सरकारें बदलीं, चेहरे बदले...लेकिन नहीं बदली तो इस स्कूल की सूरत, 25 सालों से मंदिर में चल रही बच्चों की पाठशाला

Edited By Mohammad Kumail, Updated: 13 May, 2023 05:34 PM

children s school running in the temple for 25 years

हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर भले ही प्रदेश के स्कूलों की बेहतर व्यवस्थाओं की डींगें हांक रहे हों, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। एकता विहार कॉलोनी वार्ड 13 स्थित शिव मंदिर में चल रहे स्कूल ने शिक्षा मंत्री के दावों की पोल खोल दी...

पानीपत (सचिन शर्मा) : हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर भले ही प्रदेश के स्कूलों की बेहतर व्यवस्थाओं की डींगें हांक रहे हों, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। एकता विहार कॉलोनी वार्ड 13 स्थित शिव मंदिर में चल रहे स्कूल ने शिक्षा मंत्री के दावों की पोल खोल दी। बीते दिनों पानीपत पहुंचे शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने हरियाणा के स्कूलों को दिल्ली समेत देश के सभी राज्यों से बेहतर होने का दावा किया था।

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दरअसल बीते बुधवार प्रदेश के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ग्रीवेंस कमेटी की बैठक लेने यहां पहुंचे थे। जब शिक्षा मंत्री से पत्रकारों ने हरियाणा के बदहाल स्कूलों के बारे में सवाल किया तो शिक्षा मंत्री लंबी-लंबी डींगें हांकने लगे और कहने लगे कि हरियाणा के स्कूल तो दिल्ली से ही नहीं पूरे देश के सभी राज्यों से बेहतर स्कूल हैं। पानीपत के वार्ड 13  एकता विहार कॉलोनी की गली नंबर 13 में शिव मंदिर में स्कूल ने शिक्षा मंत्री के फर्जी दावों की पोल खोल दी है।

बता दें कि 1998 से मंदिर में चल रहे स्कूल में स्कूल के नाम का एक बड़ा सा हॉल है। जिसमें 3 क्लास चलती। एक ही हाल में 3 क्लास चलने की वजह से ना तो छात्र अच्छे से पढ़ पाते हैं, ना ही अध्यापकों को ये पता चलता है कौन सा छात्र किस कक्षा का है। स्कूल में एक ही बाथरूम है, जिसमें दरवाजा तक नहीं है। इसी बाथरूम में लड़के, लड़कियां, टीचर और मंदिर के पुजारी सब जाते हैं।

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अध्यापिका मंजू ने बताया कि व्यवस्था नाम की स्कूल में कोई चीज नहीं है। उन्होंने बताया है कि यह स्कूल पांचवी कक्षा तक है और ना ही आसपास कोई दूसरा मिडिल स्कूल है। स्कूल में ज्यादातर बच्चे लेबर क्लास परिवारों से आते हैं। जिसके चलते लड़कियां पांचवी कक्षा के बाद स्कूल में नहीं जा पाती हैं। अध्यापिका ने बताया कि कई बार तो स्कूल के हॉल में 5-5 क्लास लगानी पड़ती है और धूप में बच्चों को बैठना पड़ता है। इतना ही नहीं, उन्होंने बताया कि जब बारिश आ जाती है तो स्कूल की छुट्टी ही करनी पड़ती है। मंदिर में चल रहे स्कूल में कभी बारात बैठानी पड़ जाती है तो कभी पूजा अर्चना करने वाले लोगों की वजह से बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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दूसरी कक्षा को पढ़ाने वाली अध्यापिका सोनिया ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी परेशानी यही है कि उन्हें छत पर बैठकर पढ़ाना पड़ता है और छत पर जहां छाया होती है वहां बैठना पड़ता है। जब वहां धूप आ जाती है तो दूसरी तरफ छाया में बच्चों को उठाकर ले जाना पड़ता है और सारा दिन इसी प्रक्रिया में लगे रहते हैं। अध्यापिका ने बताया कि बच्चों की नींव प्राथमिक पाठशाला में ही तैयार की जाती है, लेकिन उन्हें यहां इस तरह का कोई भी माहौल नहीं मिल पा रहा है। अध्यापिका ने दावा किया कि अगर उन्हें अच्छा माहौल बच्चों को पढ़ाने के लिए अच्छी व्यवस्था है और एक अच्छी बिल्डिंग मिल जाए तो हमारे स्कूल के छात्र पूरे पानीपत का नाम रोशन कर सकते हैं।

हेडमास्टर साहब सिंह ने बताया कि स्कूल के नाम पर मंदिर में आंगनबाड़ी की तरह एक बड़ा सा हॉल दे रखा है। मंदिर से 2-2 गलियां निकली हुई है जिनमें से सारा दिन लोगों का आना जाना लगा रहता है। हेड मास्टर साहब सिंह ने बताया कि कई बार प्रशासन के संज्ञान में वह डाल चुके हैं लेकिन स्कूल के बारे में कोई सुनवाई नहीं करता। मंदिर में चल रहे राजकीय प्राथमिक पाठशाला में पढ़ाने वाले अध्यापकों की मेहनत में कोई कमी नहीं है। यही वजह है कि स्कूल में पांच कक्षाओं के करीब 300 विद्यार्थी पढ़ने आते हैं।

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बता दें कि हरियाणा में 25 सालों में चार मुख्यमंत्री बदल चुके हैं, लेकिन किसी भी मुख्यमंत्री, किसी भी मंत्री, किसी भी विधायक ने स्कूल की सुधि नहीं ली। जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हरियाणा के स्कूलों से अपनी तुलना करते हैं तो सबसे ज्यादा गुस्सा भी हरियाणा के नेताओं को आता है और दिल्ली के स्कूलों को घटिया बताकर अपने स्कूलों की तारीफ करने लग जाते हैं। इतना ही नहीं, सरकार ने हरियाणा के स्कूलों को दिल्ली से बेहतर बताने के लिए प्रचार-प्रसार में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। हरियाणा सरकार ने हरियाणा के हर नेशनल हाईवे पर फ्लेक्स बोर्ड लगाकर यह दर्शाया है कि हरियाणा के स्कूल नंबर वन है और उनकी पढ़ाई भी देश के सभी राज्यों से अच्छी है।

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