Edited By Shivam, Updated: 23 Mar, 2019 04:26 PM
इस समय ज्यादातर क्षेत्रों में गेहूं की बुवाई हो गई है, इस समय नमी वाले तराई क्षेत्रों में गेहूं की फसल पीला रतुआ बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे में समय रहते किसानों को इस रोग का प्रबंधन करना चाहिए। ज्यादातर नमी वाले क्षेत्रों में ज्यादा...
यमुनानगर(सुमित ओबेरॉय): इस समय ज्यादातर क्षेत्रों में गेहूं की बुवाई हो गई है, इस समय नमी वाले तराई क्षेत्रों में गेहूं की फसल पीला रतुआ बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे में समय रहते किसानों को इस रोग का प्रबंधन करना चाहिए। ज्यादातर नमी वाले क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिलते हैं, साथ ही पोपलर व यूकेलिप्टस के आस-पास उगाई गई फसल में ये रोग पहले आती है।
पत्तों पर पीला होना ही पीला रतुआ नहीं है, बल्कि पीला रंग होने के कारण फसल में पोषक तत्वों की कमी जमीन में नमक की मात्रा ज्यादा होना व पानी का ठहराव भी हो सकता है। पीला रतुआ बीमारी में गेहूं की पत्तों पर पीले रंग का पाउडर बनता है जिसे हाथ से छूने पर हाथ पीला हो जाता है।
कृषि अधिकारी राकेश जांगड़ा ने बताया की जैसे मौसम में बदलाव हो रहा है दिन का तापमान हाई है।ऐसे में पीला रतुआ की संभावना बढ़ जाती है। किसान भाई समय पर दवाई का झिड़काव करें, यमुनानगर के कुछ इलाकों में ये बीमारी है, लेकिन कृषि विभाग किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के कार्यक्रम करता रहता है। उन्होंने बताया कि अम्बाला, करनाल में भी कुछ केस मिले हैं, पहले ये हजारों हेक्टेयर में फैल जाता था, लेकिन अब ये पूरी तरह कंट्रोल हो जाता है। इसके लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं।