दिलचस्प किस्सों से चर्चा में रहे हरियाणा की पहली सरकार के मंत्री केसरा राम!

Edited By Manisha rana, Updated: 13 May, 2021 03:49 PM

kesra ram the minister of the first government of haryana

भौगोलिक लिहाज से हरियाणा का एक बड़ा जिला सिरसा राजनीतिक रूप से भी हरियाणा का एक महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। सियासी तौर पर यहां पर चौ.देवीलाल घराने...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : भौगोलिक लिहाज से हरियाणा का एक बड़ा जिला सिरसा राजनीतिक रूप से भी हरियाणा का एक महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। सियासी तौर पर यहां पर चौ.देवीलाल घराने की अपनी एक सात दशक की लम्बी राजनीतिक यात्रा रही है, जो आज भी जारी है , परन्तु चौ.देवीलाल के गृह जिले सिरसा में राजनीतिक रूप से एक रोचक तथ्य यह भी है कि यहां से दलित नेता चौ.केसराराम ऐसे पहले राजनेता थे, जो 1966 में हरियाणा गठन के बाद इस क्षेत्र से सबसे पहले मंत्री बने। केसराराम सिरसा जिला के गांव ऐलनाबाद के रहने वाले थे और साल 1966 में वे भगवत दयाल शर्मा की सरकार में सिंचाई उपमंत्री रहे।

हालांकि चौ.देवीलाल इससे पहले साल 1951, 1959, 1962 में विधायक रह चुके थे। संयुक्त पंजाब के वक्त देवीलाल प्रताप सिंह कैरों सरकार में संसदीय सचिव भी रहे , पर सिरसा जिला से पहली बार हरियाणा सरकार में मंत्री बनने का अवसर केसराराम को ही मिला। केसराराम कुल दो बार डबवाली आरक्षित सीट से कांग्रेस के विधायक रहे। केसराराम का जन्म 15 अगस्त 1907 को सिरसा जिला के गांव केहरवाला में हुआ। उन्होंने उर्दु में प्राइमरी तक अपनी पढ़ाई अहमदपुर दारेवाला गांव से की। केसरा राम संयुक्त पंजाब के समय ही सियासत में सक्रिय हो गए थे और उन्होंने उस वक्त भी चुनाव लड़ा, मगर उन्हें मंत्री बनने का अवसर हरियाणा में ही मिला । केसरा राम ने अपना पूरा जीवन सादगी से ही जीया ।आज भी उनके सादगीपूर्ण दिलचस्प सियासी किस्से पुराने जमाने के लोग याद करते हैं और इन्हीं किस्सों के कारण वे अक्सर चर्चा में भी रहते थे ।

14 वर्ष की उम्र में हो गए थे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय
महज 14 बरस की उम्र में  ही साल 1921 में चौ. केसराराम  स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए थे। वे महात्मा गांधी की विचारधारा और नीतियों से प्रभावित थे। उन्होंने हमेशा दलितों और वंचितों के हकों को लेकर लड़ाई लड़ी। छुआछुत जैसी कुरीति के खिलाफ उन्होंने गांव-गांव में एक मुहिम छेड़ी। संयुक्त पंजाब के समय साल 1957 में उन्होंने सिरसा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा पर सफल नहीं हुए। 1962 में उन्होंने डबवाली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। कांग्रेस की टिकट पर उन्होंने 18865 वोट लेते हुए आजाद उम्मीदवार प्रेम चंद को 6354 वोटों के अंतर से हरा दिया। साल 1966 में हरियाणा का गठन हुआ और भगवत दयाल शर्मा मुख्यमंत्री बने। हरियाणा बनने के बाद पहली सरकार में ही केसराराम को सिंचाई उपमंत्री बनने का सौभाग्य हासिल हुआ।

मंत्री रहते हुए अपने छोटे से कार्यकाल में केसराराम ने सिंचाई को लेकर कई अहम कदम उठाए। उन्होंने राजस्थान से सटे अपने इलाके में सिंचाई को लेकर कई नहरों का जाल बिछवाया। 1968 में केसराराम ने 15221 वोट लेते हुए डबवाली से निर्दलीय प्रत्याशी प्रेम चंद को 870 वोटों के अंतर से पराजित कर दिया। केसराराम के बाद उनके बेटे मनीराम केहरवाला भी सियासत में सक्रिय हो गए। उन्होंने अपने सियासी कॅरियर में कई चुनाव लड़े। साल 1991 में मनीराम केहरवाला पहली बार ऐलनाबाद से विधायक चुने गए और भजनलाल की सरकार में हरको बैंक के चेयरमैन भी रहे । कुछ समय पहले मनीराम का निधन हो गया। अपने आखिरी वक्त में मनीराम कुछ समय तक हरियाणा जनहित कांग्रेस में रहे जबकि बाद में वे भाजपा में आ गए थे। फिलहाल केसरा राम के पौते व मनी राम केहरवाला के बेटे सागर केहरवाला भी राजनीति में सक्रिय हैं और वे भाजपा में हैं।

जब पानी का लेवल देखने नहर में कूद गए थे केसरा राम
केसराराम बड़े प्रैक्टिकल व्यक्ति थे। उनके मंत्री रहते हुए उनकी ओर से उठाए गए दो महत्वपूर्ण कदमों की काफी तारीफ हुई थी। एक मंत्री के रूप में वे एक बार सिरसा जिले में नहरी पानी को लेकर गांवों का दौरा कर रहे थे। इस दौरान सिंचाई विभाग के आला अफसर भी उनके साथ मौजूद थे। उन्होंने टेल पर पानी न जाने की अधिकारियों से जब वजह पूछी तो अफसर उन्हें गेज से पानी मापकर क्यूसिक में बताने लगे। अफसरों की ओर देखते हुए केसराराम ने आव देखा न ताव नहर में कूद गए। उन्होंने नहर में कमर पर हाथ लगाते हुए कहा जब नहर में इतना पानी होगा तभी टेल पर पहुंचेगा। एक मंत्री का यह किस्सा हरियाणा में उन दिनों खूब प्रसिद्ध हुआ। इसी प्रकार एक बार केसराराम को एक पटवारी के संदर्भ में शिकायत मिली। शिकायत मिलने पर केसराराम अफसरों के साथ खेतों में पहुंचे। पटवारी खेत की पैमाइश कर रहा था, पर किसान संतुष्ट नहीं था। केसरा राम ने पटवारी के हाथ से जरीब(जमीन की पैमाइश करने का औजार) छीन ली और खुद पैमाइश करने लगे। गलती पटवारी की पाई गई। उसी समय खेत से ही केसराराम ने पटवारी को सस्पैंड करने के ऑर्डर जारी कर दिए। उनका यह किस्सा खूब चर्चा बना। तब मीडिया ने उस समय मंत्री के इस एक्शन को 'जहांगीर का न्याय'  टाइटल से खबर का रूप दिया था।

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