हरियाणा की ऐसी विधानसभा सीट, जहां गठबंधन के बावजूद एक दूसरे के विरूद्ध लड़े थे सहयोगी

Edited By vinod kumar, Updated: 18 Feb, 2020 03:04 PM

allies fought against each other in haryana assembly election despite alliance

हरियाणा विधानसभा की एक सीट पर चुनावी गठबंधन के बावजूद सहयोगी एक दूसरे के विरुद्ध लड़े थे। यह वाक्य 20 वर्ष पहले का है, फरवरी 2000  में हरियाणा विधानसभा के नौवें आम चुनावों में ओम प्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल ( इनेलो) और भारतीय जनता पार्टी...

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा में 20 साल पहले विधानसभा चुनाव में ऐसा वाक्य सामने आया था, जहां एक सीट पर चुनावी गठबंधन के बावजूद सहयोगी एक दूसरे के विरुद्ध लड़े थे। लेकिन इसके बावजूद भी  वह इस सीट को नहीं जीत पाए थे। यह सीट है जींद विधानसभा। जहां 20 वर्ष पहले फरवरी 2000  में हरियाणा विधानसभा के नौवें आम चुनावों में ओम प्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल ( इनेलो) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मध्य प्रदेश में चुनावी तालमेल हुआ। जिसमे हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों में से इनेलो ने 62 और भाजपा ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा। 

अब देखने लायक बात यह है कि 62 और 29 का जोड़ 90 नहीं बल्कि 91 बनता हरियाणा है। जिसका अर्थ है कि प्रदेश में एक विधानसभा सीट ऐसी भी थी, जिसमे दोनों पार्टियों ने एक दूसरें के विरूद्ध अपना अपना उम्मीदवार उतारा। हालांकि इनेलो इस सीट से चुनाव हार गई, वहीं भाजपा उम्मीदवार की यहां से जमानत तक जब्त हो गई थी। 

जींद सीट पर उतारे थे प्रत्याशी
यह रोचक जानकारी देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया की यह सीट थी जींद विधानसभा हल्का। इस सीट पर इनेलो ने गुलशन लाल और भाजपा ने रामेश्वर दास को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन दोनों ही वहां से चुनाव हार गए और बाजी मारी कांग्रेस के उम्मीदवार व पूर्व मंत्री मांगे राम गुप्ता ने। जो हालांकि इसके कुछ वर्षो बाद पहले इनेलो में और गत वर्ष 2019 में जजपा में शामिल हो गए। 


हेमंत ने तत्कालीन चुनावी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि फरवरी 2000 विधानसभा चुनावो में जींद में कुल 1 लाख 34 हजार 740 मतदाता थे। जिनमें से 94 हजार 161 यानि 70 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसमें कांग्रेस के मांगे राम गुप्ता को 41 हजार 621(44.22), इनेलो के गुलशन लाल को 36 हजार 978(39.29) और भाजपा के रामेश्वर दास को 4262 वोट(4.53) वोट मिले। हालांकि अगर इनेलो और भाजपा उम्मीदवारों के वोटों को मिला भी दिया जाए तो भी कांग्रेसी प्रत्याशी की वोटें 381 अधिक थे, लेकिन अगर इनेलो और भाजपा में से किसी एक ने यहां से अपना सांझा प्रत्याशी उतारा होता, तो चुनावी नतीजा कुछ भी हो सकता था। 

विधानसभा उपचुनाव में भी हुआ था हाई प्रोफाइल मुकाबला
गौरतलब है कि गत वर्ष जनवरी 2019 में भी जब जींद विधानसभा उपचुनाव हुआ तो वह भी काफी हाई प्रोफाइल मुकाबला बन गया था। जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला, जो हालांकि उस समय कैथल से विधायक भी थे, फिर भी उन्होंने यहां से चुनाव लड़ा लेकिन जीतना तो दूर वह तीसरे स्थान पर रहे थे। इतना ही नहीं सुरजेवाला कुछ सौ वोटों के अंतर से ही अपनी जमानत राशि बचा पाए थे। 

इस चुनाव में भाजपा के डा. कृष्ण मिड्डा ने जीत हासिल की, जो इनेलो के विधायक रहे डा. हरी चंद मिड्डा के पुत्र है। जिनके निधन के कारण ही यह उपचुनाव हुआ। मिड्डा ने जजपा के दिग्विजय चौटाला को हराया था, जो दूसरे नंबर पर रहे थे। आज से चार माह पहले अक्टूबर 2019 विधानसभा चुनावो में एक बार फिर डा. कृष्ण मिड्डा चुनाव जीत जींद से विधायक बने हैं और उन्होंने जजपा के महाबीर गुप्ता को 12 हजार वोटो से अधिक के अंतर से हराया। वहीं इस सीट से कांग्रेस और इनेलो दोनों पार्टियों के उम्मीदवार ने अपनी जमानत राशि गंवा दी।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!