17 साल से लटके प्रोजैक्ट को सिरे चढ़ाना निगम के लिए बना चुनौती

Edited By Isha, Updated: 09 Jan, 2020 01:31 PM

making the project hanging for 17 years made a challenge for the corporation

पशु डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने का प्रोजैक्ट एक बार फिर से लटकता नजर आ रहा है। करीब सवा 3 करोड़ खर्च करने के बाद भी यह योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही। पिंगली गांव में प्लाट के लिए अब तक

करनाल (मनोज): पशु डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने का प्रोजैक्ट एक बार फिर से लटकता नजर आ रहा है। करीब सवा 3 करोड़ खर्च करने के बाद भी यह योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही। पिंगली गांव में प्लाट के लिए अब तक 185 में से केवल 42 डेयरी संचालकों ने ही अप्लाई किया है। जबकि 143 डेयरी संचालक तो आवेदन करने ही नहीं पहुंचे। नगर निगम ने 30 हजार रुपए धरोहर राशि के साथ प्लाट के लिए आवेदन मांगे थे। 4 जनवरी तक का समय दिया तो केवल 39 ने ही पिंगली गांव के प्लाट में दिलचस्पी दिखाई। इसके बाद 3 दिन का समय और दिया गया। 7 जनवरी इसकी अंतिम तारीख रखी गई। लेकिन इस अवधि में तीन ही आवेदन और आए। इससे निगम की मुश्किलें बढ़ गई हैं।  

एक तो गांव, ऊपर से रिहायश नहीं बना सकेंगे 
पिंगली गांव में जिस जगह डेयरी के लिए जमीन खरीदी गई है, वह शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर है। रोजाना शहर में दूध की बिक्री के लिए आना पड़ेगा। शहर में अधिकतर डेयरी संचालकों की डेयरियों के साथ ही रिहायश भी है। लेकिन पिंगली गांव में वह केवल डेयरी ही बना सकेंगे। इससे उनकी रिहायश व डेयरी अलग-अलग हो जाएगी। शहर में बनाई डेयरी की बिल्डिंग किसी काम की नहीं रहेगी। इसलिए अधिकतर डेयरी संचालक इसलिए ही इस योजना में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।  

10 किस्तों में चुकाने हैं पैसे, फिर दिलचस्पी नहीं 
निगम ने पहले 4700 रुपए प्रति वर्ग गज के हिसाब से जमीन देने का फैसला किया था। लेकिन डेयरी संचालक विरोध करने लगे थे। उन्होंने 3300 रुपये के हिसाब जगह मुहैया करवाने की मांग रखी। 
हाऊस की बैठक में पार्षदों ने इसे भी मान लिया था। यही नहीं छूट देते हुए 80 प्रतिशत राशि 10 छहमाही किस्तों में बिना ब्याज लेने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी थी लेकिन इसके बाद भी डेयरी संचालक कदम पीछे खींच रहे हैं।  

डेयरियां शहर की सफाई पर दाग 
डेयरियों की वजह से शहर में काफी दिक्कत पेश आती है। कई डेयरी संचालक गोबर को सीवरेज में बहा देते हैं। इससे सीवरेज जाम होने के चांस रहते हैं। कुछ अपने पशुओं को नहर पर लेकर जाते हैं तो जाम लग जाता है। दूसरा पशुओं का गोबर सड़क पर पसर जाता है। इससे सफाई व्यवस्था चौपट हो जाती है। इधर, स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के लिए टीम शहर में किसी भी समय दस्तक दे सकती है। डेयरियों की वजह से स्वच्छता रैंकिंग में करनाल पिछड़ सकता है।  

सी.एम. ने 8 जनवरी तक ड्रॉ के दिए थे निर्देश 
बता दें कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 29 दिसम्बर को पी.डब्ल्यू.डी. रैस्ट हाऊस में पार्षदों के साथ बैठक की थी। पार्षदों के अनुसार इसमें अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि आठ जनवरी तक पिंगली गांव में खरीदी जमीन के प्लाट का पहला ड्रॉ करवा दिया जाए। 

2003 में शिफ्ट करने का था ऐलान
वर्ष 2003 में शहरी नगर निकाय मंत्री ने पशु डेयरियों को शहर से शिफ्ट करने का ऐलान किया था। नगर निगम के गठन से पहले नगर परिषद ने भी काफी जोर लगाया लेकिन ऐसा नहीं कर पाई। 
स्मार्ट सिटी में शामिल होने के बाद शहर की सरकार ने इसे गंभीरता से लिया। लेकिन डेयरी आज तक बाहर नहीं की जा सकी। 

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