हरियाणा सरकार नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाओं में लीकेज व नकल रोकने के लिए संजीदा

Edited By Isha, Updated: 26 Sep, 2021 12:53 PM

haryana government is serious about preventing leakage

हरियाणा सरकार नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाओं में लीकेज व नकल रोकने के लिए संजीदा है। विधानसभा सत्र में हरियाणा में नकल कराने और पेपर लीक कराने पर पकड़े जाने पर अभ्यर्थी दो वर्ष तक कोई कोई भी प्रतियोगी परीक्षा नहीं दे सकेंगे। यदि कोई अभ्यर्थी...

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा सरकार नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाओं में लीकेज व नकल रोकने के लिए संजीदा है। विधानसभा सत्र में हरियाणा में नकल कराने और पेपर लीक कराने पर पकड़े जाने पर अभ्यर्थी दो वर्ष तक कोई कोई भी प्रतियोगी परीक्षा नहीं दे सकेंगे। यदि कोई अभ्यर्थी पेपर लीक या नकल करने में शामिल पाया जाता है तो दो वर्ष की अवधि के लिए उसे किसी भी भर्ती परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा। 

वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि जीरो टॉलरेंस नीति को अपनाया गया है और अब एक कदम और आगे बढ़ाते हुए पेपर लीक नेटवर्क को खत्म करने के लिए जानकारी देने हेतु राज्य सतर्कता ब्यूरो का एक टोल-फ्री नंबर 18001802022 शुरू किया गया है। इस नंबर पर अभ्यर्थियों पेपर लीक की एवज में पैसे मांगने वालों की जानकारी दे सकते हैं। उन्होंने सभी अभ्यर्थियों से आग्रह किया कि कभी भी पेपर लीक से जुड़े लोगों ने उनसे संपर्क किया हो जो उन्हें परीक्षा के प्रश्नपत्रों या उत्तर कुंजी को एडवांस में देने का दावा करते हैं तो अभ्यर्थी इस टोल-फ्री नंबर पर ऐसे सभी लोगों की जानकारी तुरंत साझा करें ताकि उन्हें पकड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि इन अपराधियों को जड़ से पकडऩे में जनभागीदारी निश्चित रूप से अहम भूमिका निभा सकती है।

हरियाणा के एडवोकेट जरनल बलदेव राज महाजन मानते हैं कि यह एक बहुत अच्छा कदम है। क्योंकि किसी भी रिक्रूटमेंट के टेस्ट कराने के लिए प्रार्थी लाखों में होते हैं। उन्होंने बहुत मेहनत की होती हैं और लास्ट मूवमेंट पर पेपर लीक हो जाता है तो विद्यार्थियों की बड़ी हानि होती है। पेपर की तैयारी में आया खर्च भी वेस्ट हो जाता है। रिक्रूटमेंट भी डिले हो जाती है। एक दो घटनाएं लगातार हुई। कुछ लोगों का षडयंत्र भी सामने आया। इसलिए सरकार ने इस अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ मजबूत और सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूत प्रावधान किया है। इन केसों में शामिल लोगों की प्रॉपर्टी भी अटैच की जा सकती है। ताकि पेपर लीक आउट से होने वाली हानि इन लोगों से रिकवर की जा सके। साथ ही साथ रूटीन से ज्यादा सख्त सजाएं भी इसमें शामिल की गई हैं। तुरंत उनके खिलाफ एक्शन लेने का भी प्रावधान किया गया है। 

