लॉकडाऊन से साफ हुई हरियाणा की हवा, हरेक जिले के ए.क्यू.आई. में आई गिरावट

Edited By Isha, Updated: 06 Apr, 2020 09:32 AM

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पिछले कई वर्षों से हरियाणा के कई जिले देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में टॉप पर आ रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रदेश की जनता....

चंडीगढ़ : पिछले कई वर्षों से हरियाणा के कई जिले देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में टॉप पर आ रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रदेश की जनता को बचाने के लिए पहले 22 मार्च को जनता कफ्र्यू और उसके बाद 24 मार्च से लॉकडाऊन की वजह से इन सभी प्रदूषित जिलों की हवा में अचानक बदलाव आया है।

अभी तक यह केवल अनुमान लगाया जा रहा था कि हरियाणा की हवा कितनी साफ हुई है लेकिन अब सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) द्वारा 31 मार्च को जारी की गई रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि सड़कों पर वाहनों की संख्या में आई गिरावट की वजह से प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों की हवा भी शुद्ध हो गई है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर प्रदेश सरकार ने जनता कफ्र्यू और लॉकडाऊन को हरियाणा में प्रभावी तरीके से लागू करवाया। जनता कफ्र्यू और लॉकडाऊन पर आधारित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण को बढ़ाने में मुख्य भूमिका ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्रीज, पावर प्लांट्स, कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी, बायोमास और सड़कों पर उडऩे वाली धूल की होती है। बात की जाए अगर लॉकडाऊन की तो पिछले कुछ दिनों में जिस प्रकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ निजी वाहनों की संख्या में कमी और गैर-जरूरी कंस्ट्रक्शन वर्क पर अंकुश लगाया गया उसकी वजह से हरियाणा का एयर क्वालिटी इंडैक्स (ए.क्यू.आई.) भी सुधरा है।

दरअसल, प्रदेश में जैसे-जैसे लॉकडाऊन के दिन गुजरते गए उसी प्रकार हवा की गुणवत्ता में भी सुधार दर्ज किया गया। वाहनों की गतिविधियों पर कंट्रोल किया गया, जिसका असर पाॢटकुलेट मैटर (पी.एम.)-2.5, पी.एम.-10, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड और कॉर्बन मोनोऑक्साइड के स्तर पर दिखाई दिया।

एन.सी.आर. में जनता कफ्र्यू का अधिक असर नहीं
वायु प्रदूषण के मामले में सबसे आगे नैशनल कैपिटल रिजन (एन.सी.आर.) के बारे में भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अन्य शहरों की तुलना में एन.सी.आर. में जनता कफ्र्यू अधिक असरदार नहीं रहा। 22 मार्च को गुरुग्राम में पाॢटकुलेट मैटर (पी.एम.)-2.5 का स्तर अधिक रहा। इसी तरह जहां नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर नोएडा में 55 प्रतिशत और गाजियाबाद में 51 प्रतिशत कम दर्ज किया गया, वहीं गुरुग्राम में केवल 4 प्रतिशत ही कम हो पाया। 

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