बरोदा उपचुनाव से पहले दल-बदल से गड़बड़ा सकते हैं समीकरण!

Edited By Isha, Updated: 10 Oct, 2020 11:27 AM

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बरौदा विधानसभा उपचुनाव को लेकर जहां शुक्रवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई और वहीं सभी दलों की ओर से अब उम्मीदवारों के चयन को लेकर मंथन का सिलसिला भी तेज हो गया है। बरौदा विधानसभा उपचुनाव के वर्तमान परिदृश्य को लेकर ऐसी संभावना जाहिर की जा रही है...

चंडीगढ़( संजय अरोड़ा): बरौदा विधानसभा उपचुनाव को लेकर जहां शुक्रवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई और वहीं सभी दलों की ओर से अब उम्मीदवारों के चयन को लेकर मंथन का सिलसिला भी तेज हो गया है। बरौदा विधानसभा उपचुनाव के वर्तमान परिदृश्य को लेकर ऐसी संभावना जाहिर की जा रही है कि सभी दलों की ओर से इस बार प्रतिष्ठा का प्रश्र बने इस उपचुनाव में नए चेहरों पर दांव खेला जा सकता है। इसके साथ ही आने वाले एक सप्ताह में बरौदा में विभिन्न दलों में दल-बदल की भी संभावना जाहिर की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि इसी साल 12 अप्रैल को बरौदा सीट कांग्रेस के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन होने के बाद रिक्त हो गई थी। इस सीट पर 3 नवम्बर को मतदान होना है और 10 नवम्बर को परिणाम आना है। मतदान में अब महज 24 दिन का वक्त शेष रह गया है। ऐसे में सभी दलों के दिग्गज नेताओं ने बरौदा में डेरा डालना शुरू कर दिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि टिकट आवंटन से पहले भी दलबदल की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता और टिकट से वंचित रहने वाले कई चाहवान बाद में दलबदल भी कर सकते हैं। इस संभावित दल-बदल से कईयों के सियासी समीकरण बन-बिगड़ सकते हैं। सभी दलों के दिग्गज नेता दूसरे दलों में इस तरह के नेताओं को लाने के लिए भी आने वाले दिनों में प्रयास कर सकते हैं, ताकि वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके। उल्लेखनीय है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बरौदा से पहलवान योगेश्वर दत्त को मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस की ओर से लगातार तीसरी बार श्रीकृष्ण हुड्डा को टिकट दिया गया था और वे जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब हुए थे। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार योगेश्वर दत्त को 4,840 वोटों से पराजित किया था। उस चुनाव में जजपा तीसरे, बसपा चौथे जबकि इनैलो पांचवें स्थान पर रही थी।

जींद उपचुनाव के फार्मूले की रणनीति अपना सकती है भाजपा
भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में जींद में जनवरी 2019 में उपचुनाव हुआ था। यह सीट इनैलो से यहां से दो बार विधायक रह चुके हरिचंद मिढ़ा के निधन के रिक्त होने के बाद खाली हुई थी। शुरूआती दौर में जींद उपचुनाव की डगर भाजपा के लिए मुश्किल नजर आ रही थी, क्योंकि न तो उस उपचुनाव से पहले भाजपा इस जाटलैंड पर कभी अतीत में जीत दर्ज कर पाई थी और न ही उस उपचुनाव के लिए भाजपा को कोई सशक्त उम्मीदवार पार्टी में नजर आ रहा था। ऐसे में भाजपा ने एक विशेष रणनीति के तहत हरिचंद मिढ़ा के बेटे डा. कृष्ण मिढ़ा को अपने पाले में कर उन्हें ही उम्मीदवार बनाकर विरोधियों को तगड़ा झटका दिया। बाद में भाजपा ने यह उपचुनाव करीब 11 हजार वोटों से जीता। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि बरौदा में भी पार्टी जींद उपचुनाव का फार्मूला अपना सकती है और दूसरे दलों में सेंध लगा सकती है।

दो बार लग चुकी है हैट्रिक
बरौदा विधानसभा सीट पर कई रोचक तथ्य रहे हैं। 1967 में अस्तित्व में आई इस सीट पर दो बार हैट्रिक लग चुकी है। साल 1991 में रमेश खटक जनता पार्टी से, 1996 में समता पार्टी से और साल 2000 में वे इनैलो से विधायक निर्वाचित हुए। स्व. श्रीकृष्ण हुड्डा कांग्रेस पार्टी से 2009, 2014 एवं 2019 में लगातार तीन बार विजयी हुए। अब तक बरौदा में 13 चुनाव हुए हैं। 6 बार देवीलाल व चौटाला के नेतृत्व वाले सियासी दलों के उम्मीदवार जबकि 6 बार ही कांग्रेस को जीत मिली। एक बार 1968 में हरियाणा विशाल पार्टी को जीत मिली थी।

सभी दलों की ओर से आ सकते हैं जाट उम्मीदवार
बरौदा विधानसभा क्षेत्र में 96,889 पुरुष जबकि 79,416 महिला मतदाता हैं। यहां पर करीब 50 फीसदी जाट मतदाता हैं। पिछले तीन चुनावों में यहां से जाट विधायक निर्वाचित हुए हैं। ऐसे में यहां पर सभी दलों की ओर से जाट चेहरों को ही उम्मीदवार बनाए जाने की पूरी संभावना है। इसके साथ ही सभी दल जाट मतदाताओं पर फोकस भी रखेंगे। गौरतलब है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में जाट मतदाता ने भाजपा से दूर हो गया था। ऐसे में सत्ताधारी भाजपा भी जाटों को अपने पाले में करने के लिए सभी तरह की रणनीति पर काम करेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाली किसी सशक्त महिला उम्मीदवार को भी मैदान में उतार सकती है, जबकि जजपा इस बार भाजपा के साथ सत्ता में सहयोगी है। इसलिए दोनों दलों का एक ही उम्मीदवार होगा और ऐसी संभावना जताई जा रही है कि जजपा के किसी नेता को भाजपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतारा जा सकता है। वहीं कांग्रेस व इनैलो की ओर से भी जाट उम्मीदवारों को ही बरौदा की चुनावी जंग में उतारे जाने की संभावना है।

यह है उपचुनाव का शैड्यूल
शुक्रवार से बरौदा उपचुनाव को लेकर नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 16 अक्तूबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे। 17 अक्तूबर को नामांकन पत्रों की स्कूटनी होगी। 19 अक्तूबर को नामांकन वापिस लिए जा सकेंगे। 3 नवम्बर को मतदान होगा और 10 नवम्बर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।                                                                                                                                                         

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