पानी को लेकर हरियाणा-पंजाब की राजनीति में आया ‘उबाल’! 7 जिलों में गहराया पेयजल संकट

Edited By Manisha rana, Updated: 02 May, 2025 10:30 AM

haryana punjab politics came to a boil over water

पानी के मुद्दे को लेकर एक बार फिर से पंजाब व हरियाणा की सियासत में उबाल आया हुआ है।

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : पानी के मुद्दे को लेकर एक बार फिर से पंजाब व हरियाणा की सियासत में उबाल आया हुआ है। फर्क सिर्फ इतना है कि इससे पहले समय-समय पर सतलुज यमुना लिंक नहर को लेकर दोनों राज्यों में सियासी जंग होती रही है, लेकिन इस बार यह राजनीतिक लड़ाई भाखड़ा के पानी को लेकर शुरू हो गई है। ऐसे में मौसम के गर्म मिजाज के साथ अब पंजाब व हरियाणा में राजनीतिक गर्माहट भी देखने को मिल रही है और दोनों ओर से वार-पलटवार का सिलसिला भी तेज हो गया है। पंजाब ने भाखड़ा नहर के पानी में करीब 5 हजार क्यूसिक की कटौती कर दी है। हरियाणा का हिस्सा करीब 9 हजार क्यूसिक है और उसे मिल रहा है करीब 4 हजार क्यूसिक पानी। इस मुद्दे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से फोन पर बात करने के अलावा उन्हें चि_ी भी लिख चुके हैं। भाखड़ा मुख्य नहर में कम पानी मिलने के बाद राज्य के अंबाला, कैथल, कुरुक्षेत्र, जींद, फतेहाबाद, हिसार व सिरसा में जल संकट गहराने लगा है। पेयजल को लेकर भी त्राहिमाम मचा हुआ है। चिंता की बात यह है कि फतेहाबाद, हिसार व सिरसा के कई गांवों में लोग टैंकरों के जरिए पानी मंगवा रहे हैं। एक टैंकर पानी का दाम भी तीन गुणा तक पहुंच गया है।

गौरतलब है कि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के तत्वावधान में भाखड़ा-नांगल जल परियोजना से हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व राजस्थान को पानी दिया जाता है भाखड़ा मुख्य नहर नंगल बांध की गोबिंद सागर झील से पानी लाती है। पंजाब के रोपड़, पटियाला, खन्नौरी से होते हुए यह नहर हरियाणा में प्रवेश करती है। करीब 168 किलोमीटर लंबी इस मुख्य नहर के जरिए  522 नहरों के द्वारा सिंचाई का पानी विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचाया जाता है। यह नहर भाखड़ा बांध की मुख्य नहर है। इस बांध का शिलान्यास 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने किया था और 1963 में यह बांध बनकर तैयार हुआ। खास बात यह है कि इस नहर के जरिए हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, फतेहाबाद, हिसार व सिरसा की करीब 14 लाख 27 हजार हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है। हरियाणा में इसकी मुख्य नहरों में भाखड़ा मेन ब्रांच, फतेहाबाद ब्रांच, नरवाना ब्रांच, सिरसा ब्रांच, बालसमंद ब्रांच, बरवाला ब्रांच, बी.एम.एल.-बरवाला लिंक नहर मुख्य रूप से शामिल हैं। 

भाखड़ा के बाद पश्चिमी यमुना नहर है सिंचाई का माध्यम

हरियाणा में करीब 35 लाख हैक्टेयर कृषि भूमि है, जिसमें से करीब 23 लाख हैक्टेयर भूमि नहरी पानी से सिंचित होती है। 14 हजार 62 किलोमीटर लंबी 1500 नहरों के जरिए ङ्क्षसचाई होती है, इनमें से 522 नहरें भाखड़ा ब्रांच का हिस्सा हैं। प्रदेश के नहरी विकास की बात करें तो यहां पर भाखड़ा मुख्य नहर के अलावा पश्चिमी यमुना नहर पानी का सबसे बड़ा माध्यम है। भाखड़ा मुख्य नहर के जरिए 14 लाख 27 हजार हैक्टेयर जबकि 7 लाख 76 हजार हैक्टेयर भूमि पश्चिमी यमुना नहर से सिंचित होती है। इसके अलावा घगघर, टांगरी, मारकंडा नदियों व कई सैकड़ों किलोमीटर में फैले ड्रेन के जरिए भी सिंचाई की जाती है। हरियाणा में साल 1351 में नहरी विकास का आगाज हुआ। उस समय फिरोजशाह तुगलक ने पश्चिमी यमुना नहर का निर्माण करवाया। 1568 में मुगल बादशाह अकबर ने इसका पुनर्निमाण किया। 1626 में शाहजहां ने इसका विस्तार किया तो 1817 से 1823 तक अंग्रेजों ने इस नहर का पुनॢनर्माण किया। 1963 में भाखड़ा बांध बना और फिर हरियाणा को सतलुज दरिया का भी पानी मिलने लगा।

