नाइट कफ्र्यू से प्रदेश में होटल पर पुन: संकट के बादल, लॉकडाऊन दौरान भी गुजरे थे भारी घाटे से

Edited By Manisha rana, Updated: 15 Apr, 2021 10:24 AM

night curfew due to crisis hotel again in the state

प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर नाइट कफ्र्यू होरेका यानि होटल, रैस्टोरैंट्स व कैफेटेरिया के लिए परेशानी बन गया है। 10 बजे से नाइट कफ्र्यू के आदेश ने पुन: होरेका व्यापारियों को संकट...

फरीदाबाद : प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर नाइट कफ्र्यू होरेका यानि होटल, रैस्टोरैंट्स व कैफेटेरिया के लिए परेशानी बन गया है। 10 बजे से नाइट कफ्र्यू के आदेश ने पुन: होरेका व्यापारियों को संकट में डाल दिया है। कोरोना के कारण लॉकडाऊन की मार से यह बाजार अभी पूरी तरह उबर भी नहीं पाया था कि पुन: नाइट कफ्र्यू के कारण होटल व रैस्टोरैंट्स पर संकट के बादल मंडरा गए हैं। होटल और रेस्तरां मालिक अब और अधिक नुक्सान झेलने की स्थिति में नहीं हैं इसलिए कई बड़ी फूड चेन, होटल व रेस्तरां बार की बंद होने की घोषणा हो सकती है। 

दिल्ली- एन.सी.आर. में होरेका का व्यवसाय सबसे अधिक है। नाइट लाइफ अच्छी होने के कारण बार व क्लब्स की संख्या भी बहुत अधिक है। दिल्ली में ब्रूरी (फ्रैश बीयर) के प्लांट्स की अनुमति न होने के कारण गुरुग्राम, फरीदाबाद व अन्य क्षेत्रों में ब्रूरी के प्लांट भी काफी रैस्टोरैंट व बार मालिकों ने लगा रखे हैं जिसका खर्चा बहुत अधिक है। आमतौर पर होरेका व्यवसाय रात के बिजनैस पर ही निर्भर होता है। ऐसे में नाइट कफ्र्यू, होटल व रैस्टोरैंट-बार मालिकों के लिए बहुत बड़ी परेशानी बन गया है। बिना कफ्र्यू के भी आम माहौल के मुकाबले सेल काफी कम थी क्योंकि कोरोना के पुन: बढऩे से लोग एक बार फिर बाहर खाने में परहेज करने लगे थे लेकिन कफ्र्यू के बाद होटल, रैस्टोरैंट, बार व्यवसाय पूरी तरह से चरमरा गया है। 

हालांकि नाइट कफ्र्यू के आदेश अभी दो दिन पूर्व ही जारी हुए हैं लेकिन होरेका व्यवसाय से जुड़े लोगों की चिंताएं बहुत अधिक बढ़ गई हैं। होटलेयिर्स व रैस्टोरैंट बार मालिकों का यह भी कहना है कि एक तरफ राजनीतिक कार्यक्रमों में जमकर भीड़ हो रही है तथा दूसरी ओर होटल व रैस्टोरैंट्स में जहां सीमित क्षेत्र में सीमित लोग कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करते हुए आ रहे हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। होरेका मालिकों को यह भी चिंता है कि होटल इंडस्ट्री को सरकार की तरफ से कोई सहायता प्राप्त नहीं होती है। इसके बावजूद यह इंडस्ट्री न केवल राजस्व में बहुत बड़ा सहयोग करती है बल्कि रोजगार में भी होरेका का योगदान बहुत अधिक होता है। लॉकडाऊन के दौरान अनेक छोटे-बड़े होटल व रैस्टोरैंट करोड़ों का नुक्सान उठाकर बंद हो गए। गुरुग्राम-फरीदाबाद, दिल्ली व नोएडा के बंद हुए सैंकड़ों होटल व रैस्टोरैंट्स इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। 

