चे की बाईं आंख पर चोट लगी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि स्कूल से संपर्क करने पर पता चला कि उस समय प्रधानाचार्य उपलब्ध नहीं थीं और प्रभारी प्रधानाचार्य, पूनम ने शिकायत को नजरअंदाज कर दिया और प्रधानाचार्य के संपर्क विवरण देने से इनकार कर दिया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया, जहां पुलिस ने केवल औपचारिकता निभाते हुए स्कूल का दौरा किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि स्कूल स्टाफ की लापरवाही और शिक्षिका द्वारा नस्लीय उत्पीड़न को नजरअंदाज करने से एक शत्रुतापूर्ण वातावरण बना, जिसके कारण अंततः बच्चे को चोट पहुंची, जिससे उसका बच्चा अब इन घटनाओं के कारण स्कूल जाने से डर रहा है। हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने अपने आदेश में लिखा है कि यह सुविचारित मत है कि शिकायत में लगाए गए आरोप शिक्षा संस्थानों, विशेषकर राज्य संचालित संस्थानों से अपेक्षित देखभाल के कर्तव्य में गंभीर चूक को दर्शाते हैं। स्कूल प्रशासन और स्थानीय पुलिस दोनों की समय पर और प्रभावी कार्रवाई में विफलता, प्रथम दृष्टया संस्थागत लापरवाही और बच्चे के मौलिक एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला बनाती है।
ऐसा आचरण न केवल शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा और भलाई के प्रति गंभीर चिंताएं उत्पन्न करता है, बल्कि यह उन संवैधानिक और वैधानिक सुरक्षा उपायों के विपरीत है जो बच्चों को हानि, भेदभाव और उपेक्षा से बचाने के लिए स्थापित किए गए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई 2025 की तिथि तय की है।
वहीं, मामले में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रही कैप्टन इंदू बोकन ने कहा कि पहले इस मामले की जानकारी नहीं थी। अब इसका पता चला है। इस मामले की गंभीरता से निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। इसके बाद आयोग के समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।