कैथल जिला परिषद घोटाला: आरोपी ठेकेदार को मिली अंतरिम जमानत, इस रोग का दिया हवाला

Edited By Isha, Updated: 20 Aug, 2025 11:57 AM

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जिला परिषद कैथल में करोड़ों रुपये के घोटाले का मामला लगातार सुर्खियों में है। इस मामले में आरोपी ठेकेदार परवीन सरदाना को अदालत से बड़ी राहत मिली है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. नंदिता कौशिक ने उन्हें अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी है।

कैथल (जयपाल रसूलपुर): जिला परिषद कैथल में करोड़ों रुपये के घोटाले का मामला लगातार सुर्खियों में है। इस मामले में आरोपी ठेकेदार परवीन सरदाना को अदालत से बड़ी राहत मिली है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. नंदिता कौशिक ने उन्हें अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी है।

अदालत ने आदेश दिया है कि आरोपी जांच में पूरा सहयोग करें और 20 अगस्त को सुबह 11 बजे जांच अधिकारी के सामने पेश हों। इस घोटाले में तत्कालीन जिला परिषद सीईओ, एसडीओ, जेई समेत कई ठेकेदारों के नाम सामने आए। आरोप है कि 35 से 40 प्रतिशत कमीशन लेकर ठेकेदारों को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया।

मशीनरी किराये पर दिखाकर अलग-अलग खातों में भारी भरकम राशि ट्रांसफर की गई थी। परवीन सरदाना की फर्म "भारत प्रोजेक्ट" के खाते में भी 1.43 करोड़ रुपये आने का उल्लेख है। हालांकि, बचाव पक्ष ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने केवल मशीनरी व ट्रैक्टर-ट्रॉली उपलब्ध कराई थी और सारे भुगतान विभागीय अधिकारियों की अनुमति से हुए।

अदालत में दलीलें बचाव पक्ष का तर्क :
सरदाना निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक दबाव में फंसाया गया है। वे गंभीर हृदय रोग से पीड़ित हैं और पहले भी ऑपरेशन करवा चुके हैं। सभी आवश्यक दस्तावेज, बिल और कर विवरणी पहले ही जांच एजेंसी को सौंप दिए गए हैं।

अभियोजन का पक्ष 
सरकारी खजाने से करोड़ों की हेराफेरी हुई है। केवल 30% कार्य हुआ जबकि पूरे का पूरा भुगतान कर दिया गया। आरोपी से वसूली और पूछताछ के लिए कस्टोडियल इंटरोगेशन जरूरी है।


31.64 करोड़ की ग्रांट, 7.15 करोड़ की गड़बड़ी
बता दें कि वर्ष 2020-21 में जिला परिषद कैथल को 31.64 करोड़ रुपये की राशि पूंजीगत परिसंपत्तियों व स्वच्छता परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए दी गई थी। इनमें गोबर-धन प्रोजेक्ट, ठोस-तरल अपशिष्ट प्रबंधन, तालाब प्रणाली और नालों की सफाई जैसी योजनाएं शामिल थीं। एसीबी की जांच रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलीभगत से फर्जी मस्टर रोल, नकली बिल व वाउचर तैयार कर केवल 30% कार्य करवाया, जबकि 100% काम पूरा दिखाकर 7.15 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की थी।


अदालत का आदेश
अदालत ने माना कि कई सह-अभियुक्तों को पहले ही हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। सभी बिल विभागीय अधिकारियों की जांच-पड़ताल के बाद ही पास हुए थे। इसलिए गिरफ्तारी की स्थिति में अभियुक्त को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि के जमानती बंधन पर अंतरिम अग्रिम जमानत दी जाती है। अदालत ने आदेश दिया कि आरोपी 20 अगस्त को सुबह 11 बजे जांच अधिकारी के समक्ष पेश होकर सहयोग करेंगे। इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।

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