हरियाणा सरकार ने रिटायरमेंट के 3 दिन बाद अशोक खेमका को दी राहत, इस केस की नहीं होगी जांच

Edited By Isha, Updated: 03 May, 2025 11:39 AM

haryana government gave relief to ashok khemka 3 days after his retirement

हरियाणा सरकार ने तीन दिन पहले रिटायर हुए चर्चित आईएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका को रिटायरमेंट के बाद बड़ी राहत प्रदान की है। प्रदेश सरकार ने उनके विरुद्ध पंचकूला थाने में दर्ज भ्रष्टाचार निरोधक

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने तीन दिन पहले रिटायर हुए चर्चित आईएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका को रिटायरमेंट के बाद बड़ी राहत प्रदान की है। प्रदेश सरकार ने उनके विरुद्ध पंचकूला थाने में दर्ज भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा में दर्ज एफआईआर की जांच की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। खेमका को इसका फायदा यह होगा कि अब उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर खुद ही समाप्त हो जाएगी।

खेमका ने अपने विरुद्ध दर्ज एफआईआर की प्रतिक्रिया में आईएएस अधिकारी संजीव वर्मा के विरुद्ध भी पंचकूला थाने में क्रॉस एफआईआर दर्ज कराई थी। संजीव वर्मा हालांकि चाहते थे कि उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर की जांच कराई जाए, इसे लेकर उन्होंने प्रदेश सरकार व पुलिस महानिदेशक को कई बार पत्र लिखे तथा वे राज्य मानवाधिकार आयोग में भी गए, लेकिन सरकार ने वर्मा के विरुद्ध दर्ज एफआईआर की जांच की भी अनुमति नहीं दी है। नतीजतन संजीव वर्मा के विरुद्ध दर्ज एफआईआर भी स्वतः ही खत्म हो जाएगी। दोनों अधिकारियों का यह विवाद हरियाणा वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन में नियुक्तियों से जुड़ा है।
 

अशोक खेमका 1991 बैच के आइएएस अधिकारी हैं और 30 अप्रैल को रिटायर हो चुके हैं। संजीव वर्मा साल 2004 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और खेल महानिदेशक, आयुष महानिदेशक तथा विदेश सहयोग विभाग के महानिदेशक पद पर कार्यरत हैं। उनकी रिटायरमेंट 30 अप्रैल 2027 को है। दोनों अधिकारियों को चूंकि ईमानदार माना जाता है, इसलिए भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनके पेंच फंसे हुए थे। ||

दोनों का विवाद इतना बढ़ चुका था कि करीब तीन साल पहले उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं में एक दूसरे के विरुद्ध पंचकूला थाने में एफआईआर दर्ज करानी पड़ गई थी। उस समय के गृह मंत्री अनिल विज इस पूरे प्रकरण में अशोक खेमका के साथ खड़े नजर आए थे।  

किसी भी आईएएस अधिकारी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने से पहले सरकार की अनुमति प्राप्त करना जरूरी होता है, लेकिन पंचकूला पुलिस ने खेमका व वर्मा के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने से पहले आश्चर्यजनक रूप से सरकार से अनुमति प्राप्त नहीं की थी।
 

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