Edited By Yakeen Kumar, Updated: 09 Jun, 2025 08:09 PM
पूर्व सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता कुलदीप बिश्रोई ने बिश्रोई समाज के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात की।
चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : पूर्व सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता कुलदीप बिश्रोई ने बिश्रोई समाज के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल में स्वामी राजेंद्र नंद महंत, फलौदी के विधायक पबाराम, पूर्व विधायक दूड़ाराम, पूर्व विधायक रेणूका बिश्रोई, पूर्व विधायक भव्य बिश्रोई, पूर्व विधायक हीरालाल, पूर्व विधायक मलखान, सुभाष कुमार, रामसरूप मांझू, गंगा बिश्र भादू, छोटू राम भादू, गायत्री बिश्रोई, बलदेव खोखर, ओ.पी. धायल, शिवराज जाखड़ व अनूप खोखर मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि कुलदीप बिश्रोई समय-समय पर अपने समाज से जुड़े हुए मुद्दों को उठाते रहते हैं। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उन्होंने बिश्रोई समाज को केंद्र में ओ.बी.सी. आरक्षित सूची में शामिल करने के अलावा जोधपुर एयरपोर्ट का नाम विश्व की एकमात्र वृक्ष रक्षार्थ शहीद मां अमृता बिश्रोई के नाम पर करवाने की मांग रखी। कुलदीप बिश्रोई की ओर से राजस्थान में सोलर कंपनियों की ओर से खेजड़ी पेड़ कटाई का मामला संज्ञान में लाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया कि जल्द ही इस विषय में एक कानून बनाया जाएगा। इसके अलावा कुलदीप बिश्रोई ने खेजड़ली को विश्व धरोहर बनाए जाने की बात भी मजबूती के साथ रखी।
पूर्व सांसद कुलदीप बिश्रोई का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है कि आरक्षण को लेकर जब भी केंद्र सरकार की अंतिम सूची आएगी उसमें बिश्नोई समाज को शामिल किया जाएगा। हमारी केंद्र सरकार से इस बारे में लगातार बातचीत चल रही है। मोदी सरकार बिश्नोई जाति को आरक्षण देने के लिए सकारात्मक है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में बिश्नोई जाति पिछड़ा वर्ग में शामिल है। केंद्र सरकार की ओ.बी.सी. की सूची में बिश्नोई जाति शामिल नहीं है। अगर कुलदीप बिश्नोई अपनी जाति को आरक्षण दिलाने में सफल रहे तो इसका भाजपा को राजनीतिक तौर पर राजस्थान के अलावा हरियाणा में भी लाभ मिलेगा तथा इससे कुलदीप बिश्रोई भी सियासी व सामाजिक रूप से और अधिक मजबूत होंगे।
पेड़ों की कटाई से खतरे में आ रही है जैव विविधता
गृहमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि केन्द्र सरकार तो ऊर्जा के स्वच्छ एवं सस्ते विकल्प के रूप में सोलर एनर्जी को बढ़ावा दे रही है, जो कि बहुत ही अच्छा प्रयास है, परंतु राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों में कई निजी सोलर कपंनियां अंधाधुंध खेजड़ी सहित हरे-भरे वृक्षों की कटाई कर रही है। इससे आने वाले समय में पर्यावरण पर खतरा मंडराना स्वाभाविक है। वृक्षों की कटाई से पर्यावरण को नुकसान तो हो ही रहा है, साथ ही स्थानीय पक्षियों और वन्यजीवों का आवास भी खत्म हो रहा है। पेड़ों की कटाई से जैव विविधता भी खतरे में आ रही है। जीव रक्षा संस्थान और बड़ी संख्या में पर्यावरण पे्रमी सोलर कंपनियों द्वारा मनमाने ढंग से की जा रही पेड़ों की कटाई के खिलाफ लगातार आंदोलनरत हैं।
कुलदीप बिश्रोई ने ज्ञापन में जिक्र किया कि खेजड़ी का पेड़ राजस्थान का राज्य वृक्ष है और बिश्नोई समुदाय के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बिश्नोई समाज के लिए खेजड़ी का वृक्ष पूजनीय भी है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक सोलर कंपनी को काटे गए पेड़ों की संख्या से 10 गुणा ज्यादा पेड़ लगाने का निर्देश दिया है, लेकिन अभी तक कंपनियां यह नियम लागू नहीं कर पाई हैं। राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 के मुताबिक पेड़ों की अवैध कटाई पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। समस्त पर्यावरण एवं जीव पे्रमियों की मांगों को देखते हुए प्रतिनिधिनमंडल ने अमित शाह से आग्रह किया कि पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सोलर कंपनियों को सोलर लगाने की अनुमति दी जाए। ऐसा प्रावधान किया जाए कि बंजर भूमि पर ही सोलर प्लांट लगाए जाएं।
