मुख्यमंत्री व उपप्रधानमंत्री बनने वाले देवीलाल कभी पूरा नहीं कर पाए कार्यकाल

Edited By Naveen Dalal, Updated: 16 Jul, 2019 10:03 AM

devi lal who became chief minister and deputy prime minister

‘लालों’ की सियासत के लिए प्रसिद्ध हरियाणा में लाल राजनीति के अहम किरदार थे देवीलाल। देवीलाल दो बार देश के उपप्रधानमंत्री रहे और दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री भी बने। संयुक्त पंजाब के समय साल 1956 में वे कांग्रेस के पहले प्रदेशाध्यक्ष निर्वाचित हुए।...

संजय अरोड़ा : ‘लालों’ की सियासत के लिए प्रसिद्ध हरियाणा में लाल राजनीति के अहम किरदार थे देवीलाल। देवीलाल दो बार देश के उपप्रधानमंत्री रहे और दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री भी बने। संयुक्त पंजाब के समय साल 1956 में वे कांग्रेस के पहले प्रदेशाध्यक्ष निर्वाचित हुए। इससे पहले वे 1952 में पंजाब विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और संसदीय सचिव रहे, पर देवीलाल की सियासी जिंदगी में यह विडम्बना रही कि वे न तो दोनों बार अपना उपप्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा कर सके और न ही दोनों बार हरियाणा के मुख्यमंत्री की टर्म। 

वे कुल मिलाकर डेढ़ साल तक दो बाद उपप्रधानमंत्री, जबकि करीब साढ़े चार साल तक दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे गौरतलब है कि सिरसा के चौटाला गांव में 25 सितम्बर 1914 को जन्मे देवीलाल ने देश व प्रदेश की सियासत में अपनी अहम उपस्थिति दर्ज करवाई और राजस्थान की सीमा से सटे सिरसा जिला के गांव चौटाला से अपना सियासी कॅरियर शुरू करने वाले चौ. देवीलाल ने अपने संघर्ष व राजनीतिक कौशल के बूते न केवल हरियाणा में बल्कि देश की राजनीति में अपनी एक अहम पहचान कायम की। उन्होंने अपने जीवन में 22 चुनाव लड़े, 12 में विजयी हुए। पर उनके साथ यह एक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य ही रहा है कि वे अपनी उपप्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री की टर्म पूरी नहीं कर सके। साथ ही अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में उन्हें 1991, 1996 एवं 1998 में लगातार तीन बार रोहतक संसदीय सीट से भूपेंद्र सिंह हुड्डा से हार का सामना करना पड़ा। 

जबकि 1991 में चौ. देवीलाल जैसे बड़े दिग्गज को घिराय विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार प्रो. छत्रपाल जैसे नए चेहरे से हार का सामना करना पड़ा।

पहली बार 1977 में बने मुख्यमंत्री
जनता पार्टी की लहर पर 75 सीटों पर जीत हासिल कर देवीलाल पहली बार 21 जून 1977 को हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। जनता पार्टी की इस सरकार में लोकदल, भारतीय जनसंघ, संगठन कांग्रेस, कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी, सोशलिस्ट पार्टी एवं भारतीय आर्य सभा कुल 6 घटक दल थे। उस समय देवीलाल दो वर्ष तक ही मुख्यमंत्री रहे। उन्हें 28 जून 1979 को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी। दरअसल 6 जून 1979 को 43 विधायक मोराजी देसाई व चंद्रशेखर से मिले और उनसे कहा कि या तो देवीलाल मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दें या फिर नए सिरे से विश्वास मत प्राप्त करें। 26 जून 1979 को देवीलाल विश्वसात मत हासिल नहीं कर सके।

इसके बाद देवीलाल सरकार में मंत्री रहे भजनलाल पहली बार मुख्यमंत्री बन गए थे। दूसरी बार देवीलाल 17 जुलाई 1987 को हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और वे इस बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इस पद पर वे करीब अढ़ाई वर्ष यानी 21 दिसम्बर 1989 तक रहे। राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होकर कांग्रेस के खिलाफ जनता दल को मजबूत करने व जनता दल के सत्ता में आने के बाद दिसम्बर 1989 में देवीलाल उपप्रधानमंत्री बन गए थे, जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोडऩी पड़ी थी। प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार में देवीलाल 2 दिसम्बर 1989 से 10 नवम्बर 1990 तक उपप्रधानमंत्री रहे और इसके बाद चंद्रशेखर की सरकार में नवम्बर 1990 से लेकर 21 जून 1991 तक उपप्रधानमंत्री रहे। उपप्रधानमंत्री पद पर भी दो बार पहुंचे देवीलाल दोनों ही बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

इन चुनावों में की जीत दर्ज
अपने सियासी जीवन में देवीलाल ने विभिन्न सदनों के 22 चुनाव लड़े और 12 चुनाव में वे विजयी हुए। 1952 में देवीलाल विधानसभा परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए। 1952 में पहले आम चुनाव हुए। इस चुनाव में देवीलाल सिरसा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद 1958 में डबवाली, 1962 में फतेहाबाद, 1975 में रोड़ी, 1977 में भट्टू कलां और फिर 1982 व 1987 में महम विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। वे वर्ष 1989 में  वी.पी. सिंह व चंद्रशेखर की सरकार में उपप्रधानमंत्री पद पर भी विराजमान हुए और 6 अप्रैल, 2001 को जब इस दुनिया से अलविदा ली, तब भी वे रा’यसभा सदस्य थे। 1974 में देवीलाल रोड़ी से जबकि 1985 में वे महम से उपचुनाव भी जीते। देवीलाल रोहतक, सीकर, सोनीपत से सांसद भी रहे।    

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