हाईकोर्ट पहुंचा कुरुक्षेत्र में किसानों पर लाठीचार्ज का मामला, डीजीपी को मिले आदेश

Edited By Shivam, Updated: 18 Sep, 2020 03:51 PM

haryana highcourt hearing on lathicharge case in kurukshetra

कुरुक्षेत्र में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की जांच के लिए व भविष्य में ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सबका मंगल हो संस्था से जुड़ी ‘हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन’ की याचिका पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने...

चंडीगढ़/कुरुक्षेत्र (धरणी): कुरुक्षेत्र में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की जांच के लिए व भविष्य में ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सबका मंगल हो संस्था से जुड़ी ‘हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन’ की याचिका पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने डीजीपी हरियाणा को आदेश दिए हैं कि पहले से डीके बासू बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई हिदायतों की सख्ती से अनुपालना करते हुए सुनिश्चित करें कि सभी पुलिस कर्मचारी अपनी समुचित पहचान, यूनिफॉर्म व नेम प्लेट आदि के साथ ही प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी पर तैनात हों। ड्यूटी पर नियुक्त सभी कर्मचारियों की विस्तृत जानकारी रजिस्टर में दर्ज हो व पुलिस कार्यवाही के दौरान घायल हुए प्रदर्शनकारी किसानों को को तुरंत चिकित्सा सहायता मिले।



‘हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन’ के संयोजक दीपक लोहान ने एडवोकेट प्रदीप रापडिय़ा व प्रवीन कुमार के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि कृषि अध्यादेशों के विरोध में रैली निकाल रहे किसानों पर पुलिस के भेष में बिना वर्दी वाले व्यक्ति ने लाठीचार्ज करते हुए कई किसानों के सिर फोड़ दिए। और तो और जान बचाकर भागते हुए बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा गया। 

इस बारे में याचिका के साथ फोटो लगाते हुए कोर्ट को बताया गया कि बिना वर्दी के लाठीचार्ज करते हुए व्यक्ति की फोटो व वीडियो के वायरल होने से पुलिस द्वारा व्यवस्था बनाने के नाम पर लोगों से की जा रही ज्यादती की जमकर आलोचना हो रही है और साथ में पुलिस विभाग की बदनामी हो रही है।

PunjabKesari, Lathicharge

याचिका में कहा गया कि गृह मंत्री अनिल विज ने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है कि पुलिस द्वारा कोई लाठीचार्ज किया ही नहीं गया। दूसरी तरफ हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री व कई लोकसभा सदस्‍यों ने लाठीचार्ज को गलत ठहराया और जांच की मांग की। ऐसे में मामले की गहन जांच जरुरी है।

याचिका में पंजाब पुलिस रूल के बिंदु 4.4 की तरफ ध्यान दिलाते हुए कोर्ट को बताया गया कि इस रूल में साफ तौर पर कहा गया है कि अपनी शक्तियों के प्रयोग के दौरान कोई भी पुलिस कर्मचारी बिना वर्दी के नहीं होगा और बिना वर्दी वाले कर्मचारी को को अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान हुए उस पर हमले के बारे में कोई कानूनी विभागीय संरक्षण/सुरक्षा नहीं मिलेगी।

किसान संगठन के वकील प्रदीप रापडिय़ा की बहस सुनाने के बाद कोर्ट ने याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि याचिका में लगाए गए आरोपों के बारे में कोर्ट कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती लेकिन पहले से डीके बासू बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिस महकमे को दी गई हिदायतों की सख्ती अनुपालना होनी चाहिए और याचिकर्ता द्वारा दिए गए लीगल नोटिस पर त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए।

Related Story

Trending Topics

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!