हरियाणा में दलित वर्ग की अनदेखी कांग्रेस पर पड़ सकती है भारी!

Edited By Isha, Updated: 14 Mar, 2020 09:08 AM

neglect of dalit class in haryana can be heavy on congress

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भले ही अपने बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को राज्यसभा के लिए टिकट दिलवाकर पार्टी हाईकमान में अपने प्रभाव को साबित......

डेस्क : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भले ही अपने बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को राज्यसभा के लिए टिकट दिलवाकर पार्टी हाईकमान में अपने प्रभाव को साबित करने के साथ-साथ टिकट के लिए प्रयासरत पार्टी के कई बड़े नेताओं को झटका देते हुए एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास किया है, वहीं दीपेंद्र को टिकट मिलने के बाद प्रदेश के कई बड़े कांग्रेस नेता अंदर ही अंदर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए एक प्लेटफार्म पर इकट्ठा होना शुरू हो गए हैं, जिससे हरियाणा कांग्रेस में आने वाले समय में कोई भी नया गुल खिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा का कार्यकाल पूरा होने से रिक्त हो रही राज्यसभा की सीट के लिए स्वयं कुमारी शैलजा के साथ-साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुर्जेवाला व दीपेंद्र हुड्डा का नाम चर्चा में था, मगर प्रदेश में कांग्रेस के कुल 31 विधायकों में से अधिकांश हुड्डा समर्थक विधायक होने के कारण हुड्डा का दबाव काम आया और वह अपने बेटे को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए। 

पर्यवेक्षकों का मानना है कि हुड्डा के पास अधिकांश विधायकों का समर्थन तो था ही वहीं दो दिन पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने का पूरा घटनाक्रम भी हुड्डा के लिए मददगार साबित हुआ और कांग्रेस हाईकमान दबाव की राजनीति के तहत बदले हालातों में हुड्डा को नाराज करने की स्थिति में नहीं थी और अंतत: हुड्डा को राजी रखना ही पड़ा। 

पर्यवेक्षकों के अनुसार दीपेंद्र को टिकट दिए जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा, कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुर्जेवाला, किरण चौधरी व कुलदीप बिश्रोई सरीखे नेता पूरी तरह नाराज बताए जाते हैं। भले ही इन नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर दीपेंद्र को टिकट दिए जाने का न तो विरोध किया है और न ही कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की है, मगर अंदर ही अंदर इनमें नाराजगी अवश्य पैदा हुई है और आने वाले दिनों में ये नेता हाईकमान के समक्ष खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं। इनकी नाराजगी का ही आलम है कि इनमें से कोई भी नेता आज दीपेंद्र के नामांकन दाखिल करने के समय उपस्थित नहीं था। 

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