Edited By Manisha rana, Updated: 24 Jul, 2024 02:59 PM
टोहाना शहर के दमकोरा रोड पर सिंगला किराना के नाम से दुकान चलाने वाले घनश्याम सिंगला ने अपने तीन बच्चों को पढ़ा लिखा कर सीए बनाया है। छोटी सी दुकान से परिवार का गुजारा करना और फिर बच्चों को मुकाम तक पंहुचाने के चलते पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ...
टोहाना (सुशील सिंगला) : टोहाना शहर के दमकोरा रोड पर सिंगला किराना के नाम से दुकान चलाने वाले घनश्याम सिंगला ने अपने तीन बच्चों को पढ़ा लिखा कर सीए बनाया है। छोटी सी दुकान से परिवार का गुजारा करना और फिर बच्चों को मुकाम तक पंहुचाने के चलते पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। घनश्याम के बेटे धीरज व ज्योति ने 11 जुलाई को आए परीक्षा परिणाम में सफलता हासिल कर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। वहीं उनका बड़ा बेटा विपिन सिंह 1 साल पहले सीए की परीक्षा पास कर चुका है। एक छोटी सी किराने की दुकान चलाने वाले व्यक्ति द्वारा अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर इस मुकाम तक पहुंचाना टोहाना में सबसे बड़ी उपलब्धि देखा जा रहा है।
पत्रकारों से बातचीत में घनश्याम सिंगला ने बताया कि वह करीब 25 साल से टोहाना में किराना की दुकान चला रहा है और उसने मेहनत के बल पर अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने का काम किया है। उसने बताया कि बड़ा बेटा विपिन 1 साल पहले सीए बनकर दिल्ली में नौकरी कर रहा है जबकि दूसरे बेटे धीरज व बेटी ज्योति ने कुछ दिन पहले सीए को पास किया है। इसके बाद से परिवार में खुशी का माहौल है।
धीरज सिंगला ने बताया कि उसके माता-पिता ने मेहनत व लग्न के बल पर उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है जिसमें उनका पूरा सहयोग रहा है। धीरज ने बताया कि उसके बड़े भाई विपिन के निर्देश के अनुसार दोनों बहन भाइयों ने मिलकर पढ़ाई की और आज इस सफलता को हासिल किया है। उसने बताया कि करीबन 10 से 12 घंटे दिन में पढ़ाई करते थे। वहीं ज्योति सिंगला ने बताया कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने रिश्तेदारों की शादियां में जाना छोड़ दिया था, क्योंकि उन्होंने यह ठान लिया था कि पढ़ाई के बाद आगे के कार्यक्रम में भाग लेंगे।
इस उपलब्धि के पीछे उनके बड़े भाई विपिन का मार्गदर्शन था जिनको डीएवी स्कूल की मैडम पूजा भाटिया व शिवानी ने मार्गदर्शन किया। ज्योति ने बताया कि उन्हें आज इस बात की खुशी है कि अपने माता-पिता के सपनों को पूरा किया है। उसने बताया उसके माता-पिता ने कभी बेटा और बेटी में भेदभाव नहीं किया। माता सुनीता ने बताया कि उनके तीनों बच्चों ने सीए बनकर उनके सपने को पूरा किया है। अपनी मेहनत और लगन के बल पर तीनों बच्चों ने यह मुकाम हासिल किया है, जिसकी उन्हें बहुत खुशी हो रही है।
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