दोनों राज्यों में बदल गया है खेती का स्वरूप

हरित क्रांति के दौर में हरियाणा व पंजाब दोनों राज्यों में खेती का स्वरूप बदल गया है। 1980-81 में पंजाब में 14 लाख 30 हजार हैक्टेयर रकबा नहरी पानी से, जबकि 19.39 लाख हैक्टेयर नलकूपों से सिंचित होता था। इसके बाद नहरों का अधिक जाल बिछने के बाद 1990-91 में 16.60 लाख हैक्टेयर भूमि नहरी पानी से ङ्क्षसचित होने लगी। जल के अधिक दोहन और धान जैसी फसल का रकबा बढऩे के बाद 2023-24 में 11.69 लाख हैक्टेयर रकबा नहरों से जबकि 29.7 लाख हैक्टेयर नलकूपों पर आधारित हो गया। जल संसाधन मंत्रालय की ओर से 2023 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में 138 ब्लॉक में स्थिति चिंतनीय है। 22 ब्लॉक ही फिलहाल सेफ हैं। पंजाब में साल 1960-61 में 2 लाख 27 हजार हैक्टेयर में ही धान का रकबा था जो अब 14 गुणा तक बढ़ गया है। अब धान का रकबा 28 लाख हैक्टेयर को पार कर गया है। इसी तरह से हरियाणा में पिछले 59 साल में नलकूपों की संख्या 30 गुणा बढ़ गई है। 1966 में डीजल आधारित 7767, जबकि बिजली आधारित 20190 नलकूप थे। अब डीजल आधारित नलकूपों की संख्या 3,01,986 जबकि बिजली आधारित नलकूपों की संख्या 5,75,165 हो गई है। यह भी एक चिंतनीय तथ्य है कि 1966 में 3 लाख 2 हजार हैक्टेयर भूमि नलकूपों से सिंचित होती थी। अब 17 लाख 21 हजार हैक्टेयर भूमि नलकूपों की जरिए सिंचित हो रही है। 1966 में हरियाणा में केवल 1.92 लाख हैक्टेयर में धान की काश्त हो रही थी और यह रकबा 13 लाख हैक्टेयर को पार कर गया है। जाहिर है कि दोनों राज्यों में पिछले साढ़े पांच दशक में खेती का स्वरूप इतना बदल गया है कि भूजल का अत्याधिक दोहन हुआ है। नदियों में भी अपेक्षाकृत पहले से पानी की उपलब्धतता कम हो गई है।

मौखिक एवं लिखित में भगवंत मान को अवगत करवा चुके हैं सैनी

उल्लेखनीय है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भाखड़ा के पानी की कटौती के संदर्भ में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लिखित एवं मौखिक रूप से अवगत करवा चुके हैं। 26 अप्रैल को सैनी ने भगवत मान को फोन के जरिए पानी छोड़े जाने का आग्रह किया था। भाखड़ा मेन ब्रांच की तकनीकी समिति ने 23 अप्रैल को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान को पानी छोडऩे का निर्णय लिया था, लेकिन पंजाब  उस निर्णय को क्रियान्वयन करने में आनाकानी कर रहा है। इसके बाद 27 अप्रैल को नायब सैनी ने भगवंत मान को एक पत्र लिखा। इस पत्र का जवाब देने की बजाए भगवंत मान ने एक वीडियो जारी करते हुए पानी कम होने का हवाला दिया।  पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों की बात करें तो 2020-21 में 8263 क्यूसिक, 2021-22 में 9726 क्यूसिक, 2022-23 में 9850 क्यूसिक, 2023-24 में 10067 क्यूसिक, 2024-25 में 9 हजार क्यूसिक पानी हरियाणा को दिया गया।

