बर्खास्त दिव्यांग कर्मी को 28 साल बाद इंसाफ, जानिए क्या है पूरा मामला

Edited By Isha, Updated: 30 Nov, 2025 04:31 PM

disabled worker gets justice after 28 years

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 1997 में बिजली बोर्ड के कर्मचारी को ड्यूटी पर हुए एक एक्सीडेंट में 70 फीसदी दिव्यांग होने के बाद नौकरी से निकालने को गैर कानूनी करार देते हुए उसकी पूरी सर्विस 1974 से 2015 तक

चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 1997 में बिजली बोर्ड के कर्मचारी को ड्यूटी पर हुए एक एक्सीडेंट में 70 फीसदी दिव्यांग होने के बाद नौकरी से निकालने को गैर कानूनी करार देते हुए उसकी पूरी सर्विस 1974 से 2015 तक बिना किसी ब्रेक के लगातार मानने का आदेश दिया है। फोर्ट ने 1997 से 2015 तक का वेतन, पदोन्नति व अन्य लाभ जारी करने का सरकार को आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के चलते दिव्यांग कर्मी को अब 28 साल बाद इंसाफ मिला है।

याचिकाकर्ता 1974 में हरियाणा बिजली बोर्ड में वर्क-चार्ज टी-मेट के तौर पर शामिल हुज्य था और 1982 में रेगुलर हो गया था। 1997 में गंभीर इलेक्ट्रिक शॉक लगने से यह 70 प्रतिशत दिव्यांग हो गया और उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद याची ने चुनौती दी थी और सेवानिवृत्ति तक की अवधि के लिए वेतन व अन्य लाभ जारी करने की अपील की थी। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याची ने आदेश को चुनौती नहीं दी और चपरासी के तौर पर नई नियुक्ति स्वीकार कर ली थी। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड ने कहा कि कर्मचारी दीप चंद ने अपनी सर्विस खत्म होने के बाद मजबूरी में चपरासी की नौकरी स्वीकार कर ली थी क्योंकि यह एक्सीडेंट के बाद गरीबी का सामना कर रहा था।  

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