नो पाम ऑयल' जैसे दावे उपभोक्ताओं को कर रहे गुमराह, वैज्ञानिक सबूतों को किया जा रहा नजरअंदाज: ओटीएआई प्रेसिडेंट

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 12 Aug, 2025 07:29 PM

claims like  no palm oil  are misleading consumers otai president

कुछ फूड ब्रांड्स द्वारा 'नो पाम ऑयल' मार्केटिंग कैंपेन चलाए जा रहे हैं। इस पर चिंता जताते हुए ऑयल टेक्नोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ओटीएआई) के नेशनल प्रेसिडेंट डॉक्टर राजीव चूरी ने कहा कि इस तरह के डर फैलाने: वाले संदेशों के जरिए लोगों की भावनाओं...

 गुड़गांव ब्यूरो : कुछ फूड ब्रांड्स द्वारा 'नो पाम ऑयल' मार्केटिंग कैंपेन चलाए जा रहे हैं। इस पर चिंता जताते हुए ऑयल टेक्नोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ओटीएआई) के नेशनल प्रेसिडेंट डॉक्टर राजीव चूरी ने कहा कि इस तरह के डर फैलाने: वाले संदेशों के जरिए लोगों की भावनाओं का जानबूझकर फायदा उठाया जा रहा है। इस तरह के निराधार  कैंपेन की कड़ी निंदा करते हुए डॉ. चूरी ने कहा कि खाने और पोषण पर होने वाली चर्चा हमेशा वैज्ञानिक तथ्यों और सही जानकारी पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने खाद्य उद्योग, नियामक संस्थाओं और मीडिया से अपील की कि वे लोगों को सही और पूरी जानकारी दें ताकि वे समझदारी से फैसला ले सकें और बिना सबूत के दावे फैलाने से बचें।

 

डॉ. चूरी ने कहा, 'ये कैंपेन पाम ऑयल को बिना वजह अनहेल्दी बताते हैं, जबकि इसके लिए कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है। असल में ये सिर्फ बाजार में अलग पहचान बनाने की चाल लगती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (ICMR-NIN) द्वारा जारी का गई 'भारत की 2024 डाइटरी गाइडलाइंस' में कहा गया है कि अगर पाम ऑयल को सही तरीके और सही मात्रा में  शामिल किया जाए तो यह फायदेमंद हो सकता है। इन गाइडलाइंस में यह भी बताया गया है कि पाम ऑयल में मौजूद  टोकोट्रिनॉल्स खून में कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं। इनमें सलाह दी गई है कि तेल हमेशा बदल-बदलकर इस्तेमाल करें, जैसे पाम, मूंगफली, तिल, राइस ब्रान, सूरजमुखी आदि, ताकि शरीर को हर तरह के फैटी एसिड संतुलित मात्रा में मिलते रहें।

 

डॉ. चुरी ने कहा, 'नो पाम ऑयल' जैसे बढ़ते दावे लोगों की पाम ऑयल के बारे में सही जानकारी को गुमराह कर सकते हैं, जबकि पाम ऑयल एक सुरक्षित, ज्यादा इस्तेमाल होने वाला और दुनिया भर में मान्यता प्राप्त खाने का तेल है। अगर इसे समझदारी से और सही मात्रा में में लिया जाए, तो यह किसी भी दूसरे खाने के तेल जितना ही सुरक्षित है। पाम ऑयल पर चर्चा हमेशा सही आंकड़ों और तथ्यों पर होनी चाहिए, न कि सिर्फ मार्केटिंग के दावों पर। पाम ऑयल को बेवजह बदनाम किया गया है, जबकि यह पोषण के लिहाज से सही है और दुनिया भर के खाने का अहम हिस्सा है। इसे गलत ठहराने से प्रोसेस्ड फूड ज्यादा हेल्दी नहीं होगा, बल्कि लोग उलझन में पड़ेंगे और भारत का खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य भी कमजोर होगा।'

 

डॉ. चूरी ने कहा कि किसी एक तेल के बारे में गलत बातें फैलाना, अच्छे और संतुलित खाने के असली नियमों से ध्यान हटा देता है। सही खानपान में संतुलन, तरह-तरह के खाद्य पदार्थ और वैज्ञानिक जानकारी जरूरी है। बिना पक्के सबूत के किसी एक फैट को खराब बताना, लोगों को गुमराह करता है और देश की खाद्य सुरक्षा की कोशिशों को कमजोर करता है। पाम ऑयल दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला खाने का तेल है। भारत में भी कुल खाने के तेल में इसका हिस्सा 40% से ज्यादा है। यह कमरे के तापमान पर प्राकृतिक रूप से थोड़ा ठोस रहता है, इसलिए इसे बनाने में आंशिक हाइड्रोजेनेशन करने की जरूरत नहीं पड़ती। इस वजह से ट्रांस फैट नहीं बनता, जिससे यह खाद्य उद्योग के लिए सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प बन जाता है।

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