केंद्रीय मंत्री के हस्तक्षेप के बाद हुई बोर्ड की बैठक, पंजाब ने नहीं माना निर्णय

खास बात यह है कि जल वितरण का मामला केंद्र सरकार के अधीन आता है। भाखड़ा-नंगल जल परियोजना को लेकर केंद्र सरकार की ओर से भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड बनाया गया है। यह बोर्ड ही पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली के पानी को लेकर निर्णय लेता है। एक दिन पहले केंद्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर के हस्तक्षेप के बाद बोर्ड की एक आपात्त बैठक बुलाई गई। इस बैठक में हरियाणा को साढ़े 8 हजार क्यूसिक पानी देने का निर्णय हुआ, हालांकि पंजाब ने यह निर्णय मानने से इंकार कर दिया। यही नहीं पंजाब पुलिस ने वीरवार को नंगल डैम के कंट्रोलिंग स्टेशन को घेर लिया और बाद में नंगल डैम की ओर जाने वाले रास्ते के गेट पर भी ताला लगा दिया। ऐसे में अब स्थिति काफी तनावपूर्ण बन गई है। नंगल डैम पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी पहुंचे और कहा कि राजस्थान व हरियाणा में भाजपा की सरकारें हैं और बोर्ड की बैठक में तालमेल कर अपने पक्ष में मतदान कर लिया। मान ने कहा कि पंजाब के पानी पर पंजाबियों का हक है, उसे किसी दूसरे को नहीं देंगे।

अगर पंजाब प्यासा रहा, तो हम अपने हिस्से का पानी काटकर पंजाब को देंगे: नायब सिंह सैनी

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि यह केवल सिंचाई के पानी का नहीं बल्कि पीने के पानी का भी मामला है। हमारी संस्कृति में हमने अपने गुरुओं से सीखा है कि हम किसी अजनबी को भी पानी पिलाकर उसकी प्यास बुझाते हैं। आज तक के इतिहास में पीने के पानी को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ है। यह निम्न स्तर की राजनीति है, क्योंकि चुनाव आ गए हैं। पंजाब हमारा भाई है, पंजाब हमारा घर है। अगर पंजाब प्यासा रहा, तो हम अपने हिस्से का पानी काटकर पंजाब को देंगे, यह हमारी संस्कृति है। बारिश का पानी बर्बाद होगा, यह पाकिस्तान जाएगा, हम उन लोगों को पानी क्यों दें जिन्होंने हमारे लोगों की जान ली। सैनी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने पहले भी हरियाणा पर पानी में जहर मिलाने का आरोप लगाया था। बाद में उन्हें दिल्ली की हार बर्दाश्त नहीं हुई इसलिए अरविंद केजरीवाल सदमे में हैं। मैं भगवंत मान से कहूंगा कि लोगों के हित में काम करें, बाहर आकर काम करें।’ उधर, पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से भाखड़ा के पानी में की गई कटौती के फैसले का पंजाब कांग्रेस ने भी समर्थन कर दिया है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कहा कि ‘हमने 10 साल तक पानी कभी नहीं रोका, लेकिन अगर पंजाब में पानी की कमी है, तो यह स्वाभाविक है कि हम पंजाब को प्राथमिकता देंगे। हो सकता है कि दिल्ली और हरियाणा को अधिक पानी की आवश्यकता हो, लेकिन हमने पहले ही उनके हिस्से का पानी छोड़ दिया है। इस विषय पर हम पंजाब के लोगों और पंजाब सरकार के साथ हैं।’ 

विपुल गोयल व श्रुति चौधरी ने मांगा हरियाणा का हक

हरियाणा के राजस्व मंत्री विपुल गोयल एवं सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने भी पंजाब सरकार से हरियाणा का हक मांगा है। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल का कहना है कि पानी की राजनीति करने वालों को मुंह की खानी पड़ती है और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल इसका उदाहरण हैं। गोयल ने कहा कि पंजाब की भगवंत मान सरकार पानी के लिए ओछी व गंदी राजनीति कर रही है। वहीं हरियाणा की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी का कहना है जब पंजाब व हरियाणा दोनों ही भारत के अंग हैं तो ऐसे में इस स्तर की घटिया राजनीति करना अनुचित व असंवैधानिक है। श्रुति ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जिस तरह से हर मर्यादा पार की है तो पंजाब की जनता उनको दंड जरूर देगी। श्रुति चौधरी ने कहा कि दिल्ली चुनाव के समय भी इन्होंने यमुना के पानी के बारे में गैर जिम्मेदाराना बात की थी, तो दिल्ली की जनता ने उनको सजा दी और अब पंजाब की जनता इनको सजा देगी। श्रुति चौधरी ने कहा कि भगवंत मान एक संवैधानिक पद पर हैं और उन्हें इस पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। इसी प्रकार हरियाणा के हिस्से के पानी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुर्जेवाला, सिरसा की सांसद व कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा, इनैलो सुप्रीमो अभय चौटाला, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली सहित अनेक नेता भी आवाज उठा चुके हैं।

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