...तो क्या काले सोने की खदान बन गया बंधवाड़ी कचरा निस्तारण प्लांट

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 30 Dec, 2025 02:04 PM

bandhwari waste disposal plant become a gold mine of black gold

बंधवाड़ी में कचरा निस्तारण के लिए बनाया गया नगर निगम का प्रोजेक्ट अब अरावली को खत्म करता जा रहा है। अरावली से ऊंचा पहाड़ इन दिनों बंधवाड़ी के कचरा निस्तारण प्लांट में कूड़े का लगा हुआ है।

गुड़गांव, (ब्यूरो): बंधवाड़ी में कचरा निस्तारण के लिए बनाया गया नगर निगम का प्रोजेक्ट अब अरावली को खत्म करता जा रहा है। अरावली से ऊंचा पहाड़ इन दिनों बंधवाड़ी के कचरा निस्तारण प्लांट में कूड़े का लगा हुआ है। इस प्लांट को खत्म करने के लिए नगर निगम अधिकारियों ने दर्जनों योजनाएं बनाई। करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन इस कूड़े के पहाड़ को खत्म करने में नाकाम रहे। हालात यह है कि इस कूड़े के पहाड़ ने अरावली के एक हिस्से को खत्म कर दिया। वहीं, इस कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए लगातार टेंडर छोड़े जा रहे हैं, लेकिन कचरे का पहाड़ खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। मानों यह कूड़े का पहाड़ नहीं बल्कि काले सोने की खदान बन गया। 

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साल 2008 में नगर निगम गुड़गांव के गठन के बाद साल 2009-10 में बंधवाड़ी में कचरा निस्तारण के लिए बंधवाड़ी में करीब 30 एकड़ स्थान को चिन्हित किया गया था। इस कचरा निस्तारण प्लांट में गुड़गांव और फरीदाबाद से रोजाना 2 हजार टन कूड़ा लाकर निस्तारण करने का लक्ष्य रखा गया था। यहां बिजली उत्पादन का भी संयंत्र लगना था, लेकिन अरावली को नुकसान पहुंचने की आशंका के कारण बिजली संयंत्र नहीं लग सका। दो साल के टेंडर के बाद नगर निगम द्वारा इस कचरा निस्तारण प्लांट के टेंडर को एक्सटेंशन दे दी गई। ताकि गुड़गांव और फरीदाबाद से आ रहे कूड़े का निस्तारण किया जा सके। इसी बीच साल 2012-13 में कचरा निस्तारण प्लांट बंद हो गया और प्लांट में आग लग गई। इस दौरान मशीनरी जलकर राख हो गई और कचरा निस्तारण न होने पर यहां कूड़े का पहाड़ लगने लगा। यहां लाखों टन कूड़े का पहाड़ बन गया और इसके निस्तारण के नाम पर कई योजनाएं बनी, लेकिन कोई भी योजना इस पहाड़ को खत्म नहीं कर पाई। देखते ही देखते यहां कूड़े के पहाड़ ने अरावली की पहाड़ी से भी बड़ा रूप ले लिया।

 

पर्यावरणविद् एवं पूर्व आईएफएस अधिकारी आर पी बलवान की मानें तो इस कचरे के पहाड़ से निकलने वाले लीचेड ने भूजल को दूषित कर दिया। आसपास रहने वाले लोगों की मानें तो इस लीचेड से करीब दो किलोमीटर के दायरे का भूजल दूषित हो चुका है। आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों को यहां कूड‍़े के कारण हुए प्रदूषण से कैंसर जैसी घातक बीमारियां भी हो गई हैं। इस कचरे के पहाड़ के कारण अरावली के जीव जंतु भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से इस कचरे के पहाड़ को खत्म करने की अपील की है। लोगों के इस आग्रह पर कई मंत्री सहित विभिन्न विभागों के आला अधिकारी भी यहां आए और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर इस कचरे के पहाड़ को खत्म करने की कई योजनाएं बनाई, लेकिन यह सभी योजनाएं इस पहाड़ को खत्म नहीं कर पाई।

 

वहीं, पर्यावरणविद एवं रिटायर्ड अधिकारी की मानें तो कचरा निस्तारण के लिए पहले जिन कंपनियों को टेंडर दिया गया उन कंपनियों की तरफ से अपना कार्य ईमानदारी से नहीं किया गया। किसी को नगर निगम द्वारा भुगतान न करने के कारण कार्य को बीच में ही छोड़ दिया गया तो किसी कंपनी ने इस कचरे के पहाड़ को सोने की खदान बना लिया। हाल ही में यहां कचरा निस्तारण के नाम पर बड़ा खेल भी चल रहा था। यहां कूड़ा उठान कर उसे दूसरे स्थान पर भेजने के नाम पर बड़ा खेल भी खेला गया। यहां से कूड़े के ट्रक भरकर दूसरे राज्यों में निस्तारण के नाम पर भेजने का दावा किया गया, लेकिन हकीकत यह रही कि इस कूड़े से बंधवाड़ी के आसपास के गांवों में अरावली की 80 से 100 फीट गहरी खाई को भी बंद कर उसके ऊपर से मिट्टी डाल दी गई ताकि कचरा निस्तारण के नाम पर चल रहे घालमेल की किसी को भनक न लगे। इससे अरावली में बने नेचुरल ड्रेन भी खत्म हो गए। 

 

रिटायर्ड अधिकारी की मानें तो हाल ही में कूड़े के नापतोल के नाम पर हो रही गड़बड़ी भी सामने आई जिसमें कूड़े के नाप तोल के नाम पर करीब 23 लाख रुपए का घोटाला किया गया। यह पूरा मामला सीएम फ्लाइंग ने रेड कर उजागर किया और स्थानीय थाना पुलिस को शिकायत देकर केस भी दर्ज कराया। मामले में अभी पुलिस द्वारा भी जांच की जा रही है। 

 

वहीं, पर्यावरण विद सुनील हरसाना ने बताया कि कचरा निस्तारण को लेकर नगर निगम की तरफ से कई कंपनियों को टेंडर भी दिया गया, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला। हाल ही में नगर निगम की तरफ से 15 लाख टन कूड़े को एक साल में निस्तारण करने के लिए एक कंपनी को टेंडर दिया जा रहा है। यह टेंडर प्रक्रिया अभी पाइपलाइन में है। उन्होंने कहा कि सरकार से लगातार अपील की जा रही है कि कूड़े के निस्तारण को लेकर तेजी से कार्य किया जाए अरावली को नष्ट होने से बचाया जा सके और आसपास के गांवों में फैल रही घातक बीमारियों को फैलने से रोका जा सके। 

 

वहीं, वन्य जीव के लिए कार्य करने वाले अनिल गंडास की मानें तो अरावली की गोद में बनाए गए इस कचरा निस्तारण प्लांट के कारण न केवल आसपास के लोगों को दिक्कत हो रही है बल्कि वन्य जीवों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर हो रहा है। कूड़े के पहाड़ के कारण वन्य जीव इस अरावली को छोड़कर दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। लीचेड से दूषित हो रहे पानी को पीकर वन्य जीव में मर रहे हैं। कई बार संदिग्ध परिस्थितियों में कई वन्य जीव भी मृत अवस्था में मिल चुके हैं। ऐसे में उन्होंने सरकार से अपील की है कि अरावली से भी उंचे बन रहे कूड़े के पहाड़ को खत्म कर अरावली को एक बार फिर सुरक्षित और हरा भरा किया जा सके। 

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