जाट आरक्षण आंदोलन : नुकसान के लिए गठित क्लेम कमीशन ने मांगी एक्सटैंशन

Edited By Manisha rana, Updated: 24 Aug, 2020 10:26 AM

jat reservation movement claim commission constituted for loss seeks extension

जाट आरक्षण आंदोलन दौरान नुकसान के आंकलन के लिए गठित क्लेम कमीशन ने एक्सटैंशन मांगी है जबकि अधिकांश पीड़ितों...

चंडीगढ़ (बंसल) : जाट आरक्षण आंदोलन दौरान नुकसान के आंकलन के लिए गठित क्लेम कमीशन ने एक्सटैंशन मांगी है जबकि अधिकांश पीड़ितों को अब तक क्लेम नहीं मिल पाया है। आगजनी और लूटपाट में लोगों की दुकानों और मकानों के नुकसान के लिए गठित कमीशन ने एक साल की एक्सटैंशन मांगी थी, लेकिन जुलाई, 2016 में गठित कमीशन को गृह मंत्री ने 3 माह की एक्सटैंशन देते हुए रिपोर्ट देने को कहा है।

वहीं, सरकार ने आरक्षण आंदोलन के पीछे राजनीतिक साजिश की आशंका जताते हुए जस्टिस (सेवानिवृत्त) एस.एन. झा की अध्यक्षता में 8 अप्रैल, 2016 को जांच आयोग का गठन किया। गुरुग्राम में मुख्यालय बनाया और दफ्तर व स्टाफ पर औसतन 50 लाख महीना खर्च हो रहा है। आयोग को कई बार एक्सटैंशन भी दी जा चुकी है। आयोग ने अब गृह मंत्रालय से फिर एक्सटैंशन मांगी तो गृह मंत्री अनिल विज ने आपत्ति जताई। उन्होंने आयोग से अब तक हुए खर्चों का ब्यौरा तलब कर लिया है जिसके मिलने के बाद ही एक्सटैंशन का फैसला होगा।

क्लेम कमीशन पर करोड़ों रुपए खर्च
कमीशन पर सरकार अब तक करोड़ों खर्च कर चुकी है और नतीजा शून्य है। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल दौरान फरवरी, 2016 में आरक्षण आंदोलन दौरान हजारों करोड़ की संपत्ति नष्ट हो गई थी। यही नहीं 32 लोगों की जान चली गई थी। मामले में अभी भी दर्जनों लोग जेलों में बंद हैं। आंदोलन दौरान ङ्क्षहसा में व्यापारिक प्रतिष्ठानों, दुकानों व मकानों आदि के नुकसान की भरपाई सरकार ने की थी। इसके बाद भी पैंङ्क्षडग केसों को निपटाने के लिए 19 जुलाई, 2017 को जस्टिस (सेवानिवृत्त) के.सी. पुरी की अध्यक्षता में क्लेम कमीशन का गठन किया। जनता के नुकसान के अलावा रेलवे और सड़क सहित अन्य सरकारी प्रॉपर्टी के नुकसान के मामलों की सुनवाई का जिम्मा भी आयोग को दिया गया। जस्टिस पुरी का कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने 23 अप्रैल, 2019 को सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश इंद्रजीत मेहता को कमिश्नर बनाया। मेहता को हरेरा (हरियाणा रियल एस्टेट रैगुलेटरी अथॉरिटी) की पंचकूला पीठ का सदस्य भी बनाया हुआ है।

गवाही न होने के चलते 125 केस ठंडे बस्ते में
पंजाब के डेराबस्सी निवासी आर.टी.आई. कार्यकत्र्ता संजीव शर्मा ने आर.टी.आई. के जरिए जानकारी जुटाई तो पता लगा कि आयोग के पास अब तक कुल 499 लोगों ने क्लेम के लिए आवेदन किया। इनमें से 20 क्लेम एप्लीकेशन का निपटारा करते हुए विभिन्न विभागों को सिफारिश की गई। इसी तरह से 162 क्लेम में गवाही भी हो चुकी है और तथ्य भी लिए जा चुके हैं लेकिन केस पैंडिंग हैं। 125 क्लेम एप्लीकेशन में किसी तरह की गवाही नहीं होने की वजह से ठंडे बस्ते में डाला हुआ है। आयोग अभी तक आंकलन नहीं कर पाया है कि आंदोलन दौरान कितनी संपत्ति का नुकसान हुआ था।

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