हरियाणा के बहुचर्चित फर्जी पेंशन घोटाले में हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी जांच, हुड्डा समेत कई अधिकारियों की बढ़ सकती है मुश्किलें

Edited By Mohammad Kumail, Updated: 27 May, 2023 04:13 PM

high court handed over investigation to cbi in fake pension scam

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 12 साल पहले हरियाणा में हुए बुढ़ापा पेंशन घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद पेंशन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच राज्य के सात जिला अधिकारियों व नौ कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक चुकी है...

कैथल (जयपाल) : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 12 साल पहले हरियाणा में हुए बुढ़ापा पेंशन घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद पेंशन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच राज्य के सात जिला अधिकारियों व नौ कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक चुकी है।

बता दें कि 2011 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में राज्य स्तर पर बुढ़ापा पेंशन के नाम पर एक बड़ा घोटाला हुआ था। जिसमें गलत तरीके से 60 साल से कम उम्र के व्यक्तियों को भी बुढ़ापा पेंशन का लाभ दिया गया था।

कैथल जिले की अगर बात की जाए तो उस समय जिले में 938 लोगों ने फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर बुढ़ापा पेंशन लगवाई थी और मामला उजागर होने के बाद जिला समाज कल्याण विभाग ने सभी लोगों की पेंशन तुरंत बंद कर दी थी। लेकिन तब तक यह लोग विभाग से 2 करोड़ 1 एक लाख 71 हजार रुपए की पेंशन ले चुके थे। जबकि पूरे हरियाणा में सिर्फ कैथल जिले के एक सरपंच को ही सजा हुई है।वहीं पूरे हरियाणा की अगर बात की जाए तो सीएजी (CAG) की रिपोर्ट अनुसार राज्य में 6,722 लोगों ने गलत तरीके से बुढ़ापा पेंशन बनवाई थी। जिसके बाद कुरुक्षेत्र जिले के राकेश बैंस ने अपने वकील प्रदीप रापड़िया के द्वारा इस मामले की सीबीआई से जांच करवाने के लिए 2017 में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप रापड़िया में कोर्ट को बताया कि बुढ़ापा पेंशन घोटाले में कई तरह के लोगों को गलत तरीके से लाभ दिया गया है। जिसकी पहली कैटेगिरी में ऐसे लोग हैं जिनकी मृत्यु होने के बाद भी उनके नाम से पेंशन दी जाती रही। उसके बाद दूसरी कैटेगिरी में जो लोग 40 से 50 साल की उम्र के थे उनको अंडर एज होने के बावजूद गलत तरीके से पेंशन का लाभ दिया गया। इसके बाद तीसरी केटेगिरी में ऐसे लोग शामिल थे, जो पहले ही सरकार के विभाग से पेंशन ले रहे थे।

वकील प्रदीप रापड़िया ने बताया कि इस घोटाले को लेकर पूरे हरियाणा में केवल 10 एफआईआर दर्ज हुई थी। जिनमें से ज्यादातर मामलों को पुलिस ने अनट्रेस दिखाकर बंद कर दिया था और पूरे हरियाणा में केवल कैथल जिले के सीवन थाने में दर्ज एक एफआईआर में क्कहेड़ी गांव के पूर्व सरपंच को तीन साल की सजा हुई है। प्रदीप ने बताया कि हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने हरियाणा पुलिस की जांच पर कई सवाल खड़े किए हैं। जिसमें उन्होंने बताया कि पुलिस ने पूरे राज्य में जो मामले इस घोटाले को लेकर दर्ज किए हैं, उन सभी मामलों में पुलिस ने भ्रष्टाचार की धारा नहीं जोड़ी थी। इसलिए इस मामले की जांच में पुलिस ने कोताही बरती है।

फिलहाल इस पूरे मामले की जांच अब सीबीआई करेगी और अब देखना होगा कि सीबीआई की इस जांच में विभाग के कितने अधिकारियों और उच्च अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिरेगी।

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