Edited By Saurabh Pal, Updated: 22 Aug, 2024 04:25 PM
हरियाणा के चुनावी अखाड़े में एक नए दंगल की सुगबुगाहट है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चुनावी दंगल में उतरने वाले भाजपा के पहलवानों के सामने कांग्रेस भी पहलवानों पर दांव खेलने वाली है। दरअसल सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी 2...
हरियाणा डेस्कः हरियाणा के चुनावी अखाड़े में एक नए दंगल की सुगबुगाहट है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चुनावी दंगल में उतरने वाले भाजपा के पहलवानों के सामने कांग्रेस भी पहलवानों पर दांव खेलने वाली है। दरअसल सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी 2 पहलवानों को टिकट दे सकती है। जिसमें से पहला नाम विनेश फोगाट है तो वहीं दूसरा नाम उनके साथी बजरंग पुनिया का है।
सूत्रों कहना है कि कांग्रेस कोशिश में है कि भाजपा नेत्री बबीता फोगाट के सामने चुनावी दंगल में विनेश फोगाट को उतारा जाए। इसके साथ ही योगेश्वर दत्त के सामने बजरंग पुनिया भी चुनावी अखाड़े में ताल ठोक सकते हैं।
बबीता और योगेश्वर की राजनीतिक शुरुआत
बता दें कि भाजपा के दोनों पहलवानों के सियासी सफर की शुरुआत ठीक नहीं रही। बबीता और योगेश्वर दत्त अभी तक कोई चुनाव जीत नहीं पाए हैं। बबीता फोगाट ने अपना पहला विधानसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर दादरी से लड़ा, यहां उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे सोमवीर सांगवान ने हरा दिया। वहींं योगेश्वर दत्त बरोदा से विधानसभा चुनाव में उतरे, लेकिन इन्हें भी जीत नसीब नहीं हुई। इसके बाद बरोदा से उपचुनाव के जारिए योगेश्वर विधानसभा पहुंचना चाह रहे थे। लेकिन यहां भी कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल ने उन्हें चित कर दिया।
राजनीतिक कैरियर पर संकट के बादल!
ऐसे में भाजपा के दोनों राजनीतिक पहलवानों(बबीता फोगाट, योगेश्वर दत्त) के राजनीतिक कैरियर पर काले बादल मंडरा रहे हैं। कांग्रेस विनेश और बजरंग पुनिया को चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए मना लेती है तो बबीता और योगेश्वर के राजनीतिक कैरियर पर ग्रहण लगना तय माना जा रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि बरोदा में एक कांग्रेस के अदने से कार्यकर्ता के सामनने योगेश्वर दत्त का सारा चुनावी पराक्रम धाराशाही हो गया। वहीं दादरी विधानसभा की बात कि जाए तो रेसलिंग की दुनिया में एक सम्मानित परिवार से ताल्लुक रखने बबीता फोगाट को एक निर्दलीय उम्मीदवार ने धाराशाही कर दिया।
विनेश और बजरंग लिए चुनाव जीतना कितना मुश्किल
ऐसे में जब पूरे देश की जुबान पर विनेश फोगाट का नाम है और उनके साथ हरियाणा के बड़े जन समूह की सहानुभूति है तो उनके लिए विधानसभा चुनाव जीतना काफी आसान नजर आता है। वहीं बजरंग पुनिया की बात की जाए तो वह भी किसी परिचय के मोहताज नहीं है। यदि वह कांग्रेस के सिंबल के साथ योगेश्वर के सामने उतरते हैं तो उनके लिए चुनाव जीतने में कोई मुश्किल नहीं होगी।
पेरिस साथ नहीं था नसीब
गौरतलब है कि पेरिस ओलंपिक शानदार प्रदर्शन करने के बाद तकनीकी आधार पर विनेश फोगाट को डिस्क्वालीफाई कर दिया गया था। हालांकि हरियाणा सरकार की तरह पूरा देश उन्हें विजेता के साथ सिल्वर मेडल का दावेदार मान रहा है। उनके साथ पूरे देश की सहानुभूति है। इसका नमूना तब देखने को मिला जब वह पेरिस से अपने वतन वापिस आईं। इस दौरान एयरपोर्ट से लेकर उनके पैतृक गांव बलाली तक जगह-जगह उनका स्वागत और सम्मान किया गया।
अभी तक भाजपा नेताओं ने विनेश से नहीं की मुलाकात
भारत आने के दौरान खास बात यह रही कि भाजपा का कोई भी प्रतिनिधि उनके स्वागत कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ, बॉक्सर विजेंद्र सिंह के सिवाय। हालांकि चर्चा ये भी रही विजेंद्र सिंह एक ओलंपियन खिलाड़ी के नाते वहां पहुंचे थे, ना कि भाजपा के प्रतिनिधि के रूप में वहां पहुंचे थे। यही नहीं अभी तक भाजपा के किसी भी नेता ने विनेश फोगाट से मुलाकात तक नहीं की। वहीं कांग्रेस की तरफ से दीपेंद्र हुड्डा दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे। यही नहीं विनेश काफिले के साथ भी वह काफी दूर विनेश के साथ गए। हालांकि दीपेंद्र हुड्डा एक कांग्रेस नेता के तौर पर नहीं बल्कि पूर्व कुश्ती संघ के अध्यक्ष के नाते वहां पहुंचे थे, लेकिन वह कांग्रेस नेता तो हैं ही साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा पुत्र हैं, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है। जिसके कारण दीपेंद्र का विनेश के स्वागत के लिए एयरपोर्ट पर जाने को राजनीतिक चश्मे से भी देखा गया।
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