Edited By Deepak Kumar, Updated: 14 May, 2025 04:02 PM

अजीत डोभाल का एक कारनामा काफी फेमस है। 70 के दशक में पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करने की तैयारी कर रहा था। इसकी भारत के पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं थी। अजीत डोभाल ने वो जगह खोजी, जहां परमाणु परीक्षण की तैयारी चल रही है और उस सेंटर के वैज्ञानिक बाल के...
डेस्कः भारत के NSA अजीत डोभाल को भारत के जेम्स बॉन्ड के नाम से भी जाना जाता है। अजीत डोभाल को भारत का टॉप जासूस, सुपर कॉप और 21वीं शताब्दी का चाणक्य कहा जाता है। जिस तरह के कारनामे अजीत डोभाल ने किए हैं, उसकी वजह से पाकिस्तान उनके नाम से आज भी कांपता है।
अजीत डोभाल अपने काम के प्रति इतने जुनूनी हैं कि वह उसे अंजाम देने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। अजीत डोभाल ने 37 साल की नौकरी में सिर्फ 7 साल वर्दी पहनी और 30 साल तक जासूसी की। हमेशा खुद को छिपाकर रखा। कई बार भेष बदले। कभी मोची बने तो कभी रिक्शावाला तो कभी भिखारी बन भीख मांगी। अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एकदम खास माने जाते हैं।
पाकिस्तान में बने भिखारी
अजीत डोभाल का एक कारनामा काफी फेमस है। 70 के दशक में पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करने की तैयारी कर रहा था। इसकी भारत के पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं थी। अजीत डोभाल को इसकी जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी मिली। डोभाल पाकिस्तान गए और सबसे पहले उस इलाके को खोजा, जहां इसकी तैयारी चल रही थी। सेंटर के बाहर बैठकर भीख मांगना शुरू कर दिया। इस बात की भी पुख्ता जानकारी नहीं थी कि सेंटर में परमाणु परीक्षण की तैयारी चल रही है। तब उन्होंने वो जगह खोजी जहां उस सेंटर के वैज्ञानिक बाल कटवाते थे। उन्होंने बालों का सैंपल इकट्ठा किया और उसे भारत भेजा। टेस्ट में पता चला कि ये बाल न्यूक्लियर परीक्षण में एक्सपोज हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया कि पाक यहीं पर अपना न्यूक्लियर प्रोग्राम चला रहा है।
कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिस अधिकारी
इसके लिए अजीत डोभाल को उनके काम के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। वह पहले पुलिस अधिकारी थे, जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कश्मीर में बढ़ रहे अलगाववाद को नियंत्रित करने के लिए भी अजीत डोभाल को याद किया जाता है। इसके अलावा डोभाल ने सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाई थी। बता दें अजीत डोभाल 2005 में आईबी चीफ के तौर पर रिटायर हुए। लेकिन इसके बाद भी वह काफी सक्रिय रहे। 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने देश का पांचवां एनएसए नियुक्त किया।
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