एक करोड़ की सड़क में बर्म नहीं, ठेकेदार का जवाब-किसानों ने काट ली मिट्टी

Edited By Shivam, Updated: 17 Jun, 2019 06:48 PM

not a barm in road of one crore

अढ़ाई किलोमीटर की सड़क के लिए एक करोड़ से अधिक का बजट। बावजूद इसके नियम के अनुसार बर्म नहीं बनाई। सवाल उठता है कि मिट्टी को लेकर यह हाल है तो सड़क की गुणवत्ता कितनी सही होगी। खैर, यह जांच का विषय है। जुंडला-कतलाहेड़ी की करीब ढाई किलोमीटर लंबी यह...

करनाल (मनोज): अढ़ाई किलोमीटर की सड़क के लिए एक करोड़ से अधिक का बजट। बावजूद इसके नियम के अनुसार बर्म नहीं बनाई। सवाल उठता है कि मिट्टी को लेकर यह हाल है तो सड़क की गुणवत्ता कितनी सही होगी। खैर, यह जांच का विषय है। जुंडला-कतलाहेड़ी की करीब ढाई किलोमीटर लंबी यह सड़क हाल ही में बनाई गई है। टैंडर के अनुसार सड़क पर दोनों तरफ तीन-तीन फीट मिट्टी लगाकर बर्म बनाई जानी थी। शनिवार को सड़क का मुआयना किया गया। किसानों ने आरोप लगाया कि तीन फीट की बर्म तो बनाई ही नहीं गई।

हल्की फुल्की मिट्टी लगाकर काम में लीपापोती कर दी गई। वह भी उनके खेतों से फ्री में उठा ली गई। गड्ढे तक किसानों ने खुद समतल किए। सड़क की हालत भी कुछ यही तस्वीर बयां कर रही है। मामले की तह तक जाने के लिए एस.डी.ओ., जे.ई. और ठेकेदार से बात की गई तो सबके बयान अलग-अलग थे। ठेकेदार ने किसानों पर ही बर्म काटने के आरोप जड़ दिए। किसानों ने जवाब दिया कि सालों की मांग के बाद तो मुश्किल से सड़क बनी है। भला हम मिट्टी क्यों काटेंगे। 

सड़क पर बर्म इसलिए जरूरी 
सड़क बनने के बाद दोनों तरफ मिट्टी लगाई जाती है। इसे बर्म कहते हैं। मिट्टी कितने फीट लगेगी यह सड़क की चौड़ाई पर निर्भर करता है। जितना महत्व सड़क का होता है उतना ही बर्म भी जरूरी है। बरसात के दिनों में यह हादसों से बचाती है। चूंकि मार्कीटिंग बोर्ड की सड़कों की चौड़ाई कम होती है। इसलिए इन पर बर्म नहीं होने का मतलब है हादसों को न्यौता। बीते वर्ष मार्कीटिंग बोर्ड की सड़क पर स्कूली बस खेत में पलट गई थी। आसपास के लोगों ने इस हादसे की वजह बर्म नहीं होने को बताया था। जुंडला-कतलाहेड़ी की इस नई सड़क से भी बड़ी मात्रा में स्कूली बस गुजरती हैं। 

एक करोड़ की सड़क में लापरवाही क्यों?  
अढ़ाई किलोमीटर की सड़क के लिए विभाग ने एक करोड़ से अधिक का टैंडर लगाया था। रास्ते में रजबाहे पर एक पुलिया बनाई गई है। कतलाहेड़ी गांव की फिरनी पर पैबर ब्लॉक भी इसी टैंडर के तहत लगे हैं। ठेकेदार के अनुसार करीब 70 लाख की पैमेंट विभाग से मिल चुकी है। किसान जयपाल, अनुज व भल्ला राम ने सवाल उठाया कि इतना बड़े बजट के बावजूद सड़क निर्माण में लापरवाही क्यों बरती जा रही है। धान के सीजन से पहले सड़क पर बर्म नहीं बनी तो सड़क पर हादसा हो सकता है। 

एस.डी.ओ. जे.ई. व ठेकेदार से बात की,तीनों के बयान अलग-अलग 
बर्म बनवानी है, इसके बाद ही पैमेंट करेंगे : एस.डी.ओ.- एस.डी.ओ. राजकुमार का कहना है कि सड़क के दोनों तरफ बर्म बनवाई जाएगी। अभी ठेकेदार की पूरी पेमैंट नहीं की गई है। पूरा काम करने के बाद ही पूरे पैसे दिए जाएंगे। सड़क 3 साल की वारंटी में है। कहीं टूट फूट होगी तो वह भी ठेकेदार ठीक करेगा। 

बर्म बनाई थी, किसानों ने काट ली : जे.ई.- जे.ई. सत्यवान का कहना है कि कुछ स्थानों को छोड़कर सड़क के साथ-साथ बर्म बनवाई गई थी। आसपास के किसानों ने मिट्टी काट ली है। इसे फिर से बनवा दिया जाएगा। बर्म बनाने के लिए ठेकेदार को 120 रुपए प्रति क्यूम के हिसाब से ठेका दिया गया है। 

एक नहीं 2 बार बर्म बनवा चुका हूं : ठेकेदार- ठेकेदार प्रवीन के बयान सबसे अलग थे। उन्होंने दावा किया कि एक नहीं दो बार इस सड़क पर बर्म बनवा चुके हैं। हर बार किसान मिट्टी काट लेते हैं। एक जगह तो किसान ने सड़क की ईंट तक मिट्टी काट ली है। अब फिर से मिट्टी लगवाई जाएगी। 

किसानों का दावा : आकर जांच करें, हकीकत पता चल जाएगी 
सड़क के साथ लगते किसानों ने ठेकेदार के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। किसान बोले-डी.सी. इस मामले की जांच करवाएं। पूरी हकीकत खुद ही सामने आ जाएगी। पता चल जाएगा कि इस सड़क पर बर्म के नाम पर लीपापोती की गई है। 

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