लैंड पूलिंग पॉलिसी पर AAP राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने उठाए सवाल, बोले - घोटालेबाज योजना लेकर आई BJP सरकार

Edited By Isha, Updated: 19 Aug, 2025 06:21 PM

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आप के वरिष्ठ नेता अनुराग ढांडा ने भाजपा की हरियाणा सरकार  पर जमकर हमला बोला साथ ही कहा कि किसानों की जमीन हड़पने के लिए लाई गई लैंड पूलिंग पॉलिसी को सरकार तुरंत वापस ले।

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी):   आप के वरिष्ठ नेता अनुराग ढांडा ने भाजपा की हरियाणा सरकार  पर जमकर हमला बोला साथ ही कहा कि किसानों की जमीन हड़पने के लिए लाई गई लैंड पूलिंग पॉलिसी को सरकार तुरंत वापस ले। इसके अलावा पिछले दो साल का लैंड रिकॉर्ड सार्वजनिक करने की मांग भी उन्होंने भाजपा सरकार से की है। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री अनिल विज पर भी हमला बोला है, जिसमें कहा कि 2011 में अंबाला में आईएमटी योजना आई तो विज धरने पर बैठे थे, अब कहां हैं? : 

पूर्व सीएम हुड्डा का नाम लेकर बोला हमला

उन्होंने हरियाणा में विपक्ष पर जमकर सवाल खड़े किए और कहा कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर विपक्ष की भूमिका निभाने की ज़िम्मेदारी है लेकिन वे  भाजपा के बड़े नेताओं के साथ में दोस्ती की बात स्वीकार करते हुए रिश्ते निभाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा से मिले हुए भूपेंद्र हुड्डा क्यों खामोश हैं? इसका जवाब वही दे सकते हैं। विपक्ष को हरियाणा में जो भूमिका निभानी चाहिए वह नहीं निभा रहा।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने सोमवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता के दौरान सरकार की "ई-भूमि नीति" को किसानों की ज़मीन हड़पने की साजिश बताया। साथ ही कहा कि आप ने तो पंजाब में किसानों की मांग पर जमीन नीति को वापस लेने में भी देरी नहीं की। जबकि हरियाणा में पूरी नीति छोटे किसानों की जमीन लूटकर बीजेपी नेताओं और उनके कारोबारी मित्रों को फायदा पहुँचाने के लिए बनाई गई है। सरकार की योजना के अनुसार 35,000 एकड़ से अधिक कृषि भूमि किसानों से ली जाएगी। लेकिन इस योजना में 10 एकड़ से कम ज़मीन रखने वाले किसानों को शामिल ही नहीं किया गया है। यानी 95% से अधिक किसान इस नीति से स्वतः बाहर कर दिए गए हैं। सरकार ने इन किसानों से सीधे ज़मीन खरीदने के बजाय दलालों को अधिकृत किया है, जो सस्ते दामों पर किसानों से ज़मीन लेकर सरकार को सौंपेंगे। फिर वही ज़मीन सरकार द्वारा अपने चहेते उद्योगपतियों को करोड़ों में बेची जाएगी।

किसानों की ज़मीन पर बनने वाले प्रोजेक्ट्स में किसानों की कोई हिस्सेदारी नहीं है। न तो कोई प्लॉट मिलेगा, न कोई विकसित भूमि का हिस्सा। केवल एकमुश्त भुगतान मिलेगा, वो भी सिर्फ सर्कल रेट पर, जो बाजार मूल्य से तीन से चार गुना कम होता है। ढांडा ने कहा कि 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में प्रावधान था कि किसानों को बाजार मूल्य का कम से कम चार गुना मुआवज़ा मिलना चाहिए। लेकिन हरियाणा सरकार ने इसे बदलकर सर्कल रेट का अधिकतम तीन गुना कर दिया है। यह भी तभी मिलेगा जब सरकार माने, वरना कुछ नहीं। 

ढांडा ने कहा कि जो दलाल सर्कल रेट पर जमीन खरीदवाने में मदद करेंगे उन्हें सरकार की ओर से ₹3000 प्रति एकड़ का इनाम मिलेगा। यानी सरकार दलालों को बाकायदा प्रोत्साहित कर रही है कि वे किसानों से जबरन सस्ती जमीन खरीदें। जो किसान अधिक मूल्य मांगेंगे, उनके प्रस्ताव सरकार की कमेटी द्वारा खारिज कर दिए जाएंगे। यानी ज़मीन का रेट भी सरकार तय करेगी और फैसला भी। ढांडा ने सीधा आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट ने ऐसी नीति लागू की है, जो छोटे किसानों को प्रताड़ित करने और भूमिहीन करने के लिए बनाई गई है। 

उन्होंने कहा कि जिनके पास 10 एकड़ से अधिक ज़मीन है, उन्हें विकल्प दिए गए हैं, चाहें तो पूरी ज़मीन दें या हिस्सा। लेकिन छोटे किसानों को मजबूर किया गया है कि वो अपनी पूरी ज़मीन ही दें, नहीं तो योजना में शामिल नहीं किए जाएंगे। और जब सर्कल रेट पर पैसा मिलेगा तो किसान कहीं और ज़मीन भी नहीं खरीद पाएगा। ऊपर से सरकार स्टांप ड्यूटी में भी कोई रियायत नहीं दे रही है। इस योजना में किसानों के लिए कोई फायदा ही नहीं है, तो फिर इसे इतनी जल्दबाज़ी में क्यों लागू किया जा रहा है? जांच की जाए तो स्पष्ट होता है कि जिन इलाकों में यह योजना लागू की जा रही है, वहीं पर बीजेपी के बड़े नेताओं और मंत्रियों ने पहले ही ज़मीनें खरीद रखी हैं। 

विज को याद दिलाया पुराना वक्त, जब धरना दे रहे थे

उन्होंने याद दिलाया कि 2011-12 में जब अंबाला में आईएमटी बनाई जा रही थी तो अनिल विज ने उपजाऊ ज़मीन के खिलाफ धरना दिया था। उस समय सरकार को योजना रद्द करनी पड़ी थी। अब जब उसी अंबाला में 5000 एकड़ ज़मीन ली जा रही है, तो अनिल विज कहां हैं? क्या उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर के सामने घुटने टेक दिए हैं? यह पूरा मामला अब हरियाणा में जन-चर्चा का विषय बन चुका है। किसान संगठन और ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं। 

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