'वेंटिलेटर पर मरे हुए व्यक्ति को जिंदा नहीं किया जा सकता', डॉ. घोष बता रहे हैं- वेंटिलेटर क्या है?

Edited By Shivam, Updated: 14 Jun, 2021 03:15 PM

dead person cannot be brought alive on ventilator

अस्पताल में मरीज के वेंटिलेटर पर चले जाने पर मरीज के परिजन परेशान हो उठते हैं कि मरीज अत्यधिक खतरे में है। वेंटिलेटर का मतलब वह इस बात से लगाते हैं कि हो न हो मरीज असहाय बीमारी से जूझ रहा है। इस खतरे को भांप कर परिजन ज्यादा ही परेशान होने लगते हैं...

फरीदाबाद (ब्यूरो): अस्पताल में मरीज के वेंटिलेटर पर चले जाने पर मरीज के परिजन परेशान हो उठते हैं कि मरीज अत्यधिक खतरे में है। वेंटिलेटर का मतलब वह इस बात से लगाते हैं कि हो न हो मरीज असहाय बीमारी से जूझ रहा है। इस खतरे को भांप कर परिजन ज्यादा ही परेशान होने लगते हैं जबकि वेंटिलेटर मरीज की जान बचाने के लिए बहुत ही उपयोगी यंत्र हैं इस बात का खुलासा कर रहे हैं फोर्टिस एस्कार्ट के वेंटिलेटर स्पेश्लिस्ट डॉ. सुप्रदीप घोष।


वेंटिलेटर क्या है

डॉ. घोष का कहना है कि वेंटिलेटर एक प्रकार की मशीन है जो मरीज को सांस लेने में मदद करती है। वेंटिलेटर सिर्फ एक ब्लाज है, जोकि मरीज को सांस लेने में हो रही दिक्कत को समाप्त करता है और मरीज इसे आसानी से सांस ले सकता है। वेंटिलेटर का प्रयोग हम उस दशा में भी करते हैं जब मरीज को बेहोशी की हालत में अस्पताल में लाया जाता है, तब उसे श्वसन क्रिया में बहुत दिक्कत हो रही होती है। ऐसे समय में वेंटिलेटर मरीज की जान को बचाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉ. घोष का कहना है कि कुछ बीमारियां जैसे निमोनिया, अस्थमा होने पर मरीज को श्वसन क्रिया में दिक्कत होती है तब वेंटिलेटर ही मरीज को सामान्य स्थिति में लाने का प्रमुख यंत्र है।


वेंटिलेटर का काम 


डॉ. सुप्रदीप घोष का कहना है कि वेंटिलेटर कोई दवाई का कार्य नहीं करता, बल्कि मरीज को केवल स्वस्थ और स्वच्छ आक्सीजन प्रदान करता है। बीमारी केवल दवाई से ही ठीक की जा सकती है और दवाई जब अपना असर दिखाना शुरू कर देती है तो मरीज अपने आप को चुस्त और दुरूस्त महसूस करता है तो ऐसी स्थिति में वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं पड़ती।

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क्या वेंटिलेटर से मृत व्यक्ति को जीवित किया जा सकता है?

डॉ. सुप्रदीप का कहना है कि यह बिल्कुल गलत धारणा है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग मरीज की मृत्यु के बाद अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हैं कि उसे वेंटिलेटर पर रखकर चार्ज बढ़ाए जा रहे हैं जबकि ऐसा नहीं होता। डॉ. घोष का कहना है कि जब तक मरीज का दिल चल रहा होता है वेंटिलेटर कार्य करता रहेगा। ब्रेन डेथ में भी वेंटिलेटर अपना कोई कार्य नहीं करता। उन्होंने बताया कि मरीज की मृत्यु के बाद शरीर में अकडऩ पैदा होने लगती है ऐसे में वेंटिलेटर का लगाया जाना उचित नहीं होता, क्योंकि शरीर में कोई भी अंग जब कार्य नहीं करता तो वेंटिलेटर अपना प्रभाव नहीं दिखा सकता। इसलिए यह कहना कि वेंटिलेटर के द्वारा मृत व्यक्ति को भी जीवित दिखाया जा सकता है यह लोगों में गलत और अकल्पनीय धारणा है।
 

सामान्य व्यक्ति नहीं चला सकता वेंटिलेटर

डॉ. घोष का कहना है कि कोई भी मेडिकल सामान्य कर्मचारी वेंटिलेटर का संचालन नहीं कर सकता। इसे केवल स्पेश्लिस्ट डाक्टर द्वारा ही संचालित किया जाता है, क्योंकि स्पेश्लिस्ट डॉक्टर को ही पता होता है कि मरीज को कितनी ऑक्सीजन देनी है और यह लगातार मानिटिरिंग पर आधारित होती है। मरीज स्वत: किस प्रेशर से सांस ले रहा है और कितने प्रेशर से वेंटिलेटर द्वारा मरीज को सांस दी जानी है यह केवल एक स्पेशलिस्ट ही जजमेंट करता है। यदि व्यक्ति सामान्य सांस ले रहा है तो उसे वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं होती।


वेंटिलेटर आईसीयू मेंं ही क्यों हैं होते

आईसीयू एक वह कमरा होता है जिसमें अति गंभीर मरीजों को रखा जाता है जिसमें अत्याधुनिक मशीनें होती हैं, जो मरीज को वेंटिलेटर सहित अन्य प्रकार की मशीनों की भी आवश्यकता पड़ सकती है इसलिए उसे आईसीयू का नाम दिया जाता है। मशीनों के साथ-साथ उन मशीनों के स्पेश्लिस्ट डॉक्टर भी उस कमरे में उपस्थित होते हैं और तुरंत रोगी को यह सुविधाएं मुहैया करवाकर अकाल मौत के मुहं से खींचकर जीवनदान देने का कार्य करते हैं।


क्या वेंटिलेटर लंबे समय तक चलता है


घोष ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि वेंटिलेटर पर मरीज को लंबे समय तक रखा जाएगा। कुछ असाधारण परिस्थितियों में मरीज को वेंटिलेटर की सुविधा दी जाती है और जैसे-जैसे उसे स्वास्थ्य लाभ होता है वेंटिलेटर की सुविधा हटा ली जाती है। हां कुछ ऐसी क्रोनिक बीमारियां हैं, जिनसे मरीज ठीक नहीं होते। उन्हें बार-बार वेंटिलेटर का सहारा लेना पड़ता है, जिसमें गर्दन की चोट, सर्वाइकिल जैसी अनेक बीमारियां है जो लंबे समय तक चलती है और व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है तो उसे वेंटिलेटर जैसी सुविधा दी जाती है।

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