हरियाणा पुलिस में करोड़ों का विज्ञापन घोटाला, RTI पर दो अलग जवाब देकर खुद ही फंसी पुलिस

Edited By Isha, Updated: 30 Jun, 2020 02:11 PM

advertisement scam of crores in haryana police

हरियाणा पुलिस के विज्ञापन घोटाले में अब विभाग द्वारा एक बार फिर से हरियाणा सरकार में चेयरमैन रह चुके व शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल की ओर से डाली गई आरटीआई का गोलमाल जवाब देना अफसरों की मिलीभगत व करोड़ो के घोटाले की आशंका व्यक्त कर रहा है।

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा पुलिस के विज्ञापन घोटाले में अब विभाग द्वारा एक बार फिर से हरियाणा सरकार में चेयरमैन रह चुके व शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल की ओर से डाली गई आरटीआई का गोलमाल जवाब देना अफसरों की मिलीभगत व करोड़ो के घोटाले की आशंका व्यक्त कर रहा है।दरअसल,प्रदेश में हजारो जगह हरियाणा पुलिस के बिट बॉक्स,पीसीआर शेल्टर,नाको-प्रदर्शनों व अन्य जगहों पर लगने वाले पुलिस बेरिकेट्स,साइन बोर्ड्स व नोटिस बोर्ड्स पर विभिन्न प्राइवेट बैंकों,निजी शिक्षण संस्थानों,इंडस्ट्रीज व निजी कंपनियों के विज्ञापन प्रदर्शित किए जाते है जबकि नियमानुसार सरकारी संपति पर किसी निजी कम्पनी का विज्ञापन नही हो सकता है।इसको लेकर विजय बंसल ने आरटीआई में सूचना मांगी थी जिसपर पुलिस विभाग ने स्पष्ट किया था कि केवल सरकारी खर्च पर ही यह समान खरीदा जाता है जबकि किसी भी प्राइवेट फर्म से बेरिगेट व बीट बॉक्स नही रखवाए जाते जिसके बाद विजय बंसल ने 29 फरवरी को अनिल विज से इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग भी की थी।

अब 23 जून को स्वयं हरियाणा पुलिस द्वारा फिर से उसी आरटीआई का पुनः गोलमाल जवाब देकर स्टैंड बदल लिया गया जिसमें उन्होंने कहा है कि बेरिकेड्स,साइन बोर्ड,नोटिस बोर्ड,पीसीआर शेल्टर,बीट बॉक्स आदि सरकारी खर्च पर लेने के अलावा प्राइवेट कंपनियों से डोनेट करवालिए जाते है पर लेकिन बंसल ने बताया कि आरटीआई में पुलिस के पास रिकार्ड के नाम पर कोई प्रतिलिपि व डाटा उपलब्ध नही है।विजय बंसल का आरोप है कि पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ो का गबन होता है जिसमे प्रमुखतः प्राइवेट कंपनियों से समान रखवाकर पैसे वसूले जाते है जबकि उनका कहना है कि सरकार को आए महीने करोड़ो की चपत लग रही है।

विजय बंसल के अनुसार इसके लिए राज्य सरकार को एक नीति बनानी चाहिए जिसमें टेंडर प्रक्रिया को फॉलो किया जाए और सरकार को राजस्व का साधन बन सके क्योंकि सरकारी सम्पति पर निजी विज्ञापन मुफ्त में करना और उसका पैसा गलत माध्यमो से अफसरों की जेब मे जाना भ्रष्टाचार को बढ़ावा है। विजय बंसल ने कहा कि विज्ञापन वाले बेरिगेट्स,बिट बॉक्स लगे हुए है तो पुलिस प्रशासन द्वारा स्पष्ट किया गया था कि किसी फर्म या कम्पनी से यह नही रखवाए जाते यदि नही रखवाए जाते तो सरकारी खर्च पर बने बेरिगेट्स बिट बॉक्स आदि पर किसी निजी कम्पनी का विज्ञापन लगने के साथ विज्ञापन राशि का सरकार के पास कोई रिकार्ड नही है जोकि करोड़ो के घोटाले को सत्यापित करता है,वही अब यह कहना कि डोनेट करवाए जाते है पर रिकार्ड में कोई प्रतिलिपि नही है यह अब इस घोटाले की पुष्टि भी करता है।

बंसल ने बताया कि सरकार के पास विज्ञापनों के सम्बंध में कोई जानकारी नही है,यदि सरकार की माने तो न तो बेरिगेट्स,बिट बॉक्स आदि पर लगने वाले विज्ञापनों के लिए कोई टेंडर होता है,न ही कोई प्रक्रिया है,न ही सरकार को कोई आए है,न ही कोई राशि एकत्रित की जाती व न ही पुलिस द्वारा किसी योजना में खर्च किया जाता।बंसल का कहना है कि जब सरकारी खर्चे से ही सारा सामान लिया जाता है तो किस अधिकार,किस अफ़सर या किस व्यक्ति की शह में इनपर निजी कंपनियों का विज्ञापन प्रदर्शित किया जाता है।उनका मानना है कि अधिकारियों की मिलीभगत से राज्य सरकार के खजाने को हर माह करोड़ो का नुकसान हो रहा है तो वही सरकार के कंधों पर निजी कंपनियों को मुनाफा भी जिसमे सरकार या जनता को तो कोई फायदा नही होता जबकि अधिकारियों व प्रभावशाली लोगों की जेबें जरूर भरी जाती है।

क्या पूछा था आरटीआई में और विभाग ने क्या जवाब दिया
हरियाणा पुलिस के डीजीपी से आरटीआई में विजय बंसल द्वारा पूछा गया कि हरियाणा पुलिस के बिट बॉक्स,पीसीआर शेल्टर,नाको-प्रदर्शनों व अन्य जगहों पर लगने वाले पुलिस बेरिकेट्स,हरियाणा पुलिस के साइन बोर्ड्स व नोटिस बोर्ड्स पर लगने वाले विभिन्न कम्पनियों आदि के विज्ञापनों को लगाने के लिए क्या प्रक्रिया है,प्रति वर्ष कुल कितनी आय होती है, कब कब टेंडर निकाला गया है व किस किस कम्पनी को किस किस आधार पर अलाट किया गया,विज्ञापनों से होने वाली आय/एकत्रित राशि को कहां कहां व किस किस योजना में खर्च किया जाता है तो पुलिस विभाग ने विज्ञापनों से होने वाली आय,टेंडर व किस प्रक्रिया से निजी कंपनियों से लगवाए जाते है का जवाब न देते हुए गोलमाल करते हुए बताया कि सरकारी खर्च से ही यह समान खरीदा जाता है और किसी भी फर्म से बीट बॉक्स व बेरिगेट्स नही रखवाए जाते और अब कहा कि डोनेट करवाए जाते है पर रिकार्ड में जानकारी नही है।

 नगर निगम क्षेत्र में लेनी होती है परमिशन,निगम के पास नही जानकारी
हालांकि विजय बंसल ने इस संदर्भ में निगम पंचकूला के आयुक्त से भी जानकारी ली थी जिसमे जोनल टेक्सेशन अफ़सर ने बताया कि उनके पास इस सन्दर्भ में कोई जानकारी नही है जबकि अर्बन लोकल बॉडीज की 2018 की अधिसूचना के तहत परमिशन लेनी जरूरी है जबकि पुलिस के रोड साइनेज,ट्रैफिक सिग्नल आदि विज्ञापन के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र है पर लेकिन वहां भी विज्ञापन के साथ ही बेरिगेट्स व साइनेज लगे हुए है।

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