मददगार साबित हो रहा डायल 112, एक्सीडेंट हो या फिर क्राइम, कॉल करते ही पहुंच रही है पुलिस

Edited By Isha, Updated: 29 Jul, 2023 08:45 AM

dial 112 is proving helpful

सदा से बुलंद रहे हरियाणा पुलिस के नारे "सेवा, सुरक्षा और सहयोग" को ओर अधिक विश्वसनियता देने व अधिक प्रखर - मजबूत बनाने में प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज द्वारा एक अहम भूमिका हमेशा निभाई गई। गृह मंत्री ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट डॉयल 112 के माध्यम से...

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): सदा से बुलंद रहे हरियाणा पुलिस के नारे "सेवा, सुरक्षा और सहयोग" को ओर अधिक विश्वसनियता देने व अधिक प्रखर - मजबूत बनाने में प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज द्वारा एक अहम भूमिका हमेशा निभाई गई। गृह मंत्री ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट डॉयल 112 के माध्यम से पुलिस और जनता के बीच एक प्रभावशाली ऐसे पुल का निर्माण किया जिसके सार्थक परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं। डॉयल 112 के गठन के बाद जहां आम आदमी में पुलिस की उपलब्धता के प्रति विश्वास कायम हुआ है, वहीं असामाजिक व शरारती तत्वों तथा बदमाशों में पुलिस प्रशासन का खौफ भी बेहद बढ़ा है। प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने डॉयल 112 सेवा को केवल सड़क दुर्घटना तक सीमित न रखते हुए किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति झगड़ा, आग लगने की घटना या स्वास्थ्य खराब होने की स्थिति सहित अन्य प्रकार की किसी भी आपात स्थिती से निपटने को भी इसी में शामिल किया है। 


साइबर अपराध को जड़ से मिटाने के लिए डायल 1930 सेवा की शुरु

इसके साथ ही प्रदेश में तेजी से बढ़ रही साईबर अपराध की घटनाओं पर भी गृहमंत्री पूर्ण रूप से सजग- जागरूक व गम्भीर नजर आए। अनिल विज द्वारा साइबर अपराध की रिपोर्ट सीधे विभाग तक पहुंचाने के लिए डॉयल 1930 जैसी बेहतरीन पहल की है। इस सेवा की शुरुआत ने परेशानी के वक्त लोगों के लिए बड़ी राहत देंने का काम किया है। इस सेवा की शुरूआत केवल इसी उद्देश्य से की गई है क्योंकि मंत्री तक प्रदेशभर से लगातार शिकायतें पहुंच रही थीं कि थानों व चौकियों में साईबर अपराध से जुड़ी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं की जाती है, ऐसे मामलों में कार्यवाही नहीं की जाती है और इसी का ही परिणाम है कि इस प्रकार के अपराधों में लगातार इजाफा हो रहा था। गृह मंत्री द्वारा इस मुद्दे को गंभीरता से लिए जाने के बाद शुरु की गई डॉयल 1930 सेवा की। परिणाम स्वरूप पुलिस प्रशासन के पास रोजाना 1000 से 1200 शिकायतें रोजाना पहुंच रही हैं, जिसकी पुष्टि खुद डायल 1930 प्रभारी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजेंद्र सिंह मीणा करते हैं। 


असामाजिक तत्वों तथा अपराधियों की सोच को कुचल रही है डायल 112

 

सभी आपातकालीन सेवाएं चाहे पुलिस सहायता की बात हो, मेडिकल सेवा की हो या अग्निशमन सेवा की, सभी इन बेहद आपात सेवाओं का विलय एक ही नंबर में करने का जो कार्य प्रदेश के गृह विभाग ने किया वह आमजन के लिए बेहद लाभदायक साबित हो रहा है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की उपलब्धियों की अगर बात की जाए तो ऐसे अनगिनत लाभ जनता को हुए हैं जिनकी गिनती और आंकलन शायद संभव ही नहीं। डायल 112 एक ही स्थान से सभी आपातकालीन मदद उपलब्ध करने की सोच पर आज पूरी तरह से खरा साबित हो रहा है। बेशक समय-समय पर पुलिसिया कार्यवाही पर प्रश्न चिह्न भी लगता रहा हो, लेकिन पुलिस की उपलब्धता से आम आदमी में भरोसे और विश्वास का संचार भी अवश्य होता है। वही तुरंत प्रभाव से पुलिस की मौजूदगी होना जहां असामाजिक- शरारती तत्वों तथा अपराधियों की सोच को कुचलने में भी कारगर साबित होती रही है। आज लगातार अपराधों पर अंकुश लगाने में डायल 112 की अगर अहम भूमिका कहें तो गलत नहीं होगा। इसी कारण आज प्रदेशभर में क्राइम रेट में लगातार कमी भी आई है।


अपराधियों द्वारा निंदा और आम जनता द्वारा साधुवाद डायल 112 की सफलता का प्रतीक 

 

