त्याग से परिवर्तन तक: आरएसएस सेवा भारती ने झुग्गी से आए जिस बच्चे को संवारा आज वह बदल रहा लाखों जिंदगियां

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 05 Jul, 2025 03:49 PM

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दिल्ली की झुग्गियों से एक परित्यक्त बच्चे की यह प्रेरणादायक कहानी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर के समाज सुधारक के रूप में सामने आई है। यह उसकी जिजीविषा और निःस्वार्थ सेवा की ताकत का प्रमाण है जिससे वह आज लाखों गरीब बच्चों और महिलाओं की जिंदगी में बदलाव ला...

गुड़गांव ब्यूरो : दिल्ली की झुग्गियों से एक परित्यक्त बच्चे की यह प्रेरणादायक कहानी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर के समाज सुधारक के रूप में सामने आई है। यह उसकी जिजीविषा और निःस्वार्थ सेवा की ताकत का प्रमाण है जिससे वह आज लाखों गरीब बच्चों और महिलाओं की जिंदगी में बदलाव ला चुका है। उसकी यह अद्भुत सफलता संभव नहीं थी अगर आरएसएस सेवा भारती ने उसे सहारा नहीं दिया होता। दो साल की उम्र में जब उसके माता-पिता ने उसे और उसकी तीन दिन की बहन को दिल्ली की सबसे अपराधग्रस्त झुग्गियों में छोड़ दिया था, तब सेवा भारती ने उन्हें छत, पढ़ाई और संस्कार दिए।

 

आठ साल की उम्र में उसने गुब्बारे बेचने और छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए ताकि अपनी छोटी बहन का पेट पाल सके। उसकी जिंदगी तब बदली जब सेवा भारती ने उसका हाथ थाम कर अपराध और शोषण से बचाया। सेवा भारती ने केवल उसे शिक्षा ही नहीं दी, बल्कि उसमें निःस्वार्थ सेवा, अनुशासन और देशभक्ति जैसे गुण भी डाले जो आगे चलकर उसके जीवन के संकल्प की नींव बने।

 

बचपन में ही अत्याचारों को झेलने और देखने के बाद, उसने अपनी बहन को बाल विवाह और दहेज प्रथा से बचाने की लड़ाई लड़ी। यही अनुभव आगे चलकर उसके जीवन का मकसद भी बना जो है गरीबी और अशिक्षा के कारण शोषण झेल रही लड़कियों और बच्चों को सुरक्षा और सहारा देना। जी हाँ, कभी गुब्बारे बेचने वाला यह बाल मजदूर आज दुनियाभर में अपने बड़े पैमाने पर किए गए सामाजिक कार्यों के लिए पहचाना जाता है, जिससे 30 लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगी में सीधा बदलाव आया है। भारत सरकार ने उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया है और संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी महिलाओं की स्थिति पर आयोग में उनके कार्यों की सराहना की है।

 

वह बालक हैं देवेंद्र कुमार – ‘लाड़ली फाउंडेशन’ के संस्थापक, जो भारत और विदेशों में जमीनी स्तर पर काम करने वाला ऐसा संगठन चला रहे हैं जो समाज के सबसे कमजोर वर्गों से जुड़े अहम मुद्दों को हल करने में जुटा है। देवेंद्र के निरंतर प्रयासों के चलते उन्हें भारत सरकार के दो राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। साथ ही उन्हें देश के चार राष्ट्रपतियों डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, प्रणब मुखर्जी, रामनाथ कोविंद और वर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की सराहना भी प्राप्त हुई है।

 

2020 में उनके असाधारण सामाजिक कार्यों के लिए सामाजिक न्याय मंत्रालय ने उन्हें पद्मश्री के लिए नामित किया। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी उनके शोषण का शिकार हो रही महिलाओं और लड़कियों को बचाने के कार्यों को “ट्रू हीरो” कहते हुए सम्मानित किया। अंतरराष्ट्रीय संबंधों और जन नीति में उनकी विशेषज्ञता को वैश्विक मंचों पर सराहा गया है। उनके सुझाव संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय मंचों पर रखे गए हैं।

 

2021 में हुए 65वें ‘महिलाओं की स्थिति पर आयोग (सीएसडब्ल्यू)’ में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी महिलाओं के स्वास्थ्य और बाल विवाह रोकने के उनके कार्यों की प्रशंसा की। आज देवेंद्र ‘लाड़ली फाउंडेशन इंडिया’, ‘लाड़ली फाउंडेशन यूएसए’ और ‘लाड़ली फाउंडेशन अफ्रीका’ का नेतृत्व कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मंचों के जरिए सामाजिक बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने इंडिया एवं ब्रिक्स समिट और क्लाइमेट कॉन्क्लेव जैसे बड़े वैश्विक सम्मेलनों का सफल आयोजन किया, जहाँ दुनियाभर के नेताओं ने सामाजिक चुनौतियों पर चर्चा की।

 

सेवा भारती द्वारा दिए गए संस्कारों ने उनकी यात्रा को एक उम्मीद की मिसाल बना दिया है। एक परित्यक्त बच्चा कैसे एक अंतरराष्ट्रीय समाज सुधारक बना – देवेंद्र कुमार की कहानी यह साबित करती है कि सही मार्गदर्शन और अडिग संकल्प हो, तो सबसे कठिन हालात भी बदलाव की ताकत बन सकते हैं। उनका संगठन भी समाज के सबसे जरूरतमंद तबकों तक पहुँचने के लिए उसी सेवा भावना से चलता है जो संघ का भी मूल है।

 

त्यागे जाने से लेकर एक विश्व विख्यात समाज सुधारक तक की उनकी यात्रा यह दर्शाती है कि सही सहयोग और संस्कार कैसे मुश्किलों को अवसर में बदल सकते हैं और लाखों लोगों की जिंदगी संवार सकते हैं। उनकी कहानी दुनियाभर के वंचित बच्चों के लिए प्रेरणा है। सेवा भारती द्वारा दी गई देखभाल ने यह साबित किया कि अगर सही मार्गदर्शन और सहानुभूति मिले, तो कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है। आज उनकी पहलें सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए सामाजिक सेवा का मॉडल बन चुकी हैं ताकि कोई भी बच्चा पीछे न रह जाए।

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