डिनर पर ही आधारित है होरेका व्यवसाय
होटल, रैस्टोरैंट, बार व कैफेटेरिया में लोग आमतौर पर डिनर के लिए ही जाते हैं। एन.सी.आर. में मल्टीनैशनल कंपनीज में काम करने वाला युवा वर्ग भी रात को ही होटल व रैस्टोबार में जाता है। ऐसे में 10 बजे से नाइट कफ्र्यू की घोषणा ने होटल, रैस्टोबार, बाजार को हिला कर रख दिया है। रैस्टोरैंट मालिकों का कहना है कि होटल व बार रैस्टोरैंट में काम ही रात्रि 9 बजे शुुरू होता है। ऐसे में यदि 10 बजे से कफ्र्यू है तो न तो कोई डिनर के लिए आएगा और न ही होटल व रैस्टोरैंट खुला रखा जा सकता है क्योंकि यदि 10 बजे बंद करना है तो उन्हें 9 बजे से ही काम समेटना शुरू करना पड़ेगा। होटल व रैस्टोरैंट मालिकों में नाइट कफ्र्यू के बाद चिंता का माहौल है। आशंका जताई जा रही है कि ये नाइट कफ्र्यू कई बड़े होटल व रैस्टोरैंट्स चेन के बंद होने का कारण बन सकता है। 

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया
होटल व रैस्टोरैंट मालिकों के सामने पिछले एक वर्ष से एक बड़ी समस्या यह है कि उनके खर्चे तो ज्यों के त्यों हैं लेकिन आमदनी न के बराबर है। गुरुग्राम, फरीदाबाद जैसे बड़े शहरों में ऐसे अनेक रैस्टोरैंट चेन हैं जो महीने का 15 से 20 लाख रुपए किराया भरते हैं और लाखों रुपए बिजली का बिल, लाखों रुपए बार की फीस और लाखों रुपए प्रति माह स्टाफ की सैलरी देते हैं। इन लोगों का मासिक खर्च 30 से 50 लाख रुपए के बीच में आता है। कोरोना के बाद से ये लोग 50 लाख रुपए की सेल भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में यह उद्योग कब तक और कितना जीवित बच पाएगा, यह एक बड़ा सवाल है। कोरोना के कारण गाइडलाइन्स का पालन करते हुए इन होटल व रैस्टोरैंट मालिकों को न केवल पहले से ही अतिरिक्त खर्चा उठाना पड़ रहा है बल्कि सोशल डिस्टैंसिंग के कारण क्षमता से कम लोगों को बिठाना भी उनकी एक मजबूरी है। ऐसे में एक उम्मीद के सहारे ये व्यवसायी अपना काम चला रहे थे लेकिन नाइट कफ्र्यू के बाद यह व्यापार लंब चल पाएगा, इसकी उम्मीद कम नजर आ रही है।

एफ.एम.सी.जी. पर भी खतरा
कफ्र्यू के कारण होरेका व्यापार चौपट होने से केवल होरेका यानि होटल, रैस्टोंरेंट्स बार व कैफेटेरिया से जुड़े व्यवसाय ही आर्थिक संकट का शिकार नहीं होंगे बल्कि होरेका से जुड़ी हुई अन्य एफ.एम.सी.जी. यानि फास्ट मूविंग कंज्यूमेबल गुड्स के व्यापारी भी संकट में आ जाएंगे। होटल, रैस्टोरैंट, बार व कैफेटेरिया में सप्लाई करने वाले सब्जी व फ्रूट सप्लायर, दूध व डेयरी प्रोडक्ट्स सप्लायर, ग्रॉसरी सप्लायर व कच्चा मांस सप्लाई करने वाले व्यापारियों सहित अनेक ऐसे छोटे-बड़े व्यापारी प्रभावित होंगे, जिनका व्यापार होरेका के व्यापार पर ही आधारित है। नाइट कफ्र्यू के बाद व्यापार को लेकर एक बड़ा संकट ऐसे लोगों के सामने पैदा हो जाएगा जो होरेका से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। 

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