कामगार ‘मां’ के बच्चें को मनोहर सरकार ने दी  ‘ममता की छांव’

Edited By Naveen Dalal, Updated: 21 Jul, 2019 09:12 AM

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प्रदेश की मनोहर सरकार ने पुरानी व्यवस्था से हटकर एक नई परम्परा का सूत्रपात कर न केवल महिला कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है अपितु बच्चों की देखभाल के संदर्भ में उनकी सबसे बड़ी ‘परेशानी’ को दूर करने की दिशा में प्रदेश भर में सरकारी कार्यालयों के पास ही...

संजय अरोड़ा: प्रदेश की मनोहर सरकार ने पुरानी व्यवस्था से हटकर एक नई परम्परा का सूत्रपात कर न केवल महिला कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है अपितु बच्चों की देखभाल के संदर्भ में उनकी सबसे बड़ी ‘परेशानी’ को दूर करने की दिशा में प्रदेश भर में सरकारी कार्यालयों के पास ही शिशु गृह (क्रैच) खोलने का बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने जहां यह ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इसी माह इस सुविधा से संबंधित नोटिफिकेशन जारी किया वहीं इसके लिए अगले माह यानि अगस्त तक शिशु गृह शुरू हो जाने का टारगेट भी दिया है। प्रशासन ने शिशु गृह हेतु स्थान का चयन व उसे तैयार करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। 

प्रयोगधर्मी नेता के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं मनोहर लाल
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस निर्णय पर राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सी.एम. खट्टर वाकई एक ऐसे प्रयोगधर्मी राजनेता के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं जो महज अपनी कार्यकुशलता,कौशलता व नीतियों की बदौलत लोगों में खास पहचान बना रहे हैं। उनके प्रयोगों से जहां राजनीतिक दृष्टिकोण में कई बदलाव देखे गए वहीं उनकी कल्याणकारी नीतियों के प्रति संवेदनशीलता इस बात को भी पुख्ता करती है कि वे दृढ़निश्चय व्यक्तित्व के धनी हैं। मसलन अपनी नीतियों को जमीनी रूप देकर उसे सार्थक बनाते हुए लोगों का साथ पाने का प्रयास करते दिख रहे हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार महिलाकर्मचारियों के लिए यह योजना वाकई सौगात के रूप में है और शिशु गृह से इन ‘माताओं’ को बेहद मदद मिलेगी व शिशुओं को ‘ममता की छांव’ कार्यावधि दौरान भी मिलती रहेगी।

ये है योजना 
सरकार की इस योजना तहत प्रदेश के सभी जिलों में हरियाणा प्रसूति प्रसुविधा (संशोधन) नियम 2019 तहत सरकारी विभागों में कार्यरत महिला कर्मचारियों के उन बच्चों की देखभाल के लिए शिशु गृह स्थापित होंगे जिनके बच्चों की आयु 6 वर्ष से कम है। यह शिशु गृह उस कार्यालय के आस-पास या मुख्य द्वार से महज 500 मीटर के दायरे में स्थापित होगा जहां ऐसी काम करने वाली महिलाओं की संख्या 50 या उससे अधिक होगी। बच्चे की देखभाल के लिए यूं तो अलग से कर्मचारी होंगे मगर मां को भी प्रतिदिन 4 बार 20-20 मिनट का समय दिया जाएगा ताकि वह भी शिशु गृह में जाकर बच्चे की संभाल कर सके। 20-20 मिनट के चार दौरों की अवधि बच्चे के डेढ़ साल होने तक रहेगी और उसके बाद एक अलग से निर्धारित अवधि संभाल के लिए दी जाएगी। इसके अतिरिक्त महिला कर्मचारी के लिए शिशु गृह में विश्राम की अवधि 30 मिनट निर्धारित की गई है।

ऐसे होंगे शिशु गृह केंद्र
प्रदेश सरकार द्वारा इन शिशु गृह केंद्रों हेतु एक प्रारूप भी तैयार किया गया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इन केंद्रों में नियमित,अस्थाई,दैनिक मजदूरी से संबंधित कर्मचारी उपलब्ध होंगी वहीं शिशु गृह के भवन की मजबूती को भी आंका जाएगा। दीवारें और छत गर्मी प्रतिरोधी व जलरोधक होंगी। इसके अतिरिक्त फर्श और दीवारें सुसज्जित होंगी। शिशु गृह इस प्रकार तैयार होगा जो गर्मी,नमी,हवा तथा बरसात से उचित संरक्षण प्रदान करे। अंदर की दीवारों की 6 माह में एक बार पुताई होगी तथा लकड़ी के सामान को हर 3 वर्ष में रंग रोगन किया जाएगा। इसके अलावा 6 से 8 वर्ग फुट प्रति बच्चे के निए न्यनूतम जगह होगी ताकि बच्चा बिना किसी बाधा के खेल, आराम करने के अलावा सीख सके। भवन के कक्षों की ऊंचाई फर्श से छत के निचले हिस्से तक 12 फुट से कम नहीं होगी। ताजा हवा के संचार हेतु पर्याप्त वायु संचार को सुनिश्चित करने तथा बनाए रखने के लिए शिशु गृह के प्रत्येक हिस्से में प्रभावी व उपयुक्त प्रावधान किया जाएगा तथा आपातकालीन पावर बैकअप से जुड़ी पर्याप्त तथा उपयुक्त प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रोशनी की व्यवस्था भी की जाएगी।

इन पहलुओं पर भी रखा जाएगा ध्यान
इन शिशु गृह केंद्रों में स्नान कक्ष,गंदे कपड़े या बिस्तर की चादर धोने और सुखाने हेतु अलग जगह होगी। स्नान कक्षों के साथ शौचालय तथा मूत्रालय की सुविधा दी जाएगी। जब कर्मचारी प्रतिष्ठान में काम पर हों,शिशु गृह हर समय दिन और रात खुला रहेगा। प्राथमिक उपचार तथा दवाई किट,बिस्तर सहित चारपाई,खाना बनाने की सुविधा, बर्तन, बैठने की व्यवस्था,खिलौने, सीखने का सामान तमाम सुविधाएं मुहैया होंगी। इसी प्रकार और भी सुविधाओं पर खास ध्यान दिया जाएगा। प्रशिक्षित शिशु गृह नर्स को प्रभारी नियुक्त किया जाएगा जो सभी चीजों का ध्यान रखेगी। शिशु गृह में उपस्थित होने वाले शिशुओं की मासिक और माताओं की दो माह में चिकित्सा जांच करवाने के साथ-साथ उसका पूरा रिकार्ड रखा जाएगा। इन शिशु गृहों से संबंधित आने वाली किसी भी शिकायत का स्थानीय स्तर पर तुरंत निवारण करने के साथ उसका रिकार्ड भी रखा जाएगा।    

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