टिड्डी का हमला : 37 साल बाद फिर खतरे के मुहाने पर हिसार

Edited By Isha, Updated: 29 Jan, 2020 01:20 PM

grasshopper attack hisar again at the mouth of danger after 37 years

37 साल के बाद एक बार फिर से हिसार जिले पर टिड्डी दल के हमले की आशंका बढ़ गई है। हालांकि अभी तक जिले में टिड्डियों की कोई मूवमैंट नहीं देखी गई है लेकिन कृषि विभाग ने आशंका को देखते हुए

हिसार(रमनदीप): 37 साल के बाद एक बार फिर से हिसार जिले पर टिड्डी दल के हमले की आशंका बढ़ गई है। हालांकि अभी तक जिले में टिड्डियों की कोई मूवमैंट नहीं देखी गई है लेकिन कृषि विभाग ने आशंका को देखते हुए इस बारे में अलर्ट जारी किया है। फिलहाल राजस्थान के जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर आदि एरिया में टिड्डी से सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ है। कृषि विभाग व मौसम विभाग की माने तो मौसम के परिवर्तन के कारण हो सकता है टिड्डी दल हरियाणा की ओर मूव कर जाए, अगर ऐसा होता है तो हिसार सहित राजस्थान के साथ लगते जिलों में सबसे बड़ा खतरा हो सकता है। पश्चिमी हवा चलने व साफ मौसम में टिड्डी दल एक दिन में 150 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर सकता है। राजस्थान में टिड्डियों की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

अनुकूल वनस्पति के कारण टिड्डी दल के हमले की ज्यादा आशंका
भारत में वर्ष 1978, 1983, 1986, 1989, 1993, 1997, 2005, 2010 व 2019 में टिड्डी दल ने हमला किया है। इनमें से 1983 में टिड्डी दल हिसार तक पहुंच गया था। टिड्डी दल के इस हमले ने जिले की फसलों, पेड़-पौधों को खाकर चट कर दिया था। मौसम व कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार हिसार 3 ओर से राजस्थान से घिरा हुआ है। इसके अलावा यहां के पेड़-पौधे और जमीन रेतीली है जैसी टिड्डियों को जरूरत होती है। अगर मौसम साफ रहता है और तापमान में बढ़ौतरी होती है तो पश्चिमी हवा चलने की संभावना बन सकती है। अगर मौसम टिड्डियों के अनुसार बनता है तो हिसार तक आने का उनका खतरा बन सकता है। इसी खतरे के अंदेशे को देखते हुए विभाग ने इस बारे में अलर्ट जारी कर किसानों को सतर्क किया है।

अगर हमला हो तो किसान ऐसे करें फसल का बचाव 
अगर टिड्डी दल का हमला होता है तो इनसे फसल बचाने के लिए किसान ढोल आदि बजाकर शोर करें और खेत में दल को उतरने न दें। इसके अलावा रात को जब टिड्डी एक जगह पर बैठ जाएं तो उन पर कीटनाशक का छीड़काव किया जा सकता है। बिना उड़ सकने वाली नवजात टिड्डी को मिट्टी में दबाकर खत्म किया जा सकता है। कीटनाशक स्प्रे टिड्डïी दल के ठहराव के समय ही करें तथा हवा की दिशा में ही स्प्रे करें। किसान निर्धारित मात्रा में क्लोरेपायरिफॉस 20 प्रतिशत ईसी, क्लोरेपायरिफॉस 50 प्रतिशत ईसी, डेल्टामेथलिन 2.8 प्रतिशत ईसी तथा ले बडासायलोथिन 5 प्रतिशत ईसी कीटनाशकों में से किसी भी एक को निर्धारित मात्रा में पानी के घोल के साथ टिड्डïी प्रभावित क्षेत्र में स्प्रे करवाएं।

अंतर्राष्ट्रीय रेगिस्तानी कीट है टिड्डी 
टिड्डी एक अंतर्राष्ट्रीय रेगिस्तानी उडऩे वाला कीट है जिसका वैज्ञानिक नाम शिस्टोसरका ग्रेगेरिया है। यह मुख्यत कैस्पियन सागर के आसपास ईरान, अफगानिस्तान, रूस, अरब देशों में पाई जाती हैं। ये सर्दी के मौसम में भूख मिटाने व प्रजनन के लिए कुवैत, पाकिस्तान होते हुए भारत के राजस्थानी एरिया तक पहुंचती हैं। टिड्डी दल के रूप में उड़ती हैं और एक दिन में हवा की दिशा में 150 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर सकती हैं। एक वर्गकिलोमीटर के एरिया के दल में 8 करोड़ तक टिड्डियां हो सकती हैं।

हैल्प डैस्क स्थापित
उप-कृषि निदेशक डॉ. विनोद फोगाट ने बताया कि टिड्डी से संबंधित सूचना के लिए जिला स्तर पर हैल्प डैस्क नंबर 01662-225715 स्थापित किया गया है। इसके लिए पौध संरक्षण अधिकारी डॉ. अरूण कुमार यादव को जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इनके मोबाइल नंबर 92158-09009 पर किसान टिड्डïी दल के बारे में सूचना दे सकते हैं। किसी भी किसान भाई या अन्य किसी व्यक्ति को टिड्डïी नजर आती है तो उसकी सूचना संबंधित कृषि विकास अधिकारी के हैल्प डैस्क नंबर पर दें ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके। टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु कृषि विभाग एवं पूरा प्रशासन बचाव कार्य में कार्यरत है।

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