Edited By Nitish Jamwal, Updated: 18 Apr, 2024 06:30 PM
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (एचवीपीएनएल) को एक विधवा के मामले में बेहद असंवेदनशील और विकृत दृष्टिकोण के लिए फटकार लगाते हुए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (एचवीपीएनएल) को एक विधवा के मामले में बेहद असंवेदनशील और विकृत दृष्टिकोण के लिए फटकार लगाते हुए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। महिला के पति की नौ साल पहले कैंसर से मृत्यु हो गई थी। कैंसर मृत्यु मामले में चिकित्सा प्रतिपूर्ति लटकाने पर हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया। जस्टिस जस गुरप्रीत सिंह पुरी ने एचवीपीएनएल को यह भी आदेश दिया कि वह महिला को दो महीने के भीतर छह प्रतिशत ब्याज के साथ राशि का भुगतान करें, अगर दो महीने से अधिक समय लगा तो ब्याज की राशि नौ प्रतिशत सालाना लागू होगी।
हाई कोर्ट ने यह आदेश गेंदा देवी द्वारा दायर याचिका पर जारी किया। अपनी याचिका में उसने 24 दिसंबर, 2015 के उस आदेश को रद्द करने के लिए निर्देश मांग रही थी, जिसके तहत निगम ने उसे 1,89,293 रुपये की चिकित्सा प्रतिपूर्ति से इनकार कर दिया गया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता के पति, जो निगम में जूनियर इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे, का अप्रैल 2015 में निधन हो गया था। बिल जमा किए गए, लेकिन निगम ने एक पैसा भी नहीं दिया। अक्टूबर 2018 में हाई कोर्ट के के आदेशों के बाद, याचिका के लंबित रहने के दौरान उसे केवल 56,058 रुपये का भुगतान किया गया।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पति को सरकार द्वारा स्वीकृत अस्पताल में भर्ती कराया गया, उसका ऑपरेशन हुआ, उसके बाद उसे छुट्टी दे दी गई और कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गई। निगम के एमडी द्वारा सर्जरी के वैकल्पिक मानना गलत है। बल्कि इस कोर्ट का मानना है कि यह अनिवार्य सर्जरी थी। इस तरह के तर्क, वह भी एमडी द्वारा, निंदनीय हैं, क्योंकि यह मानव जीवन के प्रति असंवेदनशील है और साथ ही यह उनकी अपनी नीति के भी विपरीत है।