"जस्ट ए काल अवे, वुई आर रिएडी" कहीं भी -कभी भी- किसी को खतरे की आशंका होने पर तुरंत प्रभाव से पीड़ित को रिलीफ देने के लिए चंद मिनटों में आज पुलिस का वाहन मौके पर पहुंचता है। मौके के हालातों को काबू करने का तुरंत प्रभाव से काम होना बढ़ने वाले विवाद को रोकने का काम करता है। हर प्रकार की दुर्घटना के दौरान पुलिस की गाड़ी मौके पर पहुंचकर आम जनमानस के लिए वरदान साबित हो रही है। गृहमंत्री की डायल 112 की सोच के कारण कई मामलों में भारी जानमाल के नुकसान बचाया जा सका है। यानि डायल 112 का निर्माण जिस उद्देश्य से हुआ वह उस पर काफी हद तक सही साबित हो रही है। आम जनता में विश्वास और अपराधिक तत्वों में खोफ़ के लिहाज और सोच से बनाई गई डायल 112 अपने उद्देश्य को बेहतरी से पूरा कर रही है। आमतौर पर आज प्रदेश में डायल 112 स्कीम की तारीफ जगह-जगह नजर आने लगी है। बुरे लोगों द्वारा इसकी निंदा और आम जनता द्वारा साधुवाद होना ही इस स्कीम की सफलता और लाभकारी होने का प्रतीक है।


एडीजीपी ए.एस.चावला की तैनाती ने योजना की सफलता पर लगाई मोहर

मात्र 3 न्यूमेरिकल शब्द जनता के लिए एंबुलेंस, पुलिस और अग्निशमन सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं यानि यह योजना प्रदेश की छवि को ओर अधिक ताकत देने वाली साबित हुई है। गृह विभाग द्वारा मानव मूल्यों को सर्वोपरि मानते हुए तथा लोगों को हर प्रकार की राहत देने के लिए भारी-भरकम खर्च उठाकर 630 उम्दा गाड़ियों का बेड़ा खरीदा जाना सरकार की सोच को समझाने के लिए काफी है। इस पूरी योजना को सफल बनाने के लिए उपलब्ध पुलिस बल में से बेहतरीन वाहन चालकों को इसमें तैनाती दी गई ताकि तंग रास्तों- भीड़ी गलियों -बाजारों तक पुलिस की तुरंत प्रभाव से (तत्परता से) पहुंच हो पाए। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के बेहद कर्तव्यनिष्ठ- इमानदार- कार्य कुशल और सख्त अधिकारी माने जाने वाले आईपीएस अरविंदर सिंह चावला को इस योजना का प्रभार सौंपा गया। उनके कुशल संचालन के कारण लगातार गृहमंत्री का यह सपना पूरा हो पा रहा है। जनता सकून से जीवन जी पा रही है और बड़ी-बड़ी घटनाओं- दुर्घटनाओं के दौरान तुरंत प्रभाव से पुलिस की मौजूदगी देखी जा रही है। इस पूरी योजना की सफलता के लिए तकनीकी रूप से बेहद उत्कृष्ट पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक और निरीक्षक रैंक के अधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई। योजना के मुख्यालय पंचकूला में एक विशालकाय टीम तैयार की गई, जिस कारण से ही आज बड़े बड़े हादसों, विवादों को मौके पर ही कंट्रोल किया जा सका है। सैकड़ों जाने बचाई जा सकी हैं। इसी कारण से आज आम जनमानस इस योजना से काफी संतुष्ट नजर आ रहा है। हालांकि प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज अभी भी पूरी तरह से इस कार्य को लेकर संतुष्ट नजर नहीं आ रहे। उनके अनुसार अभी बहुत से सुधार किए जाने बाकी हैं।

डायल 112 के मौजूदा सिस्टम में सुधार की और भी है गुंजाइश

 डायल 112 पुलिस को अभी दूसरी सेवाओं के लिए अन्य विभाग स्वास्थ्य एवं प्राकृतिक आपदा प्रबंधन विभाग के कंट्रोल रूम से सेवाएं उपलब्ध करवाने को लेकर आग्रह करना पड़ता है। इसलिए  आपदा प्रबंधन का सारा अमला एक ही विभाग में उपलब्ध हो तो ज्यादा सार्थकता रह सकती ह। क्योंकि अभी अग्निशमन सेवाएं राजस्व विभाग के पास हैं। लेकिन इन सेवाओं का कोई भी अनुभव -कौशल विभाग के पास नहीं है।  डायल 112 जो  पुलिस विभाग के पास हैं। क्योंकि पुलिस विभाग से इस योजना के लिए भारी मात्रा में अधिकारियों-कर्मचारियों की तैनाती की गई। जिसका सीधा असर पुलिस के दैनिक कार्यों पर पड़ा। इसके साथ ही विभाग में बचे शेष कर्मचारियों पर बोझ ओर अधिक बढ़ गया। जिससे उन्हें नियमित अवकाश मिलने में भी कठिनाइयां आने लगी। 

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