Edited By Saurabh Pal, Updated: 09 Jan, 2024 02:59 PM
लोकसभा चुनाव से पहले किसानों ने एक बार फिर से भाजपा सरकार के खिलाफ कमर कस ली है। कयास लगाए जा रहे हैं कि फरवरी माह के अंत में या फिर मार्च के पहले सप्ताह में लोकसभा चुनावों की घोषणा चुनाव आयोग कर सकता है...
सोनीपत(सन्नी मलिक): लोकसभा चुनाव से पहले किसानों ने एक बार फिर से भाजपा सरकार के खिलाफ कमर कस ली है। कयास लगाए जा रहे हैं कि फरवरी माह के अंत में या फिर मार्च के पहले सप्ताह में लोकसभा चुनावों की घोषणा चुनाव आयोग कर सकता है, लेकिन उससे पहले फरवरी माह के बीच में किसान एक बार फिर सरकार के सामने मुसीबत खड़ी करने का दावा कर रहे हैं। उसके लिए किसान संगठनों में लगातार बैठकों का दौर जारी है। सोनीपत में किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने एक ऐसा दावे से एक बार फिर से किसान आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है।
26 नवंबर 2020 को दिल्ली की तरफ कूच कर रहे थे और रामलीला मैदान में एकजुट किसानों को होना था, ताकि कृषि कानून रद्द हो सके। लेकिन हरियाणा और दिल्ली पुलिस ने किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर ही रोक दिया। जिसके बाद किसानों ने वहीं जमावड़ा लगा दिया। उसके बाद सबने देखा कि करीब 13 माह तक किसान सरकार के सामने अड़े रहे और इसको किसान आंदोलन का नाम दिया गया। सरकार ने कुछ मांगों पर सहमति जताते हुए इस किसान आंदोलन को खत्म करवाया।
लेकिन एक बार फिर किसान आंदोलन की आहट सुनाई दे रही है। क्योंकि सरकार ने तीन कृषि कानून को तो रद्द कर दिया था। परंतु किसानों की कुछ मांगे आज भी लंबित हैं। जिसको लेकर एक बार फिर किस सरकार के खिलाफ एक आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। 13 फरवरी 2024 को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और लगभग उत्तर भारत के कई किसान संगठन लाखों की संख्या में किसानों को लेकर दिल्ली कूच की तैयारियां कर रहे हैं। किसान नेता लगातार इसको लेकर बैठक कर रहे हैं, ताकि किसानों का समर्थन जायदा से ज्यादा संख्या में जुटाया जा सकें।
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि 13 फरवरी को एक बार फिर किसान संगठन दिल्ली कूच को की तैयारी कर रहे हैं। क्योंकि सरकार ने हमारी कुछ मांगे लंबित रख ली थी। उनको अभी तक लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को एमएसपी गारंटी कानून बनाना था। स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करना था, भूमि अधिग्रहण बिल 2013 लागू करवाने सहित कई मांगें अभी भी लंबित हैं। जिसको लेकर किसान पंजाब में बैठक कर रहे है। जिसमें तय हुआ कि 1 महीने तक हम किसानों का समर्थन जुटाएंगे और चंडीगढ़ में इसको लेकर एक बैठक अहम करेंगे। वहीं 6 सदस्यों की एक कमेटी भी बनाई गई है, जोकि उन किसान नेताओं से बात करेगी। जिन्होने चुनाव लड़ा था ताकि वो इस आंदोलन में राजनीति की बात ना करें। इस आंदोलन का स्वरूप भी किसान आंदोलन जैसा हो सकता है।
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