Edited By Manisha rana, Updated: 18 Nov, 2022 01:28 PM

जहां राज्य की सरकार एक तरफ पारदर्शिता के बड़े-बड़े दावे करती है वहीं खुद सरकार के नुमाइंदे ही अपनी सरकार के पारदर्शिता के तमाम दावों की पोल खोलते ...
कैथल (जयपाल) : जहां राज्य की सरकार एक तरफ पारदर्शिता के बड़े-बड़े दावे करती है वहीं खुद सरकार के नुमाइंदे ही अपनी सरकार के पारदर्शिता के तमाम दावों की पोल खोलते हुए नजर आते हैं। ऐसा ही एक मामला कैथल जिले से सामने आया है जहां विभाग के अधिकारियों द्वारा जान बुझकर 22 करोड़ रुपयों के गेहूं को खराब किया गया था जिस पर अब भाजपा के मौजूदा विधायक लीलाराम ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अपनी ही सरकार द्वारा इस मामले की दोबारा जांच करवाकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने से नकार दिया है।
बता दें कि लीलाराम ने अपने निवास स्थान पर प्रेस वार्ता के दौरान सरकार द्वारा इस मामले पर दोबारा उच्च स्तरीय जांच करवाकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात पर यह दावा किया है कि इस मामले पर दोषी अधिकारियों का कुछ नहीं बिगड़ेगा बल्कि यह भ्रष्ट अधिकारी ऊपर तक सेटिंग करके इस मामले में साफ निकल जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ कैथल में खराब हुए 22 करोड़ रूपए के गेहूं के मामले में कैथल डीसी द्वारा दोषी अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी थी जिसको सरकार ने सिरे से नकार कर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करने के आदेश जारी कर दिए हैं जिसमें एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के साथ अन्य दो अधिकारी शामिल होंगे जो 30 दिनों में इस मामले की जांच कर सरकार को रिपोर्ट करेंगे।
फिलहाल अब कैथल विधायक लीलाराम द्वारा दिए गए इस बयान की चारों तरफ चर्चाएं चल रही हैं कि जब पारदर्शिता का दावा करने वाली सरकार के मौजूदा विधायक को ही अपनी सरकार की उच्च स्तरीय जांच कमेटी पर विश्वास नहीं है तो फिर भला आम नागरिक सरकार से न्याय की क्या उम्मीद कर सकता है।
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