Edited By Shivam, Updated: 10 Mar, 2019 06:32 PM
बजट सत्र म्हैं प्रदेस सरकार नै भूमि कानून म्हैं जो बदलाव किए थे उसतै दूजियां पाॢटयां नै जमा घणा रौला ठाया था। इब्ब सुप्रीम कोर्ट नै बी प्रदेस सरकार तै झटका दे दिया सै। सुप्रीम कोर्ट नै सरकार तै करडे होंदे होए आर्डर दिया सै कै अरावली के जंगलां नै कोई...
बजट सत्र म्हैं प्रदेस सरकार नै भूमि कानून म्हैं जो बदलाव किए थे उसतै दूजियां पाॢटयां नै जमा घणा रौला ठाया था। इब्ब सुप्रीम कोर्ट नै बी प्रदेस सरकार तै झटका दे दिया सै। सुप्रीम कोर्ट नै सरकार तै करडे होंदे होए आर्डर दिया सै कै अरावली के जंगलां नै कोई नुक्सान न पहुंचाया जावै। दूजियां पाॢटयां आलेआं नै तो सरकार पै बिल्डरां नै फैदा देण का आरोप बी लगाया सै। इब्ब सरकार पै कोर्ट के आर्डर का हथौड़ा पड ग्या सै। न्यू तो सरकार नै अपणा पक्ष राखदे होए कह्या है कै सरकार नै जमीन कानून म्हैं बदलाव किसी की मदद खातर कोणी करै सैं। कोर्ट नै जिस तरैं पर्यावरण के मामले पै सरकार नै कसया सै यू आच्छी बात सै। साल के आधे तै ज्यादा महीनेआं तक अरावली के दौरे पडदे इलाकेआं म्हैं घणा प्रदूसण रवै। जदे अरावली के जंगलां के पेड़-पौधे बी हटा दिए जावैंगे तो सांस लैण खातर हवा तो और जमा जहर बण ज्यैगी। बाकी तो टेम बतावैगा कै सरकार उस पै कोर्ट नै किम्मै संतुष्ट करैगी पर हवा नै जहर बणान की कोर्ट की पहल का स्वागत तो किया ई जा सकै।
-(प्रस्तुति: मीनू शर्मा)