सावधान : फ्लोराइड युक्त पानी पीने से बढ़ रही दांतों की बीमारियां

Edited By Isha, Updated: 26 Oct, 2019 02:44 PM

caution drinking fluoride containing water causes increasing dental diseases

अगर आपके घर में ट्यूबवैल लगे हों और आप उसी पानी को पीने में भी अगर प्रयोग में लाते हैं तो अब इससे सावधान हो जाएं। कालांवाली मंडी और क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जहां का पानी सेम युक्त है..

कालांवाली (प्रजापति) : अगर आपके घर में ट्यूबवैल लगे हों और आप उसी पानी को पीने में भी अगर प्रयोग में लाते हैं तो अब इससे सावधान हो जाएं। कालांवाली मंडी और क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जहां का पानी सेम युक्त है तथा वहां का पानी पीने योग्य तक नहीं है। कुछ इसी प्रकार के पानी से अनेक लोगों को दांतों संबंधी बीमारियों से दो-चार होना पड़ रहा है। यह पानी किशोर अवस्था की ओर बढ़ रहे बच्चों के दांतों के लिए काफी खतरनाक हो सकता है।

बच्चों के दांत पीले पड़ सकते हैं तथा उनमें टेढ़ा-मेढ़ापन भी आ सकता है। यह कहना है शहर के दंत रोग विशेषज्ञों का। सिरसा जिला से लेकर भटिंडा, मुक्तसर और फिरोजपुर तक की इस विशेष बैल्ट के भूमिगत पानी फ्लोराइड की मात्रा इतनी अधिक है कि इससे दांतों पर सीधा असर पड़ता है और हड्डियों की कमजोरी का कारण भी बनता है। दंत रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि साधारण एवं स्वच्छ पानी में फ्लोराइड की मात्रा एक पी.पी.एम. होती है लेकिन भूमिगत पानी में यह मात्रा 20 गुना अधिक तक पाई जाती है।

वे बताते हैं कि हालांकि इन दिनों पानी में स्वच्छता की ओर अधिक ध्यान दिया जा रहा है लेकिन सिर्फ पानी को क्लोरिन से साफ करके इसे बैक्टीरिया मुक्त किया जाता है। उन्होंने बताया कि अधिक फ्लोराइड से दांतों का पीलापन और दांतों की हड्डियों पर सीधा असर पड़ता है। वे बताते हैं कि लोगों में पीने के पानी के प्रति जागरूकता का अभाव है और जलापूर्ति विभाग द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाला पानी सीधे सेवन कर लिया जाता है।

वे कहते हैं कि हालांकि स्वच्छता विभाग अपने पानी को पूरी तरह से साफ सुथरा करने की कोशिश करते हैं लेकिन जलघर से लेकर घरों तक पहुंचने के रास्ते में भी पुरानी पाइपों और अन्य कारणों से पानी दूषित होता है, जिसे लोग पी लेते हैं। उन्होंने बताया कि इसका ज्यादा असर विकसित हो रहे बच्चों पर ज्यादा पड़ता है, क्योंकि बच्चों के दांत अभी बन रहे होते हैं और दांतों की हड्डियों पर फ्लोराइड का सीधा प्रभाव पड़ता है।

डा. कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं को भी पानी की स्वच्छता का पूरा ध्यान देना चाहिए, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान ही बच्चे के विकास पर पानी का व्यापक असर पड़ता है। युवा अवस्था तक पहुंचने के बाद दांत पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं और तब इन पर फ्लोराइड का उतना असर नहीं रहता, जितना बचपन में रहता है। 
अधिक फ्लोराइड वाला पानी का सेवन लगातार किया जाए तो फ्लोराइड ही कैल्शियम का स्थान ले लेता है, इसलिए विशेष रूप से बच्चों में पीने के पानी की स्वच्छता की ओर अधिक ध्यान देना जरूरी है। 

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