महाजन कहते हैं कि आईपीसी में रूटीन में जरूर प्रावधान है। लेकिन ऐसे प्रावधानों में सालों साल लग जाते हैं। नए कानून में एक नई व्यवस्था की गई है, जिसमें स्पेशल जांच होगी। पहले से ज्यादा सजा का प्रावधान होगा, इसमें स्पेशल प्रोविजन जोड़ी गई है, क्योंकि प्रार्थियों की भी भारी हानि होती है। लाखों प्रार्थियों का कई बार करोड़ों खर्च होता है। पेपर लीक होने की वजह से वह कैंसल करना पड़ता है। देश के करोड़ों रुपए खराब हो जाते हैं। इस एक्ट में यह प्रोविजन ऐड की गई है कि जो भी आर्थिक हानि होगी, इस अपराध में संलिप्त पाए जानेे वाले लोगों की प्रॉपर्टी अटैच की जा सकती हैं। उनसे रिकवरी की जा सकती है। पहले आईपीसी में रिकवरी को लेकर कोई प्रावधान नहीं था। इस अपराध को और भी गंभीर बना दिया गया है। ताकि लोग इस अपराध से बचें।

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चैयरमैन भोपाल सिंह खदरी कहते हैं कि हमने इस बार प्रश्नपत्र के हर पेज पर बारकोड दिया गया है। बारकोड में कैंडिडेट और उसका सेंटर (संस्था) उसमें उसकी जानकारी हिडन होती है। बच्चे का रोल नंबर व सेंटर कोड इसमें होता है। अगर यह पेपर कहीं से किसी भी वजह से आउट हुआ तो आयोग और पुलिस को तुरंत पता चल जाएगा कि यह पेपर कौन से स्कूल से और कौन से कैंडिडेट का आउट हुआ है। पहले पुलिस हवा में तीर मारती थी। अब वह एग्जैक्ट कैंडिडेट के पास पहुंचेगी और उसे गिरफ्तार करेगी। स्कूल का सुपरिटेंडेंट स्टाफ भी इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होगा। इन सभी में बारकोड का यह फार्मूला अपनाया गया। कोई भी व्यक्ति किसी भी संसाधन से प्रश्नपत्र के पेज की इमेज लेगा या किसी प्रकार से सॉल्व करवाने की कोशिश करेगा तो सारी बात आसानी से आयोग और पुलिस के सामने होगी।

भोपाल सिंह खदरी कहते हैं कि सख्त कानून जरूरी था क्रिमिनल लॉ में इस प्रकार के मामलों में साधारण ट्रीट होता था। सजा का कोई प्रावधान नहीं था। बेल भी हो जाती थी। अब सरकार ने यह कड़ा कानून बनाया है। इसमें दोषी व्यक्ति की संपत्ति तक जब्त करने का प्रावधान है। 7 साल की सजा और 10 लाख के जुर्माना का प्रावधान है। कानून का भय होना जरूरी है। हालांकि सख्त कानून के बावजूद आज भी हत्याएं होती हैं। लेकिन सख्त कानून बनने के बाद अब कहीं ना कहीं इस प्रकार के मामलों पर अंकुश लगेगा।

यह होगी सजा और जुर्माना
पेपर लीक में शामिल गिरोह के लोगों पर अपराध साबित होने पर सात से दस साल तक की कैद और न्यूनतम दस लाख रुपये का जुर्माना भुगतना होगा। जुर्माना नहीं दे पाने की स्थिति में उनकी चल-अचल संपत्ति को कुर्क कर इसकी भरपाई की जाएगी। ड्यूटी पर तैनात स्टाफ या निरीक्षण दस्ते को डराने-धमकाने या लालच देने का आरोप साबित होने पर दो साल तक की सजा और पांच हजार रुपये तक का जुर्माना होगा। भर्ती परीक्षा से जुड़ा कोई व्यक्ति पेपर लीक में शामिल होता है तो उसे सात साल तक कैद और एक से तीन लाख रुपये तक जुर्माना भुगतना पड़ेगा। पेपर लीक में शामिल छात्र को दो साल की कैद और पांच हजार रुपये का जुर्माना भुगतना होगा। इसके अलावा उस पर दो साल के लिए किसी भी भर्ती परीक्षा में शामिल होने पर प्रतिबंध रहेगा।

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