नगर निगम चुनाव में अप्रत्यक्ष तौर से भी चुन सकते हैं मेयर, संशोधन के लिए सरकार को लिखा पत्र

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 15 Jan, 2025 08:33 PM

mayor can also be elected indirectly in municipal corporation elections

हरियाणा में कुल 33 नगर निकायों ( 8 नगर निगमों, 4 नगर परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों ) के  आम चुनाव‌ की घोषणा  राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इसी माह जनवरी के अंत तक अथवा अगले माह फरवरी में होने की प्रबल संभावना है।

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा में कुल 33 नगर निकायों ( 8 नगर निगमों, 4 नगर परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों ) के  आम चुनाव‌ की घोषणा  राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इसी माह जनवरी के अंत तक अथवा अगले माह फरवरी में होने की प्रबल संभावना है।

जहां तक फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगमों का विषय है, तो इन  दोनों निगमों में वर्ष 2022 से आम चुनाव लंबित है जबकि चार वर्ष पूर्व दिसम्बर, 2020 में गठित  मानेसर नगर निगम के आज तक पहले आम चुनाव ही नहीं कराये गये हैं‌‌‌‌ जोकि हालांकि कानूनन गठन से अधिकतम साढ़े पांच वर्ष की अवधि तक अर्थात  जून,2026 तक कराये जा सकते हैं। हिसार, करनाल,  पानीपत,‌ रोहतक‌ और यमुनानगर नगर निगमों में ताजा आम चुनाव  गत वर्ष 2024 से लंबित हैं।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट और म्यूनिसिपल कानून के जानकार  हेमंत कुमारने बताया कि भले ऐसा सुनने और पढ़ने‌ में आश्चर्यजनक प्रतीत हो, परंतु सत्य यही है कि हरियाणा में, जहाँ सितम्बर -2018 में नगर निगम मेयर के प्रत्यक्ष ( सीधे) निर्वाचन के लिए हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 में संशोधन किया गया था, जिसके बाद सर्वप्रथम दिसम्बर, 2018 में प्रदेश की 5 नगर निगमों नामतः‌‌‌‌ हिसार, करनाल, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर एवं उसके दो वर्ष पश्चात दिसम्बर, 2020 में अंबाला, पंचकूला और सोनीपत नगर निगमों के आम चुनाव में  सभी उक्त ‌निगमों के आठ मेयरों का प्रत्यक्ष चुनाव कराया गया था, परंतु इसके बावजूद उपरोक्त 1994 कानून में आज भी मेयर के अप्रत्यक्ष चुनाव का भी स्पष्ट प्रावधान मौजूद है।

उन्होंने बताया कि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 53 में  स्पष्ट  उल्लेख है कि मंडल आयुक्त (डिविजनल कमिश्नर ) द्वारा चुनावों बाद  नगर निगम की बुलाई पहली बैठक में नव निर्वाचित नगर निगम सदस्यों  द्वारा और उनमें से ही मेयर का निर्वाचन (चुनाव ) करवाया  जाएगा.  

उक्त धारा 53 में आगे उल्लेख  है कि मंडल आयुक्त द्वारा किसी नगर निगम सदस्य, जो मेयर पद के निर्वाचन हेतु उम्मीदवार नहीं होगा, को चुनावी प्रक्रिया की अध्यक्षता के  लिए मनोनीत किया जाएगा. अगर मेयर पद के चुनाव हेतु  करवाए गए  मतदान में उम्मीदवारों  के वोट बराबर होते  हैं और एक अतिरिक्त वोट मिलने  से उन उम्मीदवारों में  से कोई एक मेयर के तौर पर निर्वाचित हो सकता है  तो ऐसी परिस्थिति में  चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता करने  वाले नगर निगम सदस्य द्वारा यह चुनाव लड़ रहे सभी  उम्मीदवारों की उपस्थिति में ड्रा ऑफ़ लोट (लाटरी सिस्टम) से भाग्यशाली विजयी उम्मीदवार का निर्णय किया जाएगा और उसे मेयर निर्वाचित घोषित किया जाएगा।  

हालांकि हेमंत ने आगे बताया कि 14 नवंबर, 2018 को  हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के कई नियमों में उपयुक्त  संशोधन किया गया जिसमें उसके  नियम 71 को भी पूर्णतः संशोधित कर उसमें  उल्लेख  किया गया कि नगर निगम के आम चुनावों के परिणामों की अधिसूचना के तीस दिनों के भीतर बुलाई गई  पहली बैठक में मंडल आयुक्त द्वारा सीधे  निर्वाचित मेयर और  नगर निगम सदस्यों को पद और  निष्ठा की शपथ दिलाई जाएगी.

इस प्रकार नगर निगम आम चुनावों के बाद निगम की पहली बैठक के एजेंडे / कार्य संचालन के सम्बन्ध में हरियाणा नगर निगम कानून,1994 की उक्त  धारा 53  और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के उक्त नियम 71 में विरोधाभास   है.

इस प्रकार नगर निगम आम चुनावों के बाद निगम की पहली बैठक के एजेंडे / कार्य संचालन के सम्बन्ध में हरियाणा नगर निगम कानून,1994 की उक्त  धारा 53  और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के उक्त नियम 71  में  विरोधाभास   है.

 इस बारे  में एडवोकेट   हेमंत  का स्पष्ट कानूनी मत है कि अगर  किसी विषय पर  कानून  की किसी धारा  और उस कानून के अंतर्गत बनाये गये नियम में किसी प्रकार का  विरोधाभास  हो, तो ऐसी  परिस्थिति में कानूनी धारा ही मान्य.लागू  होती   है जैसा सुप्रीम कोर्ट द्वारा  दिए गए  कई निर्णयों से भी स्पष्ट  होता है  चूँकि  कानून को  विधानसभा या संसद  द्वारा बनाया  किया जाता है जबकि उस कानून के अंतर्गत  नियम राज्य/केंद्र सरकार   द्वारा बनाये जाते  हैं. इस प्रकार सम्बंधित नियम कानूनी धारा से नीचे होते हैं अर्थात उपरोक्त  नगर निगम निर्वाचन नियमावली के नियम 71  के स्थान पर  नगर निगम कानून की धारा 53 ही लागू होगी। 

इसी के दृष्टिगत हेमंत ने बुधवार 15 जनवरी को  हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री,  विभाग के आयुक्त व सचिव और  महानिदेशक एवं साथ साथ‌ राज्य निर्वाचन आयोग को लिखकर हरियाणा  नगर निगम कानून,  1994 की धारा 53 में तत्काल उपयुक्त संशोधन करने का मामला उठाया है ताकि हरियाणा की सभी नगर निगमों में प्रत्यक्ष निर्वाचित मेयर के चुनाव को पूर्ण मान्यता प्राप्त हो सके. 
 

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