किसान बोले : सब्र का इम्तिहान ले रही सरकार, कानून रद्द करवाए बिना नही जाएंगे वापस

Edited By Manisha rana, Updated: 16 Jan, 2021 09:08 AM

farmer  the government is taking patience will not go repealing the law

जैसे कि आशंका थी, नौवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। किसानों का कहना है कि आज नहीं तो कल सरकार को कानून तो वापस करने ही होंगे, बस वह हमारे सब्र की परीक्षा ले रही है। सरकार को कहीं ना कहीं अब भी उम्मीद है कि वह आंदोलन को कमजोर कर देगी या तोड़ देगी...

सोनीपत : जैसे कि आशंका थी, नौवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। किसानों का कहना है कि आज नहीं तो कल सरकार को कानून तो वापस करने ही होंगे, बस वह हमारे सब्र की परीक्षा ले रही है। सरकार को कहीं ना कहीं अब भी उम्मीद है कि वह आंदोलन को कमजोर कर देगी या तोड़ देगी। लेकिन हकीकत यह है कि यह आंदोलन जनाक्रोश हो गया है और देशभर में तेजी से फैल रहा है। ऐसे में 19 जनवरी ना सही, चार दिन बाद सरकार को मानना ही पड़ेगा।

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को लेकर 51 दिन से किसानों ने यहां कुंडली बार्डर पर डेरा जमाया हुआ है। इसके अलावा भी दिल्ली को चारों ओर से घेर रखा है। टोल फ्री हैं, तो बार्डर पूरी तरह जाम किए गए हैं। इस बीच नौ दौर की बातचीत केंद्र सरकार व किसानों के बीच हो चुकी है। नतीजा यह है कि पराली एक्ट और बिजली के बिल 2020 पर सरकार अब तक राजी हुई है। मुख्य दो मांग, तीनों कानून वापस हों और एमएसपी पर गारंटी दी जाए, यह अभी तक ज्यों की त्यों हैं। दसवें की दौर की बातचीत 19 जनवरी को तय हुई है। 

इसे लेकर किसान नेताओं का कहना है कि दरअसल, सरकार पहले दिन से गलतफहमी में है कि किसानों का आंदोलन कमजोर हो जाएगा। 51 दिन बाद भी यह समझ नहीं आया कि यह आंदोलन जनाक्रोश बन गया है। अब यह सरकार को तय करना है कि वह आंदोलन को और कितना व्यापक कराना चाहती है। किसान के बारे में पूरी तरह सरकार नहीं जानती कि वह कितना सब्र और संयम करता है। वहीं, किसान नेताओं का कहना है कि बातचीत के लिए किसान अब मनाही नहीं करेंगे। क्योंकि ऐसा करने से सरकार को लोगों में भ्रम पैदा करने का मौका मिलता है। 

ओडिशा से दिल्ली चलो यात्रा, महराष्ट्र में रैली
डा. दर्शनपाल ने कहा कि सरकार को लगता है कि किसान आंदोलन कमजोर हो रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि शनिवार 16 जनवरी को मुम्बई फाॉर फार्मर्स के बैनर तले महाराष्ट्र के किसान संगठन, अन्य प्रगतिशील संगठनों के साथ मिलकर रैली और आम सभा का आयोजन कर रहे है। वहीं, आज शुक्रवार 15 जनवरी को ओडिशा से "किसान दिल्ली चलो यात्रा शुरू हुई। यह यात्रा अगले सात दिनों में ओड़िशा से पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश होते हुए दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए किसानों के पास 21 तारीख को पहुंचेगी।

इसी तरह किसान ज्योति यात्रा 12 जनवरी से पुणे से शुरू हो चुकी है और यह 26 जनवरी को दिल्ली पहुंचेगी। इसी तरह अन्य प्रदेशों से भी किसान पहुंच रहे हैं। किसान नेता डा. दर्शनपाल ने कहा कि 26 जनवरी की किसानों की ट्रैक्टर परेड को लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। जबकि किसानों के इस शक्ति प्रदर्शन का राजपथ की परेड से कोई सरोकार नहीं है। ये किसानों की अपनी परडे है। इसके लिए 17 जनवरी को जत्थेबंदियों की बैठक में रणनीति तैयार की जाएगी। 18 जनवरी को सुप्रीम इस मामले में कोर्ट में सुनवाई है। 
 

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