Edited By Manisha rana, Updated: 14 Dec, 2024 07:44 AM
आज यहां जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ आने वाला अविश्वास प्रस्ताव जिला उपायुक्त के अचानक अवकाश पर चले जाने के कारण टल गया। इससे जिला परिषद चेयरपर्सन को कुछ समय के लिए ‘जीवनदान’ मिल गया है।
जींद : आज यहां जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ आने वाला अविश्वास प्रस्ताव जिला उपायुक्त के अचानक अवकाश पर चले जाने के कारण टल गया। इससे जिला परिषद चेयरपर्सन को कुछ समय के लिए ‘जीवनदान’ मिल गया है। जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ 18 जिला पार्षदों ने बगावत का बिगुल बजाया था और जिला उपायुक्त को हल्फिया बयान देकर जिला परिषद चेयरपर्सन में अविश्वास व्यक्त किया था। इसके बाद जिला उपायुक्त ने आज 13 दिसम्बर की तारीख अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए निर्धारित की थी। इस पर दोपहर 12 बजे मतदान होना था, लेकिन इससे पहले ही अतिरिक्त उपायुक्त ने एक पत्र जारी कर कहा कि जिला उपायुक्त के अचानक अवकाश पर चले जाने के कारण आज शुक्रवार को होने वाली बैठक आगामी आदेशों तक स्थगित की जाती है।
शुक्रवार दोपहर 12 बजे से पहले ही मनीषा रंधावा बैठक के लिए पहुंच गई थीं। कोई भी विपक्षी पार्षद बैठक के लिए नहीं पहुंचा। अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा जारी पत्र मनीषा रंधावा को दिया गया। इसके बाद मनीषा रंधावा कुछ देर अपने कार्यालय में भी बैठी रहीं। उन्होंने कहा कि वह बैठक के लिए समय पर आ गई थीं, लेकिन उन्हें यहां आने के बाद बैठक रद्द होने की सूचना मिली। इस बैठक के रद्द होने को जिला परिषद चेयरपर्सन के लिए कुछ समय के लिए ‘जीवनदान’ माना जाता है।
अक्सर छुट्टी पर तब जाते हैं अधिकारी जब सरकार की मर्जी का काम नहीं होता
हालांकि शुक्रवार की बैठक के रद्द होने को जिला परिषद चेयरपर्सन के लिए ‘जीवनदान’ माना जा रहा है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह से अधिकारी तब छुट्टी पर जाते हैं जब सरकार जो चाहती है वह पूरा होता हुआ नजर नहीं आता हो।
सत्ता पक्ष के पार्षदों को नहीं होती बैठक में आने की जरूरत
शुक्रवार की बैठक के लिए मनीषा रंधावा जरूर समय पर पहुंच गई थीं, लेकिन अन्य कोई पार्षद जिला परिषद नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि उनके पार्षदों को यहां आने की जरूरत नहीं थी। केवल विपक्ष के पार्षदों का आना जरूरी था। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पास बहुमत है।
आसान नहीं रहा है जिला परिषद प्रधान का कार्यकाल पूरा करना
जींद में जिला परिषद प्रधान के लिए कार्यकाल पूरा करना कभी भी आसान नहीं रहा। यहां पर सुमित्रा देवी, सीमा रानी बिरौली और डॉक्टर वीना रानी देशवाल ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाई हैं। इनमें सुमित्रा देवी ओमप्रकाश चौटाला के राज में जिला परिषद चेयरपर्सन बनी थी। सीमा रानी बिरौली और डॉक्टर वीना रानी देशवाल भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में जिला परिषद चेयरपर्सन बनीं। गुरनाम सिंह नैन को 12 जून, 1998 को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से हटाया गया था। जबकि पदमा सिंगला को 29 मार्च, 2019 को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से हटाया गया। अब मनीषा रंधावा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है। वह 2 फरवरी, 2023 को जिला परिषद चेयरपर्सन चुनी गई थीं।
सदस्यों की क्या है स्थिति
जिला परिषद में सदस्यों की स्थिति क्या है यह सही तो बैठक से ही पता चल पाएगा, लेकिन विपक्षी खेमा अपने पास 18 पार्षदों का समर्थन होने का दम भर रहा है। प्रत्यक्ष रूप से जिला परिषद चेयरपर्सन के पास 7 सदस्यों का समर्थन है और उन्हें 9 की जरूरत है। अगर उनके पास 9 पार्षदों का समर्थन हुआ तो अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो जाएगा। हालांकि जिला परिषद के सदस्य के रूप में सांसद, विधायक और ब्लॉक समिति के चेयरपर्सन भी नामित होते हैं, लेकिन यह अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान नहीं कर सकते। विधायकों और सांसदों का वोट प्रधान बनाने के समय डाला जाता है। जिला परिषद चेयरपर्सन अपने बहुमत प्रति आशान्वित हैं।
क्या कहती हैं जिला परिषद चेयरपर्सन
शुक्रवार को होने वाली बैठक रद्द हो गई। बेहतर होता कि आज शुक्रवार को ही फैसला हो जाता। हमने भाजपा ज्वाइन कर ली है। हम भाजपा के कार्यकर्त्ता के रूप में कार्य करते रहेंगे। प्रधानगी बचने या जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
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