खेजड़ली धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग
उल्लेखनीय है कि बिश्रोई समाज जीव प्रेम एवं पर्यावरण प्रेम के लिए पहचान रखता है। राजस्थान के जोधपुर से करीब 26 किलोमीटर दूर गांव खेजड़ली है। खेजड़ी के वृक्षों की बहुतायत के कारण यह गांव प्रसिद्ध है। 12 सितंबर 1730 को मां अमृता देवी बिश्रोई सहित बिश्रोई समाज के 363 लोगों ने खेजड़ी के वृक्ष बचाने के लिए अपनी शहादत दे दी थी। पूर्व सांसद कुलदीप बिश्रोई का कहना है कि हमारे संस्थापक जम्भेश्वर जी ने जीव दया का पाठ पढ़ाया था। वे कहते थे, ‘जीव दया पालनी, रूंख लीलू नहीं घावे’ अर्थात जीवों के प्रति दया रखनी चाहिए और पेड़ों की हिफाजत करनी चाहिए। इन कार्यो से व्यक्ति को बैकुंठ मिलता है। इस समाज के लोग पेड़ों और वन्य प्राणियों के लिए रियासत काल में भी हुकूमत से लड़ते रहे हैं। खेजड़ली के बलिदानियों की याद में हर साल खेजड़ली में मेला आयोजित किया जाता है और लोग अपने पुरखों की कुर्बानी को याद करते हुए अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। ये आयोजन न केवल अपने संकल्प को दोहराने के लिए है, बल्कि नई पीढ़ी को वन्य जीवों की रक्षा और वृक्षों की हिफाजत की प्रेरणा देने का काम करता है।
बिश्रोई समाज की ओर से अमित शाह को दिए गए ज्ञापन में मांग की गई है कि वर्तमान में जोधपुर एयरपोर्ट का नाम किसी महान विभूति के नाम से नहीं है। प्रकृति संरक्षण के महान बलिदान पर ‘अमृता देवी’ एवं 363 बिश्नोईयों के प्रति न केवल बिश्नोई, बल्कि समूचे हिंदू समाज में विशेष आदर है। इसलिए बिश्नोई समाज के साथ-साथ अन्य समाजों की भी पिछले लंबे समय से यह मांग है कि जोधपुर एयरपोर्ट का नाम ‘अमृता देवी’ के नाम पर रखा जाए, इससे पर्यावरण संरक्षण के प्रति जहां लोग और ज्यादा जागरूक होंगे, वहीं बिश्नोई समाज सदैव उनका अहसानमंद रहेगा। इसके अतिरिक्त खेजड़ली धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए, क्योंकि पर्यावरण सरंक्षण के लिए ऐसी कुर्बानी विश्व में कहीं ओर देखने को नहीं मिलेगी।
आर्थिक स्थिति को देखते हुए की आरक्षण की मांग
प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिए ज्ञापन में मांग की है कि बिश्नोई समाज जो कि देश के राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित अन्य क्षेत्रों में निवास करता है। बिश्नोई समाज देश के ज्यादातर ऐसे क्षेत्रों में निवास करता है, जो मुख्यत: कृषि आधारित कार्यों पर निर्भर है। उनके जीवन यापन के लिए कृषि व पशुपालन ही मुख्य स्त्रोत हैं। बिश्नोई समाज की आर्थिक स्थिति को देखते हुए तथा समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए बिश्नोई समाज राजस्थान सहित कई प्रदेशों में पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल है। बिश्नोई समाज के लोग जोर-शोर से बिश्नोई समाज को केंद्रीय स्तर पर ओबीसी में शामिल करने की मांग उठा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री शाह से अनुरोध किया गया है कि बिश्नोई समाज को केंद्रीय स्तर पर पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल किया जाए, ताकि बिश्नोई समाज भी देश की आर्थिक व सामाजिक प्रगति में अपना योगदान दे सके। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने बिश्नोई जाति को पिछड़ा वर्ग सूची में अनुमोदन किया हुआ है।