Edited By Yakeen Kumar, Updated: 19 Aug, 2025 04:04 PM

प्रदेश में आपत्तिजनक और विवादित नाम वाले गांवों का नाम बदलने की प्रक्रिया लगातार जारी रखे हुए है। अब 2 जिलों के 2 गांवों के नाम बदले गए हैं।
चंडीगढ़ : प्रदेश में आपत्तिजनक और विवादित नाम वाले गांवों का नाम बदलने की प्रक्रिया लगातार जारी रखे हुए है। अब यमुनानगर जिले के गांव अलीपुरा का नया नाम 'आर्यपुरम' और हिसार जिले के ढाणी गारण का नाम 'हंसनगर' कर दिया गया है। वित्तायुक्त राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने इसके आदेश जारी किए।
इससे पहले जुलाई में महेंद्रगढ़ के अकबरपुर नांगल का नाम बदलकर नांगल हरनाथ और झज्जर जिले के इस्लामगढ़ का नाम छुछकवास रखा गया था। इसी तरह मई महीने में सोनीपत, यमुनानगर और भिवानी के 4 गांवों के नाम भी बदले गए थे।
8 गांवों के नाम बदले जा चुके
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार के कार्यकाल के सिर्फ दस महीने में अब तक 8 गांवों के नाम बदले जा चुके हैं। वहीं, इससे पहले मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में साढ़े नौ साल में लगभग डेढ़ दर्जन गांवों के नाम बदले गए थे।
गांवों के नाम बदलने की प्रक्रिया
1. ग्राम सभा का प्रस्ताव
सबसे पहले संबंधित गांव की ग्राम सभा एक बैठक करती है। गांव के लोग यदि महसूस करते हैं कि उनके गांव का नाम आपत्तिजनक है, धार्मिक असमानता दर्शाता है, या उस नाम से सामाजिक शर्मिंदगी होती है, तो वे नाम बदलने का प्रस्ताव रखते हैं। यह प्रस्ताव ग्राम सभा में बहुमत से पारित होना चाहिए। पारित प्रस्ताव में यह साफ लिखा होता है कि नया नाम क्या होगा और उसके पीछे क्या कारण हैं।
2. जिला प्रशासन को भेजा जाता है प्रस्ताव
जब ग्राम सभा प्रस्ताव पास कर देती है, तो इसे जिला प्रशासन (उपायुक्त कार्यालय) के पास भेजा जाता है। जिला प्रशासन इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार करता है। रिपोर्ट में देखा जाता है कि नया नाम कहीं पहले से दर्ज तो नहीं है, नया नाम किसी अन्य क्षेत्र से टकरा तो नहीं रहा और क्या यह सामाजिक तौर पर स्वीकार्य है। इसके बाद प्रस्ताव हरियाणा सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग को भेजा जाता है।
3. राज्य सरकार की मंजूरी
अंतिम निर्णय राज्य सरकार की मंजूरी से होता है। संबंधित विभाग प्रस्ताव का गहन अध्ययन करता है। वित्तायुक्त राजस्व, अतिरिक्त मुख्य सचिव या संबंधित अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर इसे कैबिनेट की स्वीकृति मिलती है। उसके बाद आधिकारिक आदेश जारी कर गांव का नाम बदला जाता है। यानी, किसी भी गांव का नाम बदलना सिर्फ प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि ग्राम पंचायत की पहल से शुरू होकर राज्य सरकार की स्वीकृति तक की लंबी प्रक्रिया है।
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