वंदे मातरम महोत्सव के पहले दिन भगत सिंह की जीवनगाथा देख भावुक हुए दर्शक

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 24 Aug, 2025 03:14 PM

on the first day of vande mataram festival

जश्न-ए-अदब साहित्योत्सव द्वारा आयोजित 'वंदे मातरम' महोत्सव के पहले दिन की प्रस्तुतियों ने देश की आज़ादी और सांस्कृतिक विरासत को नए अंदाज़ में महसूस कराया।

गुड़गांव ब्यूरो  दिल्ली की फिज़ाएँ इन दिनों साहित्य, संगीत और नृत्य की गूँज से सराबोर है। दर्शकों को यह देखने का अवसर मिल रहा है कि कैसे एक ही मंच पर देशभक्ति की भावना और भारतीय संस्कृति की विविधता रंग बिखेर सकती है। जश्न-ए-अदब साहित्योत्सव द्वारा आयोजित 'वंदे मातरम' महोत्सव के पहले दिन की प्रस्तुतियों ने देश की आज़ादी और सांस्कृतिक विरासत को नए अंदाज़ में महसूस कराया।

 

यह भव्य आयोजन 23 और 24 अगस्त को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में हो रहा है। स्वतंत्रता के 78वें वर्ष और जश्न-ए-अदब की 14वीं वर्षगाँठ के अवसर पर सजे इस उत्सव में शास्त्रीय संगीत, गज़ल, लोकसंगीत, कवि सम्मेलन, मुशायरा, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियों का आयोजन किया जा रहा है। जश्न-ए-अदब के संस्थापक कुँवर रंजीत चौहान ने कहा, "वंदे मातरम का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, साहित्य और कला की उस जीवंतता को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना है, जिस पर हमें गर्व है। यह देखकर संतोष हुआ कि दर्शक हर प्रस्तुति को पूरे मन से अपना रहे हैं।"

 

पहले दिन अस्मिता थिएटर ग्रुप, मास्टर अधिराज चौधरी, विद्या लाल एंड ग्रुप और विद्या शाह ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को बाँधे रखा। विद्या शाह की मोरा जीया, पीहू राग और मोरे पंचायत पे की दमदार प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया। वहीं, अस्मिता थिएटर ग्रुप ने भारत माता के सपूत भगत सिंह के जीवन पर आधारित एक नाट्य प्रस्तुति दी, जिसे देखकर हर एक दर्शक भावुक हो गया। साहित्यिक सत्रों में फरहत एहसास, मंगल नसीम, गोविंद गुलशन, सुनील पँवार, जावेद मुशिरी, आज़म शाकिरी, रहमान मूसव्वर, बिनोद सिन्हा, गुलज़ार वानी और पवन कुमार जैसे नामचीन रचनाकारों ने अपने विचार और कृतियाँ साझा कीं।

 

अब महोत्सव के दूसरे दिन की प्रस्तुतियाँ 24 अगस्त को होंगी, जिनमें अनीस सबरी एंड ग्रुप, पद्मभूषण पं. साजन मिश्रा, स्वरांश मिश्रा, प्रो. वसीम बरेलवी, पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा और प्रो. अशोक चक्रधर जैसे चर्चित कलाकार और कवि अपनी प्रस्तुतियों से समाँ बाँधेंगे। इन प्रस्तुतियों के लिए दर्शकों और साहित्यप्रेमियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। ‘वंदे मातरम’ महोत्सव ने पहले ही दिन यह साबित कर दिया कि यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है, जो दर्शकों को भारत की समृद्ध परंपरा और आज़ादी की भावना से दोबारा जोड़ रहा है।

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