1 करोड़ से ज्यादा के बंदर पकड़े, फिर भी नहीं मिली राहत... जानिए क्या है कारण

Edited By Isha, Updated: 18 Dec, 2024 04:59 PM

monkeys worth more than 1 crore caught still no relief  know the reason

जींद शहर में नगर परिषद द्वारा भले ही 6 हजार बंदर पकड़वाने के दावे किए जा रहे हों, लेकिन 6 हजार बंदर पकड़ने के बाद भी लोगों को राहत नहीं मिली है। शहर में बंदरों के झुंड लगातार घूम रहे हैं। चाहे अस्पताल की बात हो या फिर पाश कालोनी

जींद (ललित सैनी) : जींद शहर में नगर परिषद द्वारा भले ही 6 हजार बंदर पकड़वाने के दावे किए जा रहे हों, लेकिन 6 हजार बंदर पकड़ने के बाद भी लोगों को राहत नहीं मिली है। शहर में बंदरों के झुंड लगातार घूम रहे हैं। चाहे अस्पताल की बात हो या फिर पाश कालोनी गांधी नगर या अन्य मोहल्लों की, हर जगह बंदर ही बंदर नजर आ रहे हैं। लोग चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं। स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ ने 32वीं बार डी.सी. को पत्र लिखकर सिविल अस्पताल में घूम रहे बंदरों के झुंड को पकड़वाने की मांग की है।

नगर परिषद ने इस साल बंदरों को पकड़ने के लिए कंपनी को ठेका दिया था। कंपनी को प्रति बंदर 1700 रुपए का भुगतान नगर परिषद द्वारा किया गया। इस हिसाब से एक करोड़ से ज्यादा के बंदर नगर परिषद द्वारा पकड़वाए गए, लेकिन हैरानी की बात यह है कि 6 हजार बंदर पकड़े जाने के बाद भी शहर में बंदरों के झुंड लगातार घूम रहे हैं।

बंदर पकड़ने वाली फर्म का ठेका समाप्त हो चुका है, ऐसे में अब नगर परिषद को बंदर पकड़ने के लिए फिर से टैंडर लगाना होगा। लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी नहीं मिल पा रही चैन की सांस:शहर की पाश कालोनियों में लोगों ने बंदरों के आतंक से बचने के लिए लाखों रुपए खर्च करके लोहे के जाल लगवाए हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं। गलियों और पार्क में बंदरों के झुंड लगातार घूमते हैं। ऐसे में बच्चे और बुजुर्ग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए हैं। लोगों का कहना है कि यदि शहर में 6 हजार बंदर पकड़े गए हैं तो बंदरों की तादाद कम होनी चाहिए, लेकिन बंदरों की तादाद लगातार बढ़ रही है।

32वीं बार संघ ने लिखा डी.सी. को पत्र
स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ की ओर से सिविल अस्पताल में घूम रहे बंदरों के झुंड को पकड़वाने के लिए डी.सी. को 32वीं बार पत्र लिखा गया। संघ के प्रदेशाध्यक्ष स्वास्थ्य निरीक्षक राममेहर वर्मा के अनुसार सिविल अस्पताल में बंदरों का झुंड लगातार घूम रहा है। इससे मरीजों और चिकित्सकों को परेशानी हो रही है। बंदर मरीजों के बिस्तर तक पहुंचकर उनको घायल कर चुके हैं और रिकार्ड भी नष्ट कर चुके हैं। वर्मा ने कहा कि मार्च महीने में बंदर पकड़ने का काम किया गया था। इस दौरान कुछ ही बंदर ठेकेदार ने पकड़े। इसके बाद ठेकेदार से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने फोन ही उठाना छोड़ दिया। डी.सी. से वर्मा ने गुहार लगाई है कि जनहित को देखते हुए सिविल अस्पताल में बंदरों को पकड़वाने का काम किया जाए।

 यह कहते हैं सी.एस.आई.
नगर परिषद के सी.एस.आई. अनिल नैन ने कहा कि नगर परिषद ने 6 हजार बंदर पकड़वा दिए हैं। अन्य जिलों से लोग रात के अंधेरे में छोड़ जाते हैं। पिछले दिनों उन्होंने बीड़-बड़ा वन में बंदर छोड़ रहे लोगों को पकड़ा था। नैन ने कहा कि जिस फर्म को बंदर पकड़ने का ठेका दिया था, उसकी टैंडर अवधि समाप्त हो गई है।

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