Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 03 Oct, 2023 08:45 PM

हरियाणा की मंडियों में खरीफ विपणन सीजन- 2023 के दौरान धान व बाजरे की खरीद सुगमता से जारी है। अब तक प्रदेश में 8.06 लाख मीट्रिक टन धान तथा 1.14 लाख मीट्रिक टन बाजरे की खरीद की जा चुकी है और 32 हजार से ज्यादा किसानों को डीबीटी के माध्यम से फसल खरीद के...
चंडीगढ़(चन्द्रशेखर धरणी): हरियाणा की मंडियों में खरीफ विपणन सीजन- 2023 के दौरान धान व बाजरे की खरीद सुगमता से जारी है। अब तक प्रदेश में 8.06 लाख मीट्रिक टन धान तथा 1.14 लाख मीट्रिक टन बाजरे की खरीद की जा चुकी है और 32 हजार से ज्यादा किसानों को डीबीटी के माध्यम से फसल खरीद के 690 करोड़ रुपये का भुगतान सीधे उनके खातों में किया जा चुका है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खरीफ फसलों की जल्द आवक होने के मद्देनजर किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस बार पहली अक्तूबर की बजाय सितंबर माह में ही खरीफ फसलों की खरीद आरंभ करने का निर्णय लिया था। समय से पहले खरीफ फसलों की खरीद आरंभ करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार किसानों की मांग पर 25 सितंबर को धान की खरीद शुरू की गई थी और इसके लिए प्रदेश में 231 मंडियां बनाई गई। खरीफ विपणन सीजन- 2023 के दौरान कुल 60 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा 4.83 लाख मीट्रिक टन, हैफेड द्वारा 2.49 लाख मीट्रिक टन तथा हरियाणा राज्य भण्डारण निगम 74 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है। इस खरीद हेतु 25815 किसानों को तय समय अवधि के अंदर-अंदर 653.17 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है।
इसी प्रकार, प्रदेश में 23 सितंबर से आरंभ हुई बाजरे की खरीद के लिए प्रदेश में 93 मंडियां बनाई गई। खरीफ विपणन सीजन- 2023 के दौरान भारत सरकार द्वारा टीपीडीएस के लिए 1.50 लाख मीट्रिक टन तथा पीएम पोषण के लिए 1 लाख मीट्रिक टन बाजरे की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभी तक हैफेड द्वारा 1.14 लाख मीट्रिक टन बाजरा खरीद गया है और 6236 किसानों को 36.82 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है।
इतना ही नहीं, मक्का की खरीद के लिए भी प्रदेश में 19 मंडियां बनाई गई हैं। इतना ही नहीं, किसानों को मंडियों में अपनी उपज बेचने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए सरकार ने समुचित प्रबंध किए हैं। मंडियों व खरीद केंद्रों में बेल्स, अन्य आवश्यक सामग्री सहित किसानों के लिए बुनियादी न्यूनतम सुविधाएं उपलब्ध हैं।
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