Edited By Manisha rana, Updated: 19 Jun, 2025 02:38 PM

यमुनानगर की सड़कों पर एक महिला रोजाना ई रिक्शा चलाती नजर आती है। लेकिन यह सिर्फ आम बात नहीं है, इसके पीछे छुपी है एक भावुक और साहसिक कहानी।
यमुनानगर (सुरेंद्र मेहता) : यमुनानगर की सड़कों पर एक महिला रोजाना ई रिक्शा चलाती नजर आती है। लेकिन यह सिर्फ आम बात नहीं है, इसके पीछे छुपी है एक भावुक और साहसिक कहानी। इस महिला के पति की तीन महीने पहले हादसे में मौत हो गई थी। तब से उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। गोद मे छोटी सी बेटी और जिम्मेदारियों का पहाड़। लेकिन टूटने के बजाय इस महिला ने हिम्मत दिखाई और फैसला लिया कि वह खुद को संभालेगी।

पति के जाने के बाद जैसे सब कुछ खत्म हो गया था, लेकिन बच्ची की आंखों में जीवन की उम्मीद देखकर महिला ने खुद को मजबूत किया। जहां समाज अक्सर एक महिला के आगे बढ़ने में रुकावट बनता है।वहीं इस महिला ने सारी बंदिशों को तोड़कर ई रिक्शा चलाना शुरू किया। पहले दिन जब वह स्टीयरिंग पर बैठी तो डर, शर्म और लोगों की निगाहें सब कुछ झेलना पड़ा। अब वही ऑटो उसकी पहचान बन चुका है। उसके लिए हर दिन चुनौती है, लेकिन हर मुस्कान उसे और मजबूत बना देती है। आज वह न सिर्फ अपने लिए, बल्कि अपनी बच्ची के बेहतर भविष्य के लिए भी लड़ रही है। उसकी कहानी एक प्रेरणा है कि जब हालात मुश्किल हों, तब हौसला ही सबसे बड़ा सहारा बनता है।
बताया जा रहा है कि छोटी बच्ची फौजी बनकर देश की सेवा और अपने पापा की सपने को पूरा करना चाहती है। रजनी का कहना है कि वह सुबह 8:00 बजे घर से निकलती है। इससे पहले घरों में काम करती है और उसके बाद वह अपना ऑटो लेकर सड़क पर निकल आती है। रात 9:00 बजे तक मेहनत करती है, क्योंकि उसके ऊपर कर्जा बहुत है। किराए के मकान में रहती है। समाज में रहते हुए उसे कई तरह की मुश्किलें भी आ रही हैं, लेकिन इसका द्रविड़ निश्चय और हौसला इसकी सब मुश्किलों को पीछे कर रहा है।
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