Edited By Isha, Updated: 11 Apr, 2020 06:00 PM
कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनियां में धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा। पीएम मोदी के द्वारा भी एक दिन के क्र्फूय के बाद 21 दिन के लॉक डाउन की घोषणी की गई थी जिसका समय अब बढ़ा दिया गया है। पीएम
डेस्कः कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनियां में धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा। पीएम मोदी के द्वारा भी एक दिन के क्र्फूय के बाद 21 दिन के लॉक डाउन की घोषणी की गई थी जिसका समय अब बढ़ा दिया गया है। पीएम द्वारा सारे राज्यो के सीएम से बैठक के बाद ये फैसला लिया गया। आज हरियाणा कांग्रेस नेता भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने भी देशवासियों को सम्बोधन करते हुए सभी को घर मे रहने की अपील की।
उन्होने किसानों से अपील की कि महामारी के इस दौर में आप फसल कटाई और ढुलाई में एक-दूसरे की मदद करें क्योंकि आज लेबर और मशीनों की कमी है। ‘डंगवारा’ हरियाणा में किसानों की परंपरा रही है। तो एक-दूसरे की मदद के लिए डंगवारा निकालो। फसल कढाई और ढुलाई का काम करते हुए बार-बार हाथ धोना या मास्क लगाना ना भूलें। आप मास्क की जगह ‘डाठा’ भी मार सकते हैं। इससे आप कोरोना की बीमारी से तो बचेंगे ही, साथ ही धूल या तूड़ी के छोटे-छोटे कण भी आपके शरीर में नहीं जाएंगे।
हम सरकार का हर ज़रूरी सहयोग करेंगे
इस महामारी से लड़ना सिर्फ़ सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है। इसलिए विपक्षी दल होने के बावजूद हमने फ़ैसला लिया है कि हम सरकार का हर ज़रूरी सहयोग करेंगे। प्रदेशहित में लगातार ज़रूरी सलाह हम सरकार को भेज रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों ने अपनी कुछ समस्याएं मेरे सामने रखी हैं। मेरी ज़िम्मेदारी बनती है कि मैं ना सिर्फ़ उन्हें सरकार के सामने रखूं बल्कि समाधान के लिए ज़रूरी सलाह भी दूं।
भंडारण की व्यवस्था ज़्यादातर किसान के पास नहीं
उन्होंने कहा कि सरसों की कटाई हो चुकी है लेकिन उसकी सरकारी ख़रीद 15 अप्रैल से शुरू होगी तब तक उसके भंडारण की व्यवस्था ज़्यादातर किसान के पास नहीं है। इसका फ़ायदा प्राइवेट एजेंसियां उठा रही हैं। जो सरसों 4425 रुपये MSP के सरकारी रेट पर बिकनी चाहिए थी, किसान उसे 3500 से 3800 रुपये में बेचने को मजबूर हैं। इसकी एक वजह लिमिट खरीद वाली कंडीशन है। अब किसान के सामने सवाल है कि वो बाक़ी फसल कहां लेकर जाएगा। इसलिए वो प्राइवेट एजेंसियों को औने-पौने दामों में अपनी फसल बेचने को मजबूर है।
किसान का दाना-दाना ख़रीदा जाएगा
सरकार ने सर्वदलीय बैठक में भी वादा किया था कि किसान का दाना-दाना ख़रीदा जाएगा, ऐसे में उसे अपना वादा निभाते हुए लिमिट खरीद वाली कंडीशन को हटा देना चाहिए। सरसों की तरह गेहूं का किसान भी प्राइवेट एजेंसियों के हाथों लुट सकता है क्योंकि गेहूं का एमएसपी सरकार ने 1925 रुपये निर्धारित किया है। इसपर बोनस का ऐलान करके वापिस ले लिया । दोबारा अब तक एलान नहीं किया गया लेकिन प्राइवेट एजेंसियों के लिए सरकार ने वहीं गेहूं 2350 के रेट पर बेचने का फ़ैसला लिया है। इसलिए प्राइवेट एजेंसियों की पूरी कोशिश रहेगी कि वो किसानों से सस्ते दाम में डायरेक्ट ख़रीद कर ले। किसान भी भंडारण और ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं होने की वजह से प्राइवेट एजेंसी को अपना गेहूं बेचेगा, जो अक्सर होता है।
हर 3 गांवों में एक ख़रीद केंद्र बनाने का फैसला अच्छा
लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक बहुत अच्छा फ़ैसला लिया है कि वो हर 3 गांवों में एक ख़रीद केंद्र बनाएगी। इससे किसानों को दूर मंडी में नहीं जाना पड़ेगा। उसकी मेहनत, वक्त और ट्रांसपोर्ट का ख़र्च कम होगा। लेकिन प्राइवेट लूट से किसानों को बचाने के लिए मेरी सलाह है कि सरकार इन ख़रीद केंद्रों का चयन चयन जल्दी से जल्दी कर ले। ताकि वहां सरकार को बारदाना, शेड और तिरपाल की व्यवस्था करने का पूरा वक्त मिले। बारिश का कोई भरोसा नहीं है। तिरपाल या शेड नहीं होने की वजह से किसान के पूरे सीज़न की मेहनत पर पानी फिर सकता है। हमें पहले से तमाम तैयारी रखनी होंगी।
किसानों को दी जाएं भंडारण की सुविधाएं
सरकार से पहले भी अपील की थी कि किसानों को भंडारण की सुविधाएं दी जाएं। उन्हें स्कूलों या दूसरी सरकारी इमारतों में भंडारण की अनुमति दी जाए। अगर ऐसा होता है तो सरसों ही नहीं, गेहूं के किसानों को भी इसका फ़ायदा होगा। किसान को मजबूरी में प्राइवेट एजेंसी के पास नहीं जाना पड़ेगा।