हरियाणा में लगातार जारी है 'सरकार' में 'तकरार', 10 माह में तीसरी बार आमने-सामने आए विज और दुष्यंत

Edited By vinod kumar, Updated: 09 Aug, 2020 10:49 PM

dispute in government continues in haryana

हरियाणा में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पिछले करीब 10 माह से चल रही भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में तकरार कम होने का नाम नहीं ले रही। अब तक की अवधि में किसी न किसी रूप में सामने आ रही आपसी तकरार ने सियासी गलियारों में...

संजय अरोड़ा: हरियाणा में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पिछले करीब 10 माह से चल रही भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में तकरार कम होने का नाम नहीं ले रही। अब तक की अवधि में किसी न किसी रूप में सामने आ रही आपसी तकरार ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा की ही है, वहीं विपक्ष को भी सरकार को घेरने का मौका दे दिया है। 

पूर्व की मानिंद इस बार भी इस हलचल के केंद्र बिंदु प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व गृह मंत्री अनिल विज ही हैं। पार्ट-2 सरकार के इन दस महीनों में विज का किन्हीं बातों को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से विवाद गहराया तो अब उनकी प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से किसी न किसी बहाने लगातार खींचतान जारी है। दुष्यंत के साथ विज की यह दूसरी सीधी तकरार है।

पहले लॉकडाउडन के दौरान बाजारों को खोलने व बंद करने को लेकर आपस में ठनी तो अब एस.आई.टी. की रिपोर्ट के बाद सरकार द्वारा आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों के खिलाफ तैयार की गई एक्शन रिपोर्ट को लेकर मुद्दा गर्माया हुआ है। खास बात ये है कि भले ही उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शराब घोटाले के मामले में एक्शन के राडार पर आए आई.ए.एस. अधिकारी शेखर विद्यार्थी को क्लीन चिट देने का प्रयास किया है लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपना स्टैंड क्लीयर करते हुए साफ संकेत दिया है कि भ्रष्टाचार के मामले में भले ही कोई भी हो, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

ऐसे में राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि विज की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री के इस वक्तव्य के कई मायने हैं और इसके तहत जहां मुख्यमंत्री खट्टर ने भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसने का इरादा साफ किया है तो वहीं उन्होंने ये भी साबित किया है कि इस मामले में वे पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं है कि सरकार के अंदर चल रही इस खींचतान से जहां विपक्षीदलों को सियासी हमला करने का मौका मिल गया है तो वहीं अब हाईकमान भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है। देखना ये होगा कि गृहमंत्री बनाम उपमुख्यमंत्री के बीच गहरी हो रही खाई को किस रूप में पाटा जाएगा। 

ऐसे पनप रहा विवाद
गौरतलब है कि बीती 7 अगस्त को एस.आई.टी. ने प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले के मामले में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आते ही गृहमंत्री अनिल विज ने बिना किसी राजनीतिक दबाव के विचलित हुए सीधे तौर पर आबकारी विभाग के उच्च पदस्थ आई.ए.एस. अधिकारी शेखर विद्यार्थी व सोनीपत की तत्कालीन एस.पी. प्रतीक्षा गोदारा के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा कर दी। 

जैसे ही गृहमंत्री द्वारा इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ तैयार की गई एक्शन रिपोर्ट को सरकार के पास भेजा तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साफ कर दिया कि भ्रष्टाचार किसी सूरत में सहन नहीं होगा और दोषी पर कार्रवाई होगी चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो। इसके बाद से प्रदेश की सियासत में अलग ही माहौल नजर आने लगा। 

चूंकि एक तरफ जहां विपक्षी दलों ने सरकार को इस मामले में घेरना शुरू कर दिया तो वहीं अब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बीते दिवस साफ शब्दों में यह कहते हुए इस रिपोर्ट को चुनौती दी कि आई.ए.एस. शेखर विद्यार्थी निर्दोष हैं।मसलन उन्होंने शेखर विद्यार्थी को क्लीन चिट दे दी। ऐसे में विज और दुष्यंत के बीच आने वाले दिनों में टकराव की स्थिति को नकारा भी नहीं जा सकता।

हाईकमान कर सकता है हस्तक्षेप
प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज की तकरार उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के साथ यह तीसरी बार हुई है। लॉकडाउडन के दौरान जब छूट का दायरा बढ़ाया जाने लगा तो बतौर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने उस वक्त बाजारों को खोलने व बंद करने के लिए अपनी शर्तें नियम के रूप में रख दी थीं जब दुष्यंत चौटाला ने सिरसा में अधिकारियों के साथ बैठक में हरियाणा के बाजारों को पूर्ण रूप से खोलने को कहा।

इसके बाद अनिल विज ने भी बयान जारी कर दिया कि अभी पूर्ण रूप से बाजार नहीं खुलेंगे तब न केवल दुकानदार पशोपेश में थे बल्कि जिलाधिकारी भी असमंजस में आ गए। ऐसे में उस वक्त मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दोनों की खींचतान को मिटाने के लिए एक तोड़ फार्मूले के तौर पर निकाला और कहा गया कि जिला प्रशासन स्वयं ही स्थितिनुसार फैसला लें। अब लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले के मामले को लेकर गठित की गई एस.आई.टी. की रिपोर्ट के कारण दोनों में फिर से ठन सी गई है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री अनिल विज की तकरार मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी हो चुकी है तब विवाद सी.आई.डी. से जुड़ा था। इसके अलावा आई.पी.एस. अधिकारियों की ट्रांसफर लिस्ट जारी की तो उस वक्त भी विज उग्र हो गए और अपनी ही सरकार के मुखिया के समक्ष चुनौती खड़ी करते नजर आए।

जब दोनों के बीच यह मामला गहराता चला गया तो उस समय हाईकमान ने हस्तक्षेप कर साफ कहा कि सरकार का मुखिया मुख्यमंत्री होते हैं और उन्हें सभी अधिकार प्राप्त होते हैं। इसके बाद यह विवाद शांत हुआ तो अब भी भाजपा को समर्थन देने पर उप मुख्यमंत्री बने दुष्यंत चौटाला के मामले में भी हाईकमान स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही हाईकमान हस्तक्षेप कर इस मामले का हल निकालेगा तो वहीं कहा जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के विभागों में भी तब्दीली की जा सकती है।

स्पष्टवादिता और पारदर्शिता को किया पुख्ता
गृह मंत्री व उप मुख्यमंत्री के बीच भले ही कार्रवाई को लेकर आमने-सामने की स्थिति बनती दिखाई दे रही है लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बिना किसी दबाव के आए भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने के मामले में अपना रुख साफ करते हुए इस बात को भी पुख्ता करते नजर आए कि वे अपनी स्पष्टवादिता व पारदर्शिता के समक्ष आने वाली हर चुनौती से गुजर सकते हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि वर्ष 2014 में पहली बार मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल खट्टर ने परम्परावादी राजनीति से हटकर न केवल नए प्रयोगों को जन्म दिया बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना रवैया साफ कर दिया था और खुलकर शासन किया। कमोबेश वही अंदाज पार्ट-2 में भी कायम है, भले ही अब समर्थन के आसरे सरकार क्यों न हो, मगर अपने इरादों पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अब भी अटल और पूर्